अब्दुल्ला आजम मामला : कपिल सिब्बल बोले-भरोसा कम हो रहा तो SC ने कहा, हारने वाला भी संतुष्ट होकर जाए

सिब्बल ने जवाब दिया कि अगर बार और बेंच, दोनों खेल के नियमों का पालन करेंगे तो स्थिति में विश्वास कायम रहेगा.

Advertisement
Read Time: 21 mins
नई दिल्ली:

मंगलवार को सपा नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां की अपील पर बहस के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और सुप्रीम कोर्ट के बीच दिलचस्प दलीलें रखी गईं. कपिल सिब्बल ने कहा कि धीरे-धीरे संस्था पर विश्वास कम हो रहा है. वहीं उनकी बातों का  जस्टिस बीवी नागरत्ना ने खुलकर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जीतने वाले पक्ष जो महसूस करता है उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हारने वाला पक्ष क्या महसूस करता है. हारने वाले पक्ष को भी संतुष्ट होकर वापस जाना चाहिए.

कपिल सिब्बल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष कहा यदि वादी को लगता है कि उसकी सुनवाई की गई है और कानून को सही तरीके से लागू किया गया है तो विश्वास बना रहेगा, भले ही फैसला उसके खिलाफ ही क्यों न हो. सिब्बल ने जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ से कहा कि जिस कुर्सी पर आप बैठते हैं, उसके लिए हमारे मन में बहुत सम्मान है. यह एक ऐसी 'शादी' है जिसे बार और बेंच के बीच नहीं तोड़ा जा सकता है. यहां कोई अलगाव नहीं है. जब हमें पता चलता है कि इस छोर पर क्या हो रहा है और दूसरे छोर पर क्या हो रहा है तो यह मेरे जैसे व्यक्ति को परेशान करता है, जिसने इस अदालत को पूरी जिंदगी दे दी है.

कपिल सिब्बल की बातों का जवाब देते हुए जस्टिस रस्तोगी ने कहा हम हमेशा कहते हैं कि बार और बेंच रथ का पहिया हैं, लेकिन जमीनी हकीकत है कि ये दो पहिये हैं.  भगवान जाने एक पहिया कहां जाता है और दूसरा पहिया कहां जाएगा जबकि रथ कहीं रहता है. लेकिन फिर भी हमें समझना होगा कि हम सभी इस संस्था से संबंधित हैं और इस संस्था ने हमें दिया है.  हमारा मानना है कि बार और हमें भी आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है कि कैसे हम टिके रह सकते हैं.  ऐसे राष्ट्र में कैसे टिके रहें जहां आम लोगों का विश्वास नहीं मिटता.विश्वास बहाल होना चाहिए.

Advertisement

सिब्बल ने जवाब दिया कि अगर बार और बेंच, दोनों खेल के नियमों का पालन करेंगे तो स्थिति में विश्वास कायम रहेगा. यह केवल एक तरह से हो सकता है कि हम इस छोर पर खेल के नियमों का पालन करें और दूसरे छोर पर भी ऐसा ही हो. विश्वास बहाल करने का यही एकमात्र तरीका है, कोई दूसरा रास्ता नहीं है. अगर मैं अदालत में आता हूं और मुझे विश्वास है कि चाहे कुछ भी हो, चाहे फैसला मेरे खिलाफ ही क्यों न हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. मुझे सुना गया और दूसरे के द्वारा कानून बिना किसी डर और पक्षपात के सही तरीके से लागू किया गया. अगर ये चीजें होती हैं तो विश्वास बहाल हो जाएगा. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम हारते हैं या जीतते हैं. हमें अक्सर पता होता है कि मामले पर क्या होना है, हम मुवक्किलों को भी यह साफगोई से बता देते हैं. रोजाना हमें कुछ मामलों में हार का सामना करना पड़ता है तो कुछ मामलों में जीत मिलती है.

Advertisement

दरअसल सिब्बल अब्दुल्ला आजम खां की ओर से दलीलें पेश कर रहे थे. 2017 में स्वार निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव रद्द किए जाने को अब्दुल्ला ने चुनौती दी है. बताते चलें कि हाल ही में सिब्बल ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं बची है. जाकिया जाफरी और पीएमएलए मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की आलोचना करते हुए सिब्बल ने ये टिप्पणी की थी. इस बयान के बाद एक वकील ने  सिब्बल के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही के लिए अटॉर्नी जनरल से सहमति मांगी थी लेकिन अटॉर्नी जनरल ने सहमति देने से इनकार कर दिया था.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Bihar: Nawada की घटना को लेकर Jitan Ram Manjhi और Tejashwi Yadav क्यों हैं आमने-सामने?
Topics mentioned in this article