"ये जिंदा रहने की लड़ाई है", मेट्रो कार शेड के खिलाफ आदित्य ठाकरे ने की प्रदर्शन की अगुवाई

आदित्य ठाकरे ने कहा कि ये मुंबई के लिए लड़ाई है, इसे जिंदा रहने की लड़ाई भी कह सकते हैं. हम यहां सिर्फ जंगल के लिए लड़ रहे हैं क्योंकि हम अपने आदिवासियों को बचाना चाहते हैं.

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जंगल काटे जाने के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में पहुंचे आदित्य ठाकरे

मुंबई:

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे रविवार को मेट्रो कार शेड के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आरे पहुंचे. उन्होंने इस दौरान प्रदर्शन की अगुवाई भी की. आदित्य ठाकरे ने कहा कि ये मुंबई के लिए लड़ाई है, इसे जिंदा रहने की लड़ाई भी कह सकते हैं. हम यहां सिर्फ जंगल के लिए लड़ रहे हैं क्योंकि हम अपने आदिवासियों को बचाना चाहते हैं. जब तक हम यहां हैं, एक भी पड़े उखाड़ने नहीं देंगे. उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र की सरकार हमसे गुस्सा है, उसे इस शहर पर ना निकालें. जंगल और पर्यावरण को बचाने की जरूरत है. बता दें कि राज्य में बनी एकनाथ शिंदे की सरकार ने सत्ता में आते ही मेट्रो शेड बनाने के लिए आरे जंगल से पेड़ों की कटाई को फिर से शुरू करने की बात कही है. सरकार के इस फैसले के बाद ही स्थानीय लोग और पर्यावरण संरक्षक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. 

प्रदर्शन के दौरान लोगों ने पोस्टर की मदद से नई सरकार के उस फैसले का विरोध किया, जिसके तहत मेट्रो कार शेड का निर्माण एक बार फिर आरे जंगल क्षेत्र में कराने की बात कही गई है. ध्यान हो कि आदित्य ठाकरे ने रविवार को आरे मेट्रो कारशेड परियोजना को हरी झंदी नहीं देने की राज्य के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से अपील की थी. उन्होंने ट्वीट किया, "मैं नम्रतापूर्वक नई सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करता हूं. हमारे प्रति अपने नफरत को हमारे प्रिय मुंबई पर मत निकालो." ये ट्वीट उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर के चुनाव के लिए आयोजित दो दिवसीय विशेष सत्र में शामिल होने से पहले किया था

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आदित्य ठाकरे का ये बयान तब सामने आया था जब कल ही पूर्व मुख्यमंत्री और आदित्य ठाकरे के पिता उद्धव ठाकरे द्वारा कहा गया था कि वह "बहुत परेशान" हैं. उन्होंने भी सरकार से मेट्रो कारशेड योजना को हरी झंडी नहीं देने का आग्रह किया था. आदित्य ठाकरे ने कहा कि आरे जंगल की सुरक्षा, जिसे कई लोग मुंबई का 'ग्रिन लंग्स' कहते हैं, 2,700 पेड़ों की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मुंबई की बायोडायवर्सिटी की रक्षा के बारे में है. . 

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