जम्‍मू कश्‍मीर : बुलडोजर कार्रवाई से हजारों लोगों के सामने बेदखली का संकट, विपक्षी पार्टियां केंद्र पर हमलावर 

महबूबा मुफ्ती ने कहा, "पहले हम सोचते थे कि फिलिस्‍तीन में इसराइल जो कर रहा है, बीजेपी उससे सीख ले रही है. हालांकि अब उन्होंने इसे फिलिस्‍तीन से भी बदतर बना दिया है. वे जम्मू-कश्मीर को अफगानिस्‍तान जैसा बनाना चाहते हैं."

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जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों से अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर चलाए जा रहे हैं.
श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में प्रशासन द्वारा जारी अतिक्रमण विरोधी अभियान बड़े विवाद में फंस गया है. प्रशासन ने पीढ़ियों से खेती कर रहे लोगों की जमीन और आवास योग्‍य भूमि को अवैध अतिक्रमण (Illegal Encroachment) घोषित कर दिया, जिसके बाद इलाके में बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है. विपक्षी दलों ने अधिकारियों पर गरीबों और राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है. साथ ही केंद्र सरकार पर लोगों को बेघर करने और रोजी-रोटी छिनने का आरोप लगाया है.

जम्मू कश्‍मीर में पिछले सप्ताह एक अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान पथराव के आरोप में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. साथ ही चार को हिरासत में लिया गया है. 

जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों से अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर चलाए जा रहे हैं और जमीन को वापस लेने के साथ ही कई ढांचों को तोड़ा गया है. 

प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि तोड़फोड़ अभियान कश्मीर में स्थिति "फिलिस्तीन से भी बदतर" हो रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को अफगानिस्तान में बदल रही है, एक ऐसा देश जो युद्धों और बड़े पैमाने पर बम विस्फोटों से तबाह हो गया है. 

मुफ्ती ने कहा, "पहले हम सोचते थे कि फिलिस्‍तीन में इसराइल जो कर रहा है, बीजेपी उससे सीख ले रही है. हालांकि अब उन्होंने इसे फिलिस्‍तीन से भी बदतर बना दिया है. वे जम्मू-कश्मीर को अफगानिस्‍तान जैसा बनाना चाहते हैं."

पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि केंद्र शेख अब्दुल्ला के 'जमीन को जोतने वाले' सुधार को उलटने की कोशिश कर रहा है, जिसने 1950 में जम्मू-कश्मीर में भूमिहीन किसानों को मालिकाना हक दिया था. 

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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है और जिस जमीन पर उनका कब्जा है, वहां से लोगों को बेदखल करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन की पहली प्रतिक्रिया बुलडोजर बन गया है. 

उन्होंने कहा, "उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए. एक भी नोटिस जारी किए बिना, वे सीधे बुलडोजर भेज रहे हैं. अगर किसी ने किसी संपत्ति पर कब्जा कर लिया है तो उन्हें नोटिस जारी करें, उन्हें जवाब देने का समय दें और फिर कार्रवाई करें."

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यह अभियान जनवरी में शुरू हुआ था, इसका उद्देश्य राजनेताओं और राज्‍य के वरिष्ठ अधिकारियों सहित कई लोगों द्वारा कथित रूप से अतिक्रमण की गई राज्य की भूमि को पुनः हासिल करना था.  आदेश पर हंगामा मचा तो जम्‍मू कश्‍मीर के उपराज्‍यपाल मनोज सिन्हा और उनके प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि अभियान में केवल "उच्च और शक्तिशाली" लोगों द्वारा किए गए अतिक्रमणों को ही लक्ष्‍य बनाया जाएगा, लेकिन किसी औपचारिक आदेश या मूल आदेश में संशोधन के अभाव में केंद्र शासित प्रदेश में बड़े पैमाने पर निष्कासन अभियान चलाया जा रहा है. 

राजस्व विभाग द्वारा पिछले महीने जारी आदेश के अनुसार, सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे राज्य की भूमि, पट्टे की भूमि, सामान्य उपयोग की भूमि और लोगों द्वारा कब्जा की गई चारागाह भूमि को पुनः प्राप्त करें. 

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विपक्ष का दावा है कि साम्प्रदायिक आधार पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं. 

पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने केंद्र सरकार पर बुलडोजर कार्रवाई के माध्यम से बेघर होने का आरोप लगाते हुए कहा कि लक्षित 90 फीसदी से अधिक लोग मुस्लिम हैं. उन्होंने इस मामले में हस्‍तक्षेप के लिए प्रधानमंत्री से अपील की है.  

उन्होंने कहा, "मैं प्रधानमंत्री से अपील करता हूं मुझे गलतफहमी थी कि आप सबके प्रधानमंत्री हैं. कृपया मुझे बताएं कि मेरा प्रधानमंत्री कौन है. गरीब लोगों का प्रधानमंत्री कौन है, आप बुलडोजर चला रहे हैं."

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लोन ने कहा, "इस अभियान में 90-95% अतिक्रमणकारी मुस्लिम हैं. यह दिखाने के लिए कि वे (प्रशासन) सभी के खिलाफ काम करते हैं, अन्य समुदायों के कुछ लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन उनमें से शेष मुस्लिम हैं." 

2007 में जम्मू और कश्मीर विधानसभा द्वारा पारित 2001 के रोशनी अधिनियम के तहत राज्य सरकार ने राज्य की भूमि पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक दिया है, जबकि कृषि भूमि उन लोगों को मुफ्त में दी गई थी जो उस पर खेती कर रहे थे. गैर-कृषि भूमि को मामूली शुल्क पर दे दिया गया था. 2018 में केंद्रीय शासन लागू होने के बाद राज्यपाल ने इसे निरस्त कर दिया था और आखिरकार 2020 में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने रोशनी योजना को अवैध घोषित कर दिया था. 

यहां तक ​​कि प्रशासन द्वारा दायर समीक्षा याचिका अभी भी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है. वहीं जम्मू-कश्मीर राजस्व विभाग ने पिछले महीने एक आदेश में जिला कलेक्टरों को सभी अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने के लिए कहा गया. 

इसके बाद से ही बड़े पैमाने पर अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. हजारों एकड़ भूमि को पुनः प्राप्त किया गया है, और कई निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया है. 

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