इंच-इंच का हाल बताएगा... आज अंतरिक्ष में उड़ेगा धरती का 'डॉक्टर', जानें क्या है NISAR

NISAR न केवल भारत और अमेरिका की तकनीकी तालेमल का नतीजा है, बल्कि यह मिशन मानवता के लिए एक जीवन रक्षक उपकरण भी साबित हो सकता है. आज शाम इसका ऐतिहासिक लॉन्च श्रीहरिकोटा से होगा, जो अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में एक और नया अध्याय लिखेगा.

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  • नासा और इसरो का निसार सैटेलाइट आज श्रीहरिकोट से लॉन्च किया जाएगा
  • निसार सैटेलाइट भूकंप, हिमनदों के पिघलने और जलवायु परिवर्तन की निगरानी करेगा
  • यह मिशन भारत और अमेरिका की लगभग एक दशक पुरानी साझेदारी का परिणाम है.
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नई दिल्ली:

नासा-इसरो के महत्वाकांक्षी निसार मिशन के लिए उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. इसरो का ‘जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल' (जीएसएलवी) आज शाम 5:40 बजे नासा-इसरो ‘सिंथेटिक एपरचर रडार' (निसार) सैटेलाइट को सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में भेजेगा. इस मिशन की योजना अमेरिका और भारत की अंतरिक्ष एजेंसियों ने करीब 10 साल पहले मिलकर बनाई थी. इस साल फरवरी में वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी की मुलाकात के बाद इस मिशन को और तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया.

श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा सैटेलाइट

यह मिशन सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में जाने वाला जीएसएलवी रॉकेट का पहला मिशन है. जिसका श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से 102वां प्रक्षेपण होगा. सोशल मीडिया पर दी जानकारी में इसरो ने कहा, ‘‘जीएसएलवी-एफ16/निसार के लॉन्चिंग होने में बस कुछ समय बाकी है. जीएसएलवी-एफ16, निसार को कक्षा में ले जाने के लिए तैयार है. अंतिम तैयारियां चल रही हैं. प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुरू हो गई है.''

भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसियों—ISRO और NASA—की एक दशक लंबी साझेदारी का नतीजा अब धरती की सुरक्षा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम साबित होने जा रहा है. दोनों देशों ने मिलकर दुनिया का सबसे महंगा सिविलिय अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट तैयार किया है, इसी का नाम NISAR है. 

क्या है NISAR मिशन?

NISAR दरअसल नासा और इसरो का एक संयुक्त मिशन है, जिसकी लागत करीब 1.5 अरब डॉलर है. यह सैटेलाइट पृथ्वी की सतह पर होने वाले बदलावों की निगरानी करेगा. जैसे भूकंप, हिमनदों का पिघलना, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और कार्बन अवशोषण. इसका उद्देश्य न केवल वैज्ञानिक समझ को और बेहतर करना है, बल्कि यह मिशन जीवन बचाने में भी अहम भूमिका निभाएगा.

ISRO प्रमुख ने NDTV से क्या कहा?

NDTV के साइंस एडिटर पल्लव बागला ने इसरो प्रमुख डॉ. वी. नारायणन से इस मिशन पर खास बातचीत की. उन्होंने कहा, “यह मिशन ‘शक्ति शक्ति का सम्मान करती है' की भावना को दर्शाता है. NASA और ISRO दोनों ने इसमें अपनी-अपनी तकनीकी श्रेष्ठता का योगदान दिया है.” डॉ. नारायणन ने बताया कि NISAR में दो जटिल उपकरण लगे हैं—जिनमें से एक NASA द्वारा विकसित किया गया है और दूसरा ISRO ने. सैटेलाइट का ढांचा और लॉन्च व्हीकल भारत में ही तैयार किया गया है. ISRO की साझेदारी ने इस मिशन को लागत में किफायती और तकनीकी रूप से विश्वसनीय बनाया है.

कहां बना और कैसे तैयार हुआ?

इस सैटेलाइट को अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित Caltech, Pasadena और भारत के बेंगलुरु में मिलकर बनाया गया है. यह मिशन भारत-अमेरिका के लोकतांत्रिक सहयोग का प्रतीक है और तकनीकी नेतृत्व की दिशा में एक बड़ा कदम है.

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क्या करेगा NISAR?

  • भूकंप की निगरानी
  • हिमनदों और झीलों के फटने की चेतावनी
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का विश्लेषण
  • कार्बन अवशोषण की प्रक्रिया को समझना
  • यह मिशन वैज्ञानिकों को पृथ्वी की सतह पर हो रहे परिवर्तनों को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगा
  • समय रहते आपदाओं की चेतावनी देकर जान बचाने में सहायक होगा.
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