कभी थे कांग्रेस की आवाज, अब BJP का रख रहे पक्ष : पाला बदलने वालों की क्यों लंबी हो रही फेहरिस्त

गौरव वल्लभ से पहले जयवीर शेरगिल, शहजाद पूनावाला और रीता बहुगुणा जोशी जैसे प्रवक्ताओं ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था.

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नई दिल्ली:

टीवी डिबेट्स के दौरान कभी कांग्रेस का पक्ष रखने वाले और सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधने वाले अब केंद्र सरकार की बात रखते हैं और कांग्रेस और विपक्ष पर निशाना साध रहे हैं. ताजा नाम गौरव वल्लभ का है, जो उन उन कांग्रेस प्रवक्ताओं की लिस्ट में शामिल हो गए, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में भाजपा का साथ पकड़ा है. भाजपा नेताओं पर तीखे प्रहारों वाली वल्लभ की वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होती दिख जाती हैं. उन्होंने गुरुवार सुबह कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और कुछ ही घंटों बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली.

कुछ देर बाद मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वह पार्टी की दिशाहीनता से खुश नहीं हैं. उन्होंने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे को लिखे अपने इस्तीफे में कहा, "मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता. इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूं."

कांग्रेस में रहते हुए गौरव वल्लभ ने झारखंड और राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों जगह ही नहीं जीत पाए थे.

पहली बगावत नहीं...
गौरव वल्लभ से पहले जयवीर शेरगिल, शहजाद पूनावाला और रीता बहुगुणा जोशी जैसे प्रवक्ताओं ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का साथ पकड़ा था. शेरगिल कांग्रेस के साथ बतौर मीडिया पैनेलिस्ट करीब एक दशक तक रहने के बाद 2022 में भाजपा ज्वाइन कर लिया था. कांग्रेस के प्रवक्ताओं में दूसरे बड़े चेहरे पूनावाला ने 2017 में अपनी पार्टी पर निशाना साधते हुए भाजपा में शामिल हो गए थे.  2021 में उन्हें दिल्ली भाजपा की सोशल मीडिया विंग का प्रभारी भी बनाया गया था.

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रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस में रहते मंत्री पद पर रहीं और यूपी में पार्टी की कमान भी संभाली. लेकिन 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में 2016 में शीला दीक्षित को सीएम उम्मीदवार के तौर पर आगे बढ़ाने पर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गईं. 

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इनके बाद प्रियंका चतुर्वेदी ने 2019 में कांग्रेस से पाला बदलकर शिवसेना पहुंच गई थीं. लेकिन उन्होंने NDA से शिवसेना के बाहर निकलने और कांग्रेस से हाथ मिलाने से पहले यह फैसला लिया था. लेकिन शिवसेना के दो टुकड़े होने के बाद चतुर्वेदी अभी उद्धव ठाकरे टीम के साथ हैं.

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बगावत की क्या वजह?
कांग्रेस छोड़ने वाले ज्यादात्तर प्रवक्ताओं ने पार्टी नेतृत्व तक आसान पहुंच नहीं होने और 'वंशवाद' का आरोप लगाकर पाला बदला है. शेरगिल ने कहा था कि उन्होंने एक साल तक गांधी परिवार से मिलने की कोशिश की, लेकिन शीर्ष नेतृत्व के करीबी लोगों ने उन्हें झुकने के लिए मजबूर कर दिया." पूनावाला ने कहा था कि उन्हें "वंशवाद के खिलाफ बोलने के लिए मजबूर किया गया". इससे पहले, उन्होंने राहुल गांधी को कांग्रेस के लिए उनके विजन पर एक टीवी बहस की चुनौती दी थी. उन्होंने कहा था, "हमारा मूल्यांकन योग्यता के आधार पर किया जा सकता है, सरनेम के आधार पर नहीं."

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रीता बहुगुणा जोशी ने कहा था कि सोनिया गांधी वरिष्ठ नेताओं को सुनती थीं और उन्हें खुली छूट दे रखी थी, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में ऐसा नहीं हुआ.

चतुर्वेदी ने तब पद छोड़ दिया था, जब पार्टी ने उन कुछ नेताओं को बहाल कर दिया जिन पर उन्होंने दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था. उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें आगे बढ़ने के लिए मौका देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

कितना बड़ा झटका?
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वल्लभ का भाजपा में जाना कांग्रेस के इलेक्शन कैंपेन के लिए एक बड़ा झटका है. विशेष रूप से ऐसे समय में जब पार्टी के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक सुप्रिया श्रीनेत भाजपा उम्मीदवार और एक्ट्रेस कंगना रनौत के खिलाफ एक आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर निशाने पर हैं.  एक अन्य वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा पर भी भाजपा ने प्रधानमंत्री का अपमान करने को लेकर आरोप लगया था. इनके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला भी बीजेपी सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी पर अपनी टिप्पणी को लेकर आलोचना झेल रहे हैं.

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