- धनखड़ ने मीटिंग में एक वरिष्ठ मंत्री से कहा कि सरकार से पूछ कर यह बताएं कि पीएम ऑपरेशन सिंदूर पर कब बोलेंगे.
- इसके बाद वे लंच के लिए घर चले गए और तब एक वरिष्ठ मंत्री के दो बार फोन करने के बावजूद वे लाइन पर नहीं आए.
- फिर सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि धनखड़ को हटाने के प्रस्ताव को अगले दिन के लिए न टाला जाए.
जगदीप धनखड़ के रहस्यमय त्यागपत्र को लेकर हर दिन नई बातें सामने आ रही हैं. वैसे तो आधिकारिक तौर पर यह स्वास्थ्य कारणों से दिया गया त्यागपत्र बताया गया है किंतु एनडीटीवी यह खुलासा कर चुका है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ विपक्ष के प्रस्ताव का बिना सरकार की सहमति के सदन में जिक्र करना उनके त्यागपत्र का प्रमुख कारण बना. एनडीटीवी ने यह भी रिपोर्ट किया था कि सरकार ने उन्हें हटाने की तैयारी कर ली थी और उनके पास त्यागपत्र देने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा था. एक वरिष्ठ मंत्री ने धनखड़ को यह स्पष्ट कर दिया था कि सरकार इस पक्ष में नहीं है कि वे राज्य सभा में जस्टिस वर्मा को हटाने के विपक्ष के प्रस्ताव का जिक्र करें. लेकिन इसके बावजूद धनखड़ ने सरकार को दरकिनार करते हुए विपक्ष के प्रस्ताव का जिक्र किया जिसके बारे में अब कहा गया है कि यह प्रस्ताव एडमिट नहीं हुआ था.
इस्तीफे की नई जानकारी सामने आई
अब नई जानकारी के अनुसार सरकार ने जगदीप धनखड़ को अपने त्यागपत्र को टालने का रास्ता नहीं छोड़ा था. 21 जुलाई को जब दोपहर में उन्होंने सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के दो बार फोन करने के बावजूद बातचीत नहीं की तभी यह सरकार को यह लग गया था कि वे अलग रास्ते पर निकल चुके हैं. बीएसी की सुबह की बैठक में उन्होंने कहा कि मंत्री सरकार से पूछ कर यह बताए कि पीएम ऑपरेशन सिंदूर पर कब बोलेंगे. तब इन मंत्रियों को कहना पड़ा कि पीएम सदन में कब बोलेंगे यह न तो चेयर तय कर सकती है और न ही विपक्ष. इसके बाद वे लंच के लिए घर चले गए और तब एक वरिष्ठ मंत्री के दो बार फोन करने के बावजूद वे लाइन पर नहीं आए. शाम चार बजे उन्होंने सदन में जस्टिस वर्मा के खिलाफ विपक्ष के प्रस्ताव का जिक्र किया लेकिन इस बीच उन्हें हटाने की मुहिम सिरे चढ़ चुकी थी.
राजनाथ सिंह के कमरे में क्या हुआ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कमरे में एनडीए के सभी राज्य सभा सांसदों के दस्तखत ले लिए गए थे. सूत्रों के अनुसार राज्य सभा में अब एनडीए को 134 सांसदों का समर्थन हासिल है. सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि धनखड़ को हटाने के प्रस्ताव को अगले दिन के लिए न टाला जाए. इसीलिए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को एनडीए के सांसदों के दस्तखत वाले इस प्रस्ताव को बंद लिफाफे में दिया गया और वे सभापति के चैंबर में जाकर बैठ गए. कोशिश यह थी कि पांच बजे से पहले यह प्रस्ताव दे दिया जाए ताकि मामला अगले दिन के लिए न टले. सूत्रों के अनुसार चार बज कर पचास मिनट पर यानी पांच बजने में दस मिनट पहले ही यह सीलबंद लिफाफा राज्य सभा सचिवालय को सौंप दिया गया.
फिर आया धनखड़ का इस्तीफा
हालांकि, सरकारी सूत्र अब भी यह बताने को तैयार नहीं हैं कि इस सील बंद लिफाफे में वह प्रस्ताव क्या था, जिस पर सभी एनडीए राज्यसभा सांसदों के दस्तखत कराए गए थे. लेकिन यह पुख्ता जानकारी मिली है कि इसमें जगदीप धनखड़ को हटाने का प्रस्ताव था, जिसके बारे में उसी रात को सभी सांसदों को वरिष्ठ मंत्रियों ने दस-दस सांसदों के ग्रुप में ब्रीफ किया था. बल्कि मंत्रियों की ओर से सांसदों को यहां तक प्रस्ताव दिया गया था कि अगर वे चाहें तो अपने दस्तखत वापस ले सकते हैं. हालांकि, इसकी जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि तब तक धनखड़ इस्तीफा दे चुके थे.