जम्मू कश्मीर को लेकर गठित परिसीमन आयोग ने एकसमान जनसंख्या अनुपात बनाए रखने के लिए जम्मू क्षेत्र की अधिकांश विधानसभा सीटों की सीमाओं को फिर से निर्धारित किया है और निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 37 से बढ़ाकर 43 कर दी है. आयोग ने जम्मू में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों को क्रमशः सात और पांच सीटें आरक्षित करके बड़ा प्रतिनिधित्व दिया है. तीन सदस्यीय आयोग ने बृहस्पतिवार को अपनी अंतिम रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए.
नयी सीटें छह जिलों- डोडा, किश्तवाड़, सांबा, राजौरी, कठुआ और उधमपुर से बनाई गई हैं. इसके साथ ही डोडा, किश्तवाड़ और सांबा में अब तीन-तीन सीटें, उधमपुर में चार, राजौरी में पांच और कठुआ की छह सीटें हो जाएंगी. किश्तवाड़ जिले को एक विधानसभा सीट पद्देर नागसेनी मिली है. डोडा जिले की नयी सीट डोडा पश्चिम है. जसरोटा कठुआ में नयी सीट है, उधमपुर में रामनगर और सांबा में रामगढ़ नयी सीट है.
आयोग ने जनता के आक्रोश को देखते हुए जम्मू जिले के सुचेतगढ़ निर्वाचन क्षेत्र को बरकरार रखा है. आयोग ने पांच सीटें - राजौरी, थानामंडी (राजौरी जिला), सुरनकोट, मेंढर (दोनों पुंछ जिला) और गुलबगढ़ (रियासी) - अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित की हैं, सात सीटें - रामनगर (उधमपुर), कठुआ, रामगढ़ (सांबा), बिश्नाह, सुचेतगढ़, माढ़ और अखनूर (सभी जम्मू) - को अनुसूचित जाति समुदाय के लिए आरक्षित किया गया है. कश्मीर के दलों ने परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को खारिज किया
श्रीनगर, पांच मई (भाषा) कश्मीर के राजनीतिक दलों ने जम्मू कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों के पुन: सीमांकन पर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि यह घाटी में राजनीतिक रूप से लोगों को कमजोर करने का प्रयास है.
जम्मू कश्मीर में परिसीमन की कवायद में लगे तीन सदस्यीय आयोग ने बृहस्पतिवार को अपने अंतिम आदेश में 47 विधानसभा क्षेत्र कश्मीर के लिए और 43 जम्मू के लिए चिह्नित किये. आयोग का दो साल का कार्यकाल कल ही समाप्त होने वाला है.
उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले आयोग ने जम्मू को छह अतिरिक्त सीटें और कश्मीर को एक और सीट देने वाले अंतिम आदेश पर हस्ताक्षर किये जिसके बाद राजपत्रित अधिसूचना जारी की गयी. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर में हर विधानसभा क्षेत्र पर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के असर का अध्ययन कर रही है. पार्टी ने यह भी कहा कि जब भी केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव होंगे, मतदाता भारतीय जनता पार्टी और उसके छद्म चेहरों को सजा देंगे.
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ट्वीट किया, ‘‘हमने परिसीमन आयोग की अंतिम सिफारिशें देखी हैं. हम प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए इन सिफारिशों के प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं.'' पार्टी ने कहा, ‘‘राजनीति से प्रेरित कितना भी परिसीमन क्यों न कर दिया जाए लेकिन इससे जमीनी सचाई नहीं बदलने वाली, जो यह है कि जब भी चुनाव होंगे तब मतदाता भाजपा और इसके छद्म दलों को नहीं बख्शेंगे, उन्होंने बीते चार साल में जम्मू-कश्मीर में जो किया है उसके लिए मतदाता उन्हें दंडित करेंगे.''
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कहा कि आयोग की अंतिम रिपोर्ट ने परिसीमन की कवायद शुरू किये जाते समय जताये गये पार्टी के डर को सच साबित कर दिया है. पीडीपी के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘पीडीपी ने पहले दिन से ही इस कवायद को 5 अगस्त, 2019 को एक समुदाय और एक क्षेत्र की जनता को कमजोर करने के लिए शुरू की गयी प्रक्रिया के विस्तार की तरह देखा.''
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अनंतनाग में एक समारोह में शामिल होने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘किस परिसीमन की बात कर रहे हैं आप? उस परिसीमन आयोग की, जो भाजपा की विस्तार इकाई बन गया है? उसने जनसंख्या के बुनियादी मानदंड की अनदेखी की है और उनकी इच्छाओं के विपरीत क्षेत्रों को जोड़ा या घटाया है. हम इसे खारिज करते हैं, हमें इसमें कोई भरोसा नहीं है.''
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर की जनता के अधिकार कम करने के लिए आयोग का गठन किया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘परिसीमन आयोग उसी सोच का हिस्सा है जिसके तहत अनुच्छेद 370 का प्रावधान समाप्त किया गया. उद्देश्य जम्मू कश्मीर की जनता के अधिकारों को कम करना और उन्हें कमजोर करना है. यह जनता के अधिकार कम करने का एक और तरीका है.''
चुनाव में पीडीपी की भागीदारी संबंधी प्रश्न पर पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘कौन से चुनाव? चुनाव की कोई संभावना नजर नहीं आती. हमें कुछ नहीं पता.'' सज्जाद गनी लोन की पीपल्स कॉन्फ्रेंस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर आरोप लगाया कि आयोग के विचार-विमर्श में उसके सांसदों ने भाग लिया था और इस तरह उसने परिसीमन की कवायद को अपनी स्वीकृति दी.
हालांकि पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने कहा कि परिसीमन की रिपोर्ट पहले का दोहराव ही है. उसने कहा कि बीते छह दशक में जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सीटों में कश्मीर की हिस्सेदारी 43 से बढ़ाकर 47 कर दी गई जबकि जम्मू का प्रतिनिधित्व 30 से बढ़कर 43 हो गया. पार्टी ने कहा कि 1947 के बाद से कश्मीरी लोगों के अधिकारों को सुनियोजित तरीके से छीनने के लिए कौन जिम्मेदार है.
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माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा कि परिसीमन आयोग का गठन परिसीमन अधिनियम, 2002 के तहत किया गया, लेकिन उसने केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की विधानसभाओं का पुन: सीमांकन जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुरूप किया है जिसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी है. कांग्रेस वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि रिपोर्ट पर सरसरी नजर डालें तो इसके ‘अत्यंत नकारात्मक' पहलू दिखाई देते हैं, जिसे जम्मू कश्मीर की जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी.