हाईकोर्ट में धार भोजशाला का मुद्दा, हिंदू संगठन ने दायर की याचिका, कहा- नमाज पढ़ने पर लगाएं रोक

हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में धार भोजशाला को लेकर दायर की गई याचिका में कहा गया कि परिसर में मां सरस्वती की प्रतिमा फिर से स्थापित की जाए. साथ ही स्थान की पूरी वीडियोग्राफी व कलर फोटोग्राफी की जाए.

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मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला (फाइल फोटो)
इंदौर:

मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला का विवाद एक बार फिर सामने आ गया है. पहले से ही इंदौर हाई कोर्ट में धार भोजशाला को लेकर तीन याचिकाएं पेंडिंग हैं. इसी बीच बीते दो मई को एक नई याचिका दायर की गई है, जिसमें सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक रोशिया और जस्टिस अमरनाथ द्वारा एएसआई, केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किए गए हैं. एएसआई के आदेश को चुनौती देते हुए इंदौर हाईकोर्ट में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए बेंच ने भोजशाला परिसर स्थित एक मस्जिद से जुड़ी मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी को भी नोटिस जारी किया है.

पूरा परिसर हिंदुओं को देने की मांग

बता दें कि हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में धार भोजशाला को लेकर दायर की गई याचिका में कहा गया कि परिसर में मां सरस्वती की प्रतिमा फिर से स्थापित की जाए. साथ ही स्थान की पूरी वीडियोग्राफी व कलर फोटोग्राफी की जाए. सालों से चले आ रहे भोजशाला विवाद में हिंदू पक्ष ने वकील हरिशंकर जैन के जरिए याचिका दायर कर पूरा परिसर हिंदुओं को देने की मांग की और नमाज पढ़ने से रोकने की अपील की है. 

याचिका हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की अध्यक्ष रंजना अग्निहोत्री व कुलदीप तिवारी मोहित गर्ग, आशीष गोयल, सुनील सारस्वत, रोहित खंडेलवाल ने दाखिल की है, जिसमें भोजशाला की 33 फोटो दाखिल की गई हैं. तस्वीरों में देवी-देवताओं के चित्र व संस्कृत के श्लोक लिखे हुए हैं. याचिका में मां वाग्देवी की प्रतिमा लंदन स्थित संग्रहालय से वापस लाने की मांग भी की गई है. 

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भारतीय संविधान के तहत अधिकार प्राप्त

याचिका में यह भी कहा गया है, “ केवल हिंदू समुदाय के सदस्यों को देवी के स्थान पर पूजा और अनुष्ठान करने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत मौलिक अधिकार प्राप्त है. ऐसे में धार भोजशाला जो सरस्वती मंदिर है में मुस्लिम समुदाय के सदस्य को किसी भी धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपरोक्त संपत्ति के किसी भी हिस्से का उपयोग करने का कोई अधिकार नहीं है."

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गौरतलब है कि भोजशाला भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित 11वीं शताब्दी का स्मारक है. साल 2003 में एएसआई द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार, हिंदू हर मंगलवार को भोजशाला परिसर में पूजा करते हैं, जबकि मुसलमान शुक्रवार को परिसर में नमाज अदा करते हैं. 

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