आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों (EWS) के लिए 10 फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने सोमवार को मुहर लगा दी है. 5 जजों में से 3 3 ने आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग (EWS Quota) रिजर्वेशन पर सरकार के फैसले को संवैधानिक ढांचे का उल्लंघन नहीं माना. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने अपनी राय रखी है. केसी त्यागी ने कहा, 'नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सवर्ण आयोग का गठन किया गया था. इसकी सिफारिश भी आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को आरक्षण देने की थी. हमें प्रसन्नता है कि सुप्रीम कोर्ट ने आज इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई है. सभी को इसका स्वागत करना चाहिए.'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस (सीजेआई) यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट EWS के रिजर्वेशन के खिलाफ रहे. जबकि जस्टिस माहेश्वरी, जस्टिस त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने पक्ष में फैसला सुनाया. यानी अब यह आरक्षण जारी रहेगा. इस फैसले का फायदा सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरी में मिलेगा.
केसी त्यागी ने आगे कहा, 'हम इस मूव के प्राइम मूवर्स हैं...हमारे नेता कर्पूरी ठाकुर ने 1978 में बिहार विधानसभा में यह प्रस्ताव रखा था. इसका आधार था मुंगेरीलाल कमीशन. जिसकी रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई थी कि सामान्य वर्ग के गरीब लोगों के लिए आरक्षण हो. इसके चलते कर्पूरी ठाकुर सरकार गिर गई थी.'
उन्होंने आगे कहा, '1990 में जब मंडल कमीशन लागू किया गया, तो उसका विरोध हुआ. लेकिन हमारे नेता वीपी सिंह ने सामान्य वर्ग के कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया था. आज जो लोग आर्थिक आधार पर सभी वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था चाहते हैं, वह मानसिक तौर पर बीमार हैं. वे लोग पूरी संवैधानिक व्यवस्था को बदल कर देश को गृह युद्ध की तरफ ले जाना चाहते हैं.'
कांग्रेस ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है. कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस आज के सुप्रीम कोर्ट के 103 वें संवैधानिक संशोधन को बरकरार रखने के फैसले का स्वागत करती है, जो एससी / एसटी / ओबीसी के साथ-साथ अन्य जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को (EWS) के लिए 10% आरक्षण कोटा प्रदान करता है.
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