जगदीप धनखड़ ने इस्तीफे के 40 दिन बाद छोड़ा उपराष्ट्रपति निवास, जानें कहां हुए शिफ्ट

जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए, संसद के मानसून सत्र के पहले दिन 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था.

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  • पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इस्तीफे के 40 दिन बाद निवास छोड़कर छतरपुर के फार्महाउस में शिफ्ट हुए.
  • धनखड़ को 34 एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर टाइप आठ बंगला आवंटित किया गया है, जिसे तैयार होने में तीन महीने लगेंगे.
  • राजस्थान में पूर्व विधायक के रूप में पेंशन के लिए भी धनखड़ ने आवेदन किया है, जो 42 हजार रुपये प्रति माह है.
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नई दिल्ली:

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफे के 40 दिन बाद उपराष्ट्रपति निवास छोड़ दिया है. अब वो छतरपुर के गदाईपुर में एक प्राइवेट घर में शिफ्ट हो गए हैं. हालांकि यह एक वैकल्पिक व्यवस्था है. सरकार जब टाइप आठ बंगला आवंटित करेगी तो वो वहां शिफ़्ट हो जाएंगे.

वैसे जगदीप धनखड़ को 34 एपीजे अब्दुल कलाम रोड वाला बंगला आवंटित हुआ है, लेकिन इसे तैयार होने में अभी करीब तीन महीने लगेंगे. तब तक धनखड़ छतरपुर में रहेंगे. ये अभय चौटाला का फ़ार्महाउस है.

पूर्व उपराष्ट्रपति को अभी तक अलॉट नहीं हुआ है सरकारी बंगला

सूत्रों के अनुसार पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अभी अपने लिए सरकारी आवास को लेकर शहरी विकास मंत्रालय को नियम अनुसार, पूर्व उपराष्ट्रपति को मिलने वाले सरकारी बंगले के लिए पत्र लिखा है. सूत्रों के अनुसार लेकिन अभी तक उन्हें सरकारी बंगला अलॉट नहीं किया गया है. जब तक उन्हें सरकारी बंगला अलॉट नहीं हो जाता है तब तक वो छतरपुर के फार्म हाउस में रहेंगे.

हालांकि शहरी विकास मंत्रालय के तहत आने वाले डायरेक्टर ऑफ़ एस्टेट ने पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के लिए 34 एपीजे अब्दुल कलाम मार्ग पर टाइप 8 का बंगला ख़ाली करा लिया है.

सीपीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की तरफ से उपराष्ट्रपति सचिवालय को दी गई जानकारी के अनुसार अभी बंगले की रिपेयरिंग और साज सज्जा में तीन महीने का समय लगेगा. नियम के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री को लुटियन जोन में टाइप 8 बंगला या उनके पैतृक स्थान पर 2 एकड़ की भूमि दी जाती है.

धनखड़ ने राजस्थान में पूर्व विधायक के तौर पर पेंशन के लिए किया है आवेदन

बता दें कि दो दिन पहले ही पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राजस्थान में पूर्व विधायक के तौर पर पेंशन के लिए आवेदन किया था. धनखड़ 1993 से 1998 तक किशनगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक रहे थे. उन्होंने जुलाई 2019 तक पूर्व विधायक के रूप में पेंशन प्राप्त की. धनखड़ के पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त होने के बाद यह पेंशन रोक दी गई थी.

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अधिकारियों ने बताया कि उपराष्ट्रपति पद से 21 जुलाई को हटने के बाद, धनखड़ ने पूर्व विधायक के रूप में पेंशन बहाल करने के लिए राजस्थान विधानसभा सचिवालय में नए सिरे से आवेदन दिया है. उन्होंने बताया कि सचिवालय ने इस आवेदन पर प्रक्रिया शुरू कर दी है और उनकी पेंशन उपराष्ट्रपति के रूप में उनके इस्तीफे की तारीख से लागू होगी.

पूर्व विधायक होने के नाते धनख़ड़ को 42,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे

राजस्थान में पूर्व विधायक की पेंशन एक कार्यकाल के लिए 35,000 रुपये प्रति माह से शुरू होती है तथा अतिरिक्त कार्यकाल और उम्र के साथ बढ़ती जाती है. 70 वर्ष से अधिक आयु वालों को 20 प्रतिशत की वृद्धि का लाभ मिलता है. अधिकारियों के अनुसार, धनखड़ (74) पूर्व विधायक होने के नाते 42,000 रुपये प्रति माह के हकदार हैं.

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इस बीच अधिकारियों ने बताया कि धनखड़ तीन पेंशन के हकदार हैं - पूर्व उपराष्ट्रपति, पूर्व सांसद और राजस्थान विधानसभा के पूर्व सदस्य के रूप में. पश्चिम बंगाल का पूर्व राज्यपाल होने के नाते धनखड़ के लिए कोई पेंशन लाभ नहीं है, लेकिन पूर्व राज्यपाल होने के नाते उन्हें सचिव के रूप में एक कर्मी रखने के एवज में 25,000 रुपये की मासिक प्रतिपूर्ति मिल सकती है. एक बार के सांसद के रूप में उन्हें अन्य लाभों के अलावा 45,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलती है.

पूर्व उपराष्ट्रपति को मिलता है लगभग 2 लाख प्रति माह का पेंशन और टाइप-8 बंगला

पूर्व उपराष्ट्रपति होने के नाते धनखड़ लगभग 2 लाख रुपये प्रति माह पेंशन, टाइप-8 बंगला, एक निजी सचिव, एक अतिरिक्त निजी सचिव, एक निजी सहायक, एक चिकित्सक, एक नर्सिंग अधिकारी और चार निजी परिचारक पाने के हकदार हैं. पूर्व उपराष्ट्रपति का निधन होने की स्थिति में, उनके जीवनसाथी को टाइप-7 श्रेणी का आवास मिलता है. जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए, संसद के मानसून सत्र के पहले दिन 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था.