- झारखंड के पलामू से चोरी हुई हथिनी को बिहार के छपरा में बेचा गया.
- चोरी की गई हथिनी की कीमत चोरों ने 40 रुपये बताई थी लेकिन उसे 27 लाख रुपये में बेचा गया
- पुलिस ने हथिनी को बरामद कर लिया है और अब फरार महावतों की तलाश की जा रही है.
झारखंड से चोरी की एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है. चोरों ने झारखंड के पलामू से और कुछ नहीं बल्कि एक हथिनी को ही चुरा लिया. चोरों ने जिस हथिनी पर हाथ साफ किया है उसकी कीमत 40 लाख रुपये थी. चोरों ने बिहार के छपरा ले जाकर महज 27 लाख रुपये में बेच दिया. हथिनी चोरी की इस घटना के सामने आने के बाद बिहार और झारखंड की पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की. आखिरकार पुलिस को चोरी की गई हथिनी मिल गई. पुलिस ने अब उसे रेस्क्यू कर लिया है. अब पुलिस ने हथिनी के महावत की खोज में जुटी है, जो हथिनी चोरी होने के बाद से ही लापता है.
पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि इस हथिनी को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के निफरा गांव के रहने वाले नरेंद्र कुमार शुक्ला और उनके तीन साथियों ने करीब 40 लाख रुपये में खरीदी थी. इस हथिनी की देखरेख की जिम्मेदारी नरेंद्र की थी. लेकिन जब हथिनी को रखने में उसे दिक्कत होने लगी तो उसने महावत मुन्ना पांड के साथ हथिनी को पलामू के जोरकट गांव भेज दिया. इस गांव में और भी हथिनियां रहती हैं. यहां महावत मुन्ना पाठक भी दूसरी हथिनी के साथ रह रहा था. दोनों महावत में दोस्ती मिर्जापुर के रहने वाले तारकेश्वर नाथ तिवारी से हो गई.
ऐसे गायब हुई थी हथिनी
पुलिस की जांच में पता चलाहै कि तारकेश्वर इन लोगों को हथिनी को बेच देने की सलाह लगातार दे रहा था. हथिनी बेचने की की सलाद उसके बहकावे में आकर महावतों ने हथनी को बेच दिया. इसके बाद हथिनी के लापता होने की सूचना 12 अगस्त को नरेंद्र को मिली. इसके बाद वो 13 अगस्त को जब पलामू पहुंचा तो दोनों महावत भी फरार मिले. काफी खोजबीन के बाद नरेंद्र ने 12 सितंबर को सदर थाना में चोरी का मामला दर्ज कराया.
पुलिस ने हथिनी को छपरा से बरामद कर लिया लेकिन इस मामले में महावत मुन्ना पांडे और मन्ना पाठक फरार हैं. पुलिस उनकी खोजबीन में लगी हुई है. इन दोनों की गिरफ्तारी होने के बाद ही ये साफ तौर पर पता चल पाएगा कि आखिर ये हथिनी पलामू से छपरा कैसे पहुंची.