मणिपुर JDU में ये क्या हो रहा? स्टेट चीफ ने बिना चर्चा के ही वापस लिया BJP सरकार से समर्थन

जेडीयू के राष्ट्रीय संगठन ने मणिपुर सरकार से समर्थन वापसी से इनकार किया है और बीरेन सिंह को राज्य इकाई के अध्यक्ष पद से हटा दिया है.

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जेडीयू की मणिपुर इकाई ने राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया जबकि राष्ट्रीय इकाई ने इससे इनकार किया..
इम्फाल:

जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने बुधवार को मणिपुर की भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया. एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम में एनडीए के घटक जनता दल यूनाइटेड) ने मणिपुर सरकार से औपचारिक रूप से अपना समर्थन वापस ले लिया है. जेडीयू की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष बीरेन सिंह ने समर्थन वापसी का पत्र राज्यपाल को भेज दिया है. दूसरी तरफ जेडीयू के राष्ट्रीय संगठन ने मणिपुर सरकार से समर्थन वापसी से इनकार किया है और बीरेन सिंह को राज्य इकाई के अध्यक्ष पद से हटा दिया है.   

जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि, "यह भ्रामक और निराधार है. पार्टी ने इसका संज्ञान लिया है और पार्टी की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष को उनके पद से मुक्त कर दिया गया है. हमने एनडीए का समर्थन किया है और मणिपुर में एनडीए सरकार को हमारा समर्थन भविष्य में भी जारी रहेगा.'' 

उन्होंने कहा कि, ''मणिपुर इकाई ने केंद्रीय नेतृत्व से कोई संवाद नहीं किया, उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया. उन्होंने (मणिपुर जेडीयू प्रमुख) खुद ही पत्र लिखा था. इसे अनुशासनहीनता मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है और उन्हें पद से मुक्त कर दिया गया है... हम एनडीए के साथ हैं और राज्य इकाई मणिपुर के लोगों की सेवा करती रहेगी और राज्य के विकास में योगदान देगी."
 

जेडीयू की  मणिपुर इकाई के अध्यक्ष बीरेन सिंह ने राज्यपाल को समर्थन वापसी का पत्र भेज दिया था.

जेडीयू की राज्य इकाई के कदम को मणिपुर के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव के रूप में देखा जा रहा है. जेडीयू का सन 2022 से राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन है. अब जेडीयू के सत्तारूढ़ सरकार से अपना समर्थन वापस लेने से जेडीयू की स्थानीय इकाई के बीजेपी के संबंध पर सवाल उठ रहे हैं. मणिपुर में यह घटना कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी द्वारा पिछले साल नवंबर में समर्थन वापस लेने के कुछ ही महीनों के भीतर हुई.

उल्लेखनीय है कि साल 2022 में जेडीयू के छह में से पांच विधायकों ने भाजपा के प्रति निष्ठा बदल ली थी, जिससे राज्य में भाजपा की स्थिति और मजबूत हो गई थी.

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हालांकि जेडीयू के पीछे हटने के बावजूद उसके इस कदम से बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार की स्थिरता को तत्काल कोई खतरा नहीं था. राज्य में जेडीयू के एक मात्र विधायक हैं. राज्य विधानसभा में मजबूत बहुमत रखने वाली भाजपा बिना किसी महत्वपूर्ण व्यवधान के सत्ता पर अपना कब्जा बनाए रखेगी.

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