कश्‍मीर में आतंकवाद कब होगा खत्‍म...? डीजीपी स्वैन ने कहा- "कुछ और वक्त लगेगा..."

जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर.आर. स्वैन ने बताया कि सरकार उच्च स्तर पर आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने और उसे कमजोर बनाने की योजना बना रही है. इस तंत्र में वे सभी लोग शामिल हैं, जो युवाओं को आतंकी रास्ते पर लेकर आते हैं, उन्हें हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराते हैं, घुसपैठ में मदद करते हैं, वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं.

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आंतकवाद और भ्रष्टाचार के बीच की कड़ी को तोड़ने की योजना जारी...
श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में अब माहौल पैसे जैसा नहीं है... अब आतंकवाद (Terrorism in Kashmir) की वारदात बेहद कम हो गई हैं. पत्‍थरबाजी की घटनाएं भी लगभग खत्‍म हो गई हैं. हालांकि, घाटी से आतंकवादी अभी पूरी तरह से खत्‍म नहीं हुआ है. जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर.आर. स्वैन ने शनिवार को कहा कि घाटी में आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने में कुछ और वक्त लगेगा. उन्होंने कहा कि पुलिस आतंकवाद को रोकने के लक्ष्य को हासिल करने के अलावा घुसपैठ को पूर्ण रूप से रोकने, आतंकवाद में शामिल होने वाले युवाओं के मामलों पर पूर्ण रूप से लगाम लगाने और हथियार व गोला-बारूद की तस्करी की घटनाओं पर पूर्ण रूप से शिकंजा कसने की दिशा में निरंतर काम कर रही है.

विदेशी आतंकवादी अब भी एक खतरा

पीटीआई की 'वीडियो सेवा' को दिए एक इंटरव्‍यू में स्वैन ने यह भी कहा कि इस साल स्थानीय आतंकवादियों की संख्या में भारी कमी आई है. उन्होंने कहा कि इस साल स्थानीय आतंकवादियों की संख्या 20 से भी कम दर्ज की गई, जबकि 2022 में यह संख्या 100 थी. उन्होंने हालांकि स्वीकार किया कि विदेशी आतंकवादी अब भी एक खतरा बना हुआ है. उन्होंने कहा, ''पिछले साल इस अवधि तक यह संख्या 100 थी.अगर मुझे ठीक याद है, तो इस साल यह संख्या 20 से भी कम है. यहां विदेशी आतंकवादी भी हैं, जिसमें कोई संदेह नहीं है. लेकिन स्थानीय आतंकवादियों की संख्या में कमी आई है."

विदेशी आतंकवादियों की संख्या जगजाहिर नहीं करना चाहते

डीजीपी स्वैन ने कहा, "हम विदेशी आतंकवादियों की संख्या जगजाहिर नहीं करना चाहते, लेकिन यह हमारे लिए एक चुनौती जरूर हैं." डीजीपी ने कहा कि पुलिस एक ऐसी प्रणाली की दिशा में काम कर रही है, जिसकी मदद से आतंक संबंधी घटनाओं की संख्या सबसे कम होगी. उन्होंने कहा, "हम घुसपैठ पर पूर्ण रूप से लगाम लगाने और आतंकवाद में शामिल होने के मामलों पर शिकंजा कसने की दिशा में काम करेंगे. हम हथियारों, गोला-बारूद की तस्करी को पूर्ण रूप से रोकने की दिशा में भी काम करेंगे. स्वापक विभाग भी सख्ती से निपटेगा. आतंकवाद वित्त पोषण पर पूर्ण रूप से लगाम लगाई जाएगी और सबसे जरूरी आतंकवाद के प्रचार-प्रसार और उसका समर्थन करने वाली विचारधारा के साथ भी सख्ती से निपटा जाएगा."

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हमलों को विफल करने के लिए पुलिस क्या कर रही?

आतंकी हमलों को विफल करने के लिए पुलिस क्या कर रही है, इस सवाल पर डीजीपी ने कहा कि कार्य की प्रगति को मामलों की कुल संख्या में गिरावट के तौर पर देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "प्रगति को आप घटना की संख्या के तौर पर नहीं देख सकते, बल्कि आपको कुल मामलों में गिरावट के तौर पर देखना चाहिए. हमारे पास योजना है और मुझे लगता है कि योजना जारी है." 

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सरकार उच्च स्तर पर आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने और उसे कमजोर बनाने की योजना बना रही है. इस तंत्र में वे सभी लोग शामिल हैं, जो युवाओं को आतंकी रास्ते पर लेकर आते हैं, उन्हें हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराते हैं, घुसपैठ में मदद करते हैं, वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं और लक्ष्यों की पहचान करने में मदद करते हैं.

आंतकवाद और भ्रष्टाचार के बीच की कड़ी तोड़ने की योजना

स्वैन ने कहा, "यह सभी चीजें आतंकवाद पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं. इसलिए हम निरंतर काम कर रहे हैं. लोगों की पहचान की जा रही है." यह पूछने पर कि अगर पाकिस्तान बर्फबारी की वजह से रास्तों के बंद होने से पहले घाटी में आंतकवादियों को भेजता है तो, इस पर स्वैन ने कहा कि पड़ोसी देश हमेशा से आतंकियों को भेजने का प्रयास करता रहा है. डीजीपी ने जोर देकर कहा, "यह हम सभी अब अच्छी तरह से जानते हैं. ऐसा कोई संकेत नहीं है कि वे इसे रोक लेंगे. लेकिन हमारे ओर से भी अब कोई रुकने वाला नहीं है. हम दृढ़ता से लड़ रहे हैं और बहुत समझदारी से, वैज्ञानिक रूप से और स्पष्ट व व्यवस्थित तरीके से ऐसा करना जारी रख हुए हैं." उन्होंने कहा कि आंतकवाद और भ्रष्टाचार के बीच की कड़ी को तोड़ने की योजना जारी है.

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