प्रसिद्ध जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने रविवार को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में चंद्रगिरि तीर्थ में 'सल्लेखना' के बाद अंतिम सांस ली. तीर्थ के एक बयान में कहा गया है कि सल्लेखना एक जैन धार्मिक प्रथा है, जिसमें आध्यात्मिक शुद्धि के लिए स्वैच्छिक आमरण उपवास शामिल है. पीएम मोदी ने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया है.
तीर्थ ने कहा कि आचार्य विद्यासागर महाराज ने सुबह 2:35 बजे चंद्रगिरि तीर्थ पर 'सल्लेखना' के माध्यम से समाधि प्राप्त की. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे."
पीएम मोदी ने बताया, "आचार्य विद्यासागर महाराज जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे. यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा. पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनसे हुई भेंट मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगी. तब आचार्य जी से मुझे भरपूर स्नेह और आशीष प्राप्त हुआ था. समाज के लिए उनका अप्रतिम योगदान देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा."
संत आचार्य विद्यासागर, आचार्य ज्ञानसागर के शिष्य थे. जब आचार्य ज्ञानसागर ने समाधि ली थी तब उन्होंने अपना आचार्य पद मुनि विद्यासागर को सौंप दिया था. तभी मुनि विद्यासागर महज 26 वर्ष की आयु में ही 22 नवंबर 1972 को आचार्य हो गए थे