झांसी की रानी और सिंधिया राजघराने के इतिहास को लेकर ट्विटर पर भिड़े जयराम रमेश और ज्योतिरादित्य

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच बृहस्पतिवार को ट्विटर पर उस वक्त वाकयुद्ध देखने को मिला जब रमेश ने ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख करते हुए दावा किया कि सिंधिया राजघराने ने झांसी की रानी के साथ विश्वासघात किया था.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच बृहस्पतिवार को ट्विटर पर उस वक्त वाकयुद्ध देखने को मिला जब रमेश ने ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख करते हुए दावा किया कि सिंधिया राजघराने ने झांसी की रानी के साथ विश्वासघात किया था. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रमेश पर पलटवार करते हुए कहा कि मराठे - सिंधिया, पेशवा और झांसी के नेवालकर अंग्रेजों के विरुद्ध एक साथ थे तथा ऐसे में कांग्रेस नेता को ‘विभाजनकारी राजनीति' बंद करनी चाहिए.

दिलचस्प बात यह है कि रमेश ने अपनी दावे के पक्ष में विनायक दामोदर सावरकर की पुस्तक का हवाला दिया तो सिंधिया ने अपने पक्ष में जवाहरलाल नेहरू की किताब के एक अंश का उल्लेख किया. रमेश ने सिंधिया पर कटाक्ष करते हुए कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की एक मशहूर रचना का एक अंश ट्वीट किया, ‘‘अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी.''

इसे रिट्वीट करते हुए सिंधिया ने कहा, ‘‘कविताएं कम और इतिहास ज़्यादा पढ़ें. जवाहरलाल नेहरू की किताब, ‘ग्लिम्पसेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री' में कहा गया है: इस प्रकार उन्होंने (मराठों ने) दिल्ली साम्राज्य को जीता. मराठा ब्रिटिश वर्चस्व को चुनौती देने के लिए बने रहे. लेकिन मराठा शक्ति ग्वालियर के महादजी सिंधिया की मृत्यु के बाद टुकड़े-टुकड़े हो गई.''

इसके बाद रमेश ने एक और ट्वीट किया, ‘‘इतिहास की कोई किताब उठा लीजिये. 1857 में झांसी की रानी के साथ गद्दारी के मुद्दे पर सभी इतिहासकार एकमत हैं. आपके नये भगवान सावरकर ने भी अपनी किताब '1857 का स्वातंत्र समर' में रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे और अन्य लोगों के साथ सिंधिया की गद्दारी का जिक्र किया है. इतिहास आप पढ़िये.'

फिर सिंधिया ने कहा, ‘‘कभी 1857 के वीर शहीद तात्या टोपे के वंशज पराग टोपे की ख़ुद की लिखी किताब ‘ऑपरेशन रेड लोटस' पढ़िए. ज्ञात हो जाएगा कि किस प्रकार हम मराठे - सिंधिया, पेशवा और झांसी के नेवालकर अंग्रेजों के विरुद्ध एक साथ थे. मराठा आज भी एक हैं. कृपया यह “विभाजनकारी” राजनीति बंद करें.''

Advertisement

ये भी पढ़ें:- 
सरकार ने बदला गैस की कीमत तय करने का फॉर्मूला, जानें- CNG और PNG कितनी हो सकती हैं सस्ती?
"यह व्यक्तिगत नहीं" : भाजपा में शामिल होने के लिए पिता के आलोचना करने पर NDTV से बोले अनिल एंटनी

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Syed Suhail | Delhi Air Pollution: जहरीली हवा से दिल्ली में पलायन? | Bharat Ki Baat Batata Hoon