बिहार में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के सुप्रीमो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और केंद्र में मंत्री और उनके करीबी माने जाने वाले रामचंद्र प्रसाद सिंह (RCP Singh) में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा? इसका एक उदाहरण शुक्रवार को देखने को मिला जब पार्टी द्वारा स्टार प्रचारकों की सूची से एक ओर नीतीश का नाम ग़ायब था तो दूसरी और आरसीपी सिंह का भी नाम भी नहीं था. हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि अमूमन नीतीश उन राज्यों में प्रचार से अपने को अलग रखते हैं जहां ख़ासकर भाजपा सत्ता में होती है. यही कारण है कि उन्होंने झारखंड में भी प्रचार कार्य में भाग नहीं लिया था और वहां ये कमान अब केंद्र में मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने सम्भाली थी और जिसमें वर्तमान में राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह उनका सहयोग करते थे. हालांकि वहां पार्टी का खाता नहीं खुल पाया था. लेकिन शुक्रवार को उतर प्रदेश में प्रचार के लिए जो स्टार प्रचारकों की सूची जारी हुई है उसमें ना तो नीतीश कुमार का नाम है और ना आरसीपी सिंह का.
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि चुनाव आयोग को ये सूची पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार की जानकारी और सहमति के बाद भेजी गई और आरसीपी सिंह का नाम ना होना एक और उदाहरण है जिससे उन अटकलों की पुष्टि होती है कि दोनों के बीच सम्बंध फ़िलहाल सामान्य नहीं चल रहे. पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अब तो ये बात भी कन्फ़र्म हो गई कि उतर प्रदेश में भाजपा के साथ तालमेल को लेकर जो कन्फ़्यूज़न और तनाव हुआ उसको लेकर जो राजीव रंजन अब तक आरसीपी सिंह को सफ़ाई देने के लिए बयान दे रहे थे, उसमें नीतीश कुमार की एक मौन सहमति भी थी.
हालांकि आरसीपी सिंह के समर्थकों का कहना है कि वो प्रचार में जाने को लेकर बहुत इच्छुक नहीं थे, जिसके बारे में उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं को अवगत करा दिया था. क्योंकि वो केंद्र में मंत्रिमंडल में रहकर भाजपा के उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ वोट मांगने के पक्ष में नहीं थे. लेकिन पार्टी में उनके अलग थलग होने की बातों से वो इनकार नहीं करते. माना जा रहा है कि नीतीश पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान सीटों के तालमेल में हुए विलंब के लिए भी आरसीपी से ख़फ़ा थे.














