जज उत्तम आनंद की हत्या के मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय जांच ब्यूरो को स्थानांतरित कर दी है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मामले में अभी तक जांच कर रही SIT और जांच अधिकारी पर सवाल उठाए हैं. मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने डीजीपी और विशेष जांच दल के प्रमुख द्वारा दायर हलफनामे का अध्ययन किया.
जांच अधिकारी विनय कुमार द्वारा तैयार की गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट और प्रश्नावली के अवलोकन पर, अदालत ने कहा कि जब सीसीटीवी फुटेज में घटना का पूरा दृश्य स्पष्ट है और पोस्टमार्टम में 'कठोर वस्तु' से चोट का पता चला तो डॉक्टर से यह पूछने की जरूरत क्यों पड़ी कि- 'क्या सड़क की सतह पर गिरने से सिर में चोट लग सकती है या नहीं?'
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अपराध में इस्तेमाल हथियार की तलाश को लेकर भी कोर्ट ने SIT और जांच अधिकारी पर सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि खास जवाब पाने के लिए खास सवाल किए गए. कोर्ट के आदेश के मुताबिक पुलिस महानिदेशक और विशेष जांच दल के प्रमुख की मौजूदगी में जांच अधिकारी से सवाल किए गए, लेकिन वे अपने जवाब से कोर्ट को संतुष्ट करने में असफल रहे.
कोर्ट ने सवाल किया कि घटना का सीसीटीवी फुटेज 2-4 घंटे के भीतर वायरल हो गया था. जज को लगभग 5.30 बजे एक निजी अस्पताल में ले जाया गया. मृतक न्यायिक अधिकारी की पत्नी की शिकायत के बावजूद दोपहर 12.45 पर प्राथमिकी क्यों दर्ज की गई?
कोर्ट ने महाधिवक्ता राजीव रंजन मिश्रा और पुलिस महानिदेशक से यह भी सवाल किया कि सिविल कोर्ट, धनबाद के कोर्ट परिसर और जिले में न्यायिक अधिकारियों के आवासीय परिसर में सुरक्षा के क्या कदम उठाए जा रहे हैं. जिससे कि वे बिना किसी असुरक्षा की भावना के अपना न्यायिक कार्य कर सकें.
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महाधिवक्ता और पुलिस महानिदेशक ने इस न्यायालय को आश्वासन दिया कि धनबाद और अन्य जिलों के न्यायालय परिसर और आवासीय परिसरों में सुरक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त और तत्काल सुरक्षा उपाय किए जाएंगे और इस संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में कोर्ट को अवगत कराया जाएगा.