उच्चतम न्यायालय ने 13 अनुसूचित क्षेत्रों के स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरी में 100 फीसदी आरक्षण देने के झारखंड सरकार के 2016 के फैसले को मंगलवार को खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखा, जिसमें इस फैसले को भेदभावपूर्ण और अनुचित बताया गया था. सर्वोच्च अदालत ने कहा, “नागरिकों के समान अधिकार हैं और एक वर्ग के लिए अवसर पैदा करके बाकियों को पूरी तरह से वंचित करना भारतीय संविधान के निर्माताओं के विचार के अनुरूप नहीं है.”
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नागरथन ने कहा कि वे उच्च न्यायालय की ओर से पारित आदेश का समर्थन करते हैं, जिसने 14 जुलाई 2016 को जारी अधिसूचना/आदेश को असंवैधानिक घोषित किया था. वर्ष 2016 में झारखंड सरकार ने सरकारी माध्यमिक स्कूलों में प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे और इसमें 100 फीसदी आरक्षण स्थानीय उम्मीदवारों/राज्य के 13 अनुसूचित क्षेत्रों के निवासियों के लिए था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण और प्रभावित उम्मीदवारों द्वारा दायर अपीलों से पूरी तरह से सहमत है. न्यायालय ने आंध्र प्रदेश में नौकरियों में 100 प्रतिशत आरक्षण से संबंधित 2020 के संविधान पीठ के फैसले का हवाला दिया और कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों को लेकर राज्यपाल को दी गई शक्ति संविधान से ऊपर नहीं है.