जम्मू-कश्मीर की नई आरक्षण नीति! जानें सामान्य वर्ग को नौकरियों में मिलेगा कितना आरक्षण

2019 में अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के बाद नौकरियों में आरक्षण समेत कई नियमों में बड़े बदलाव हुए हैं. पिछले साल मार्च में, केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी भाषी लोगों और पद्दारी, कोली और गड्डा ब्राह्मण जैसे समूहों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया था.

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उमर अब्दुल्ला सरकार की नई आरक्षण नीति.
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  • जम्मू-कश्मीर सरकार ने सामान्य वर्ग को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने वाली नई आरक्षण नीति को LG के पास भेजा है.
  • नई नीति के तहत जम्मू-कश्मीर में 50 % सरकारी नौकरियां ओपन मेरिट या सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित होंगी.
  • मौजूदा नीति में सामान्य वर्ग को सरकारी भर्तियों में केवल चालीस प्रतिशत से भी कम सीटें मिलती हैं.
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श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक नई आरक्षण नीति को मंज़ूरी दे दी है, जिसमें सामान्य वर्ग को ज़्यादा प्रतिनिधित्व देने की सिफारिश की गई है. सीएम उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने औपचारिक आदेश जारी होने से पहले नई आरक्षण नीति को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पास उनकी मंज़ूरी के लिए भेजा है.

सूत्रों के मुताबिक, नई आरक्षण नीति में जम्मू-कश्मीर में अब 50% नौकरियां ओपन मेरिट या सामान्य वर्ग के लिए उपलब्ध होंगी. जबकि मौजूदा आरक्षण नीति में जम्मू-कश्मीर की करीब 70 प्रतिशत आबादी वाले सामान्य वर्ग को सरकारी भर्तियों में 40 % से भी कम सीटें मिलती हैं.

जम्मू-कश्मीर की नई आरक्षण नीति

जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार के गठन के बाद से ही आरक्षित वर्गों के लिए अनुपातहीन कोटे को लेकर भारी अशांति है. कैबिनेट उप-समिति ने एक साल की लंबी प्रक्रिया के बाद आरक्षण पर नई नीति बनाई है. सीएम उमर ने कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि उनकी सरकार सभी वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए नई आरक्षण नीति लेकर आई है. यह लोगों से किए गए वादे के मुताबिक है, जिसे मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा गया है. 

नौकरियों में आरक्षण समेत कई नियमों में बड़े बदलाव

2019 में अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के बाद नौकरियों में आरक्षण समेत कई नियमों में बड़े बदलाव हुए हैं. पिछले साल मार्च में, केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी भाषी लोगों और पद्दारी, कोली और गड्डा ब्राह्मण जैसे समूहों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया था. इससे पहले सिर्फ गुज्जर और बकरवाल जनजातियों को ही नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण के साथ अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला हुआ था.  पाराहियों को शामिल करने के बाद, अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण कोटा अब बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है.

अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, नियंत्रण रेखा, निवासी पिछड़ा क्षेत्र (आरबीसी) उन श्रेणियों में शामिल हैं, जिनकी वजह से जम्मू-कश्मीर में नौकरियों में आरक्षण 60 प्रतिशत से भी अधिक हो गया है. देश के बाकी हिस्सों के विपरीत, जम्मू-कश्मीर में सामान्य वर्ग को भर्तियों में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि नई नीति की बारीकियां उपराज्यपाल द्वारा इसे मंजूरी दिए जाने के बाद ही पता चलेंगी. सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने अब जम्मू-कश्मीर में नौकरियों में ओपन मेरिट प्रतिनिधित्व को बढ़ाकर 50% आरक्षण की सीमा सुनिश्चित कर दी है.

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