जिले की डुमरी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में शुक्रवार को झामुमो उम्मीदवार बेबी देवी ने आजसू पार्टी की उम्मीदवार यशोदा देवी को 17,153 मतों से हराकर जीत हासिल की. एक चुनाव अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारी ने बताया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की उम्मीदवार को करीब 1,00,317 वोट मिले जबकि राजग की उम्मीदवार यशोदा देवी को 83,164 वोट मिले. विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया' (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस) में झामुमो के शामिल होने के कारण वह (बेबी देवी) इसकी भी उम्मीदवार थीं.
गिरिडीह के उपायुक्त-सह-जिला निर्वाचन अधिकारी नमन प्रियेश लाकड़ा ने कहा, ‘‘मतगणना शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई. झामुमो की बेबी देवी ने 17,153 मतों के अंतर से चुनाव जीता.''
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, एआईएमआईएम का वोट झामुमो को स्थानांतरित होने से इसकी उम्मीदवार की जीत में मदद मिली.
बेबी देवी झारखंड के पूर्व मंत्री जगरनाथ महतो की पत्नी हैं, जिनका अप्रैल में निधन होने के कारण डुमरी सीट पर उपचुनाव आवश्यक हो गया था. बेबी देवी ने अपनी जीत को महतो के प्रति ‘सच्ची श्रद्धांजलि‘ करार दिया. महतो 2004 से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘वादे के मुताबिक, अब मैं महतो के अधूरे कामों को पूरा करूंगी.''
हेमंत सोरेन सरकार पहले ही बेबी देवी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे चुकी है. उन्होंने तीन जुलाई को मंत्री पद की शपथ ली थी.
डुमरी की जनता के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘डुमरी की यह जबरदस्त जीत 2024 की शुरुआत है. जनता ने तय कर लिया है कि झारखंड में सिर्फ लोकतंत्र चलेगा, धनतंत्र नहीं. यहां सिर्फ और सिर्फ झारखंडियों की सरकार चलेगी. भाजपा और आजसू के धोखे और अहंकार का अब झारखंड से सफाया तय है.''
उन्होंने कहा, ‘‘झारखंड सरकार दिवंगत जगरनाथ दा के सपनों और अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए काम करेगी.''
भाजपा की झारखंड इकाई के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया, ‘‘चुनावी नतीजों से साफ है कि यह हेमंत सरकार की हार और तुष्टीकरण की जीत है.''
उन्होंने कहा, ‘‘हेमंत सरकार की पूरी मशीनरी मतदाताओं को धमकाने में लगी हुई थी. पार्टी कार्यकर्ताओं का अपहरण कर लिया गया. घरों पर छापे मारे गए. धन-बल का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया, फिर भी जनता ने राज्य सरकार की विफलताओं पर जोरदार हमला किया.''
उपचुनाव के लिए मतदान पांच सितंबर को हुआ था. कुल 2.98 लाख पंजीकृत मतदाताओं में से 64.84 प्रतिशत ने वोट डाले थे.
असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने मोहम्मद अब्दुल मोबिन रिजवी को अपना उम्मीदवार बनाया था. राज्य में पैठ बनाने की उम्मीद में ओवैसी ने डुमरी में अपने उम्मीदवार के लिए प्रचार भी किया.
हालांकि, रिज़वी केवल 3,472 वोट ही हासिल कर पाए, जो नोटा के 3,650 मतों से भी कम हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में रिजवी 24,132 मतों के साथ चौथे स्थान पर थे.
रिजवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जिस तरह एक रैली के दौरान पाकिस्तान समर्थक नारे के संबंध में छेड़छाड़ किए गए वीडियो को वायरल किया गया, उससे मुझे चुनाव में नुकसान हुआ.''
गिरिडीह में 30 अगस्त को पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की सार्वजनिक रैली के दौरान लगाए गए कथित ‘पाकिस्तान समर्थक‘ नारे को लेकर एआईएमआईएम उम्मीदवार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है.
निर्वाचन आयोग के मुताबिक, झामुमो का वोट प्रतिशत 51.76 फीसदी रहा, जबकि आजसू पार्टी का वोट प्रतिशत 42.91 फीसदी रहा.
दिसंबर 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के सत्ता में आने के बाद से यह छठा उपचुनाव था. इससे पहले पांच विधानसभा क्षेत्रों-दुमका, बेरमो, मधुपुर, मांडर और रामगढ़ में उपचुनाव हुए हैं.
झामुमो ने दुमका और मधुपुर सीट बरकरार रखीं, जबकि कांग्रेस ने बेरमो और मांडर सीट जीतीं. रामगढ़ विधानसभा सीट आजसू पार्टी के खाते में गई. बेबी देवी की जीत के साथ, विधानसभा में झामुमो के विधायकों की संख्या फिर से 30 हो गई और 81 सदस्यीय झारखंड सदन में कांग्रेस के 17 तथा राजद के एक विधायक सहित इस गठबंधन के विधायकों की संख्या 48 हो गई है.
भाजपा के 26 और आजसू पार्टी के तीन सदस्य हैं. दो निर्दलीय विधायकों के अलावा राकांपा और भाकपा (माले) का एक-एक विधायक है.
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