झारखंड विधानसभा नियुक्ति घोटाले की सीबीआई जांच फिलहाल नहीं होगी, झारखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत

हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील निर्मल कुमार अंबस्ता के मुताबिक- हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने मामले की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा

विज्ञापन
Read Time: 2 mins

झारखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. झारखंड विधानसभा नियुक्ति घोटाले की सीबीआई जांच फिलहाल नहीं होगी. हाईकोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. झारखंड सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये कदम उठाया है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने ये फैसला लिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार की अर्जी मंजूर कर ली.

हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील निर्मल कुमार अंबस्ता के मुताबिक- हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने मामले की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. 

दरअसल, राज्य सरकार ने झारखंड विधानसभा नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश के चुनौती दी थी. इस सिलसिले में राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी. नियुक्ति घोटाले की जांच के आदेश को चुनौती देनेवाली यह दूसरी याचिका है. इससे पहले विधानसभा की ओर से एक याचिका दायर कर सीबीआई जांच के आदेश को रद्द करने की मांग की थी. यह मामला झारखंड विधानसभा में हुईं अवैध नियुक्तियों से जुड़ा है.

Advertisement

इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि विधानसभा में नियुक्तियां नियमों का उल्लंघन करके की गई हैं. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी और विधानसभा दोनों पक्षों को सुना. इसके साथ ही कोर्ट ने जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की एक सदस्यीय आयोग की ओर से तैयार जांच रिपोर्ट भी मांगी थी. आयोग की सिफारिश पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. याचिका में कहा कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग ने मामले की जांच कर वर्ष 2018 में राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी थी. इसके बाद राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष  को कार्रवाई करने का निर्देश दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Jharkhand Assembly Elections: 71% आदिवासी मतदाताओं का गणित किसके पक्ष में? | Hemant Soren