हेल्‍थ सेक्‍टर में बड़ा कदम: सरकार शुरू करेगी HTA रिसोर्स सेंटर, जानें क्‍या होगा फायदा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मौजूदा दौर में हेल्थ सेक्टर में कई बड़े बदलाव हुए हैं. इसमें जांच तकनीकी से लेकर दवाओं, मशीनों और इलाज के नए तरीके शामिल हैं, जो काफी तेजी से बढ़े रहे हैं. ऐसे में सरकार का कहना है कि यह पता लगाना बहुत जरूरी है कि यह नई तकनीकी कितनी असरदार हैं.

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  • केंद्र सरकार देश भर में हेल्थ टेक्नोलॉजी असेसमेंट के नए रिसोर्स सेंटर खोलने जा रही है.
  • इसके जरिए हर नई दवा, मशीन, जांच या फिर इलाज की तकनीक को वैज्ञानिक तरीके से परखा जाएगा.
  • सरकार का कहना है कि यह पता लगाना जरूरी है कि नई तकनीक कितनी असरदार है और इसकी कीमत कितनी है.
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नई दिल्ली:

केंद्र सरकार देश भर में हेल्थ टेक्नोलॉजी असेसमेंट (Health Technology Assessment) के नए रिसोर्स सेंटर खोलने जा रही है. इसके जरिए देशभर में प्रयोग होने वाली हर नई दवा, मशीन, जांच या फिर इलाज की तकनीक को वैज्ञानिक तरीके से परखा जाएगा. स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग ने इस प्रक्रिया के लिए आवेदन भी मांगे हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मौजूदा दौर में हेल्थ सेक्टर में कई बड़े बदलाव हुए हैं. इसमें जांच तकनीकी से लेकर दवाओं, मशीनों और इलाज के नए तरीके शामिल हैं, जो काफी तेजी से बढ़े रहे हैं. ऐसे में सरकार का कहना है कि यह पता लगाना बहुत जरूरी है कि यह नई तकनीकी कितनी असरदार हैं, इसकी कीमत कितनी है और क्या वे आम जनता के लिए असरदार होंगी. इसी के लिए देशभर में रिसोर्स सेंटर खोले जाएंगे.

देशभर में अलग-अलग जगहों पर खुलेंगे सेंटर

केंद्र सरकार की तरफ से देश के सभी संस्थाओं को एक मसौदा भी जारी किया गया है, जिसके मुताबिक साल 2025-26 में देश के अलग-अलग क्षेत्रों में इन सेंटर्स की स्थापना की जाएगी. यह केंद्र नई स्वास्थ्य तकनीकों और इलाज के तरीकों का अध्ययन कर सरकार को वैज्ञानिक आधार पर फैसला लेने में मदद करेंगे.

स्वास्थ्य कार्यक्रमों को मिलेगी सही दिशा

सरकार का मानना है कि इन नए सेंटर्स की स्थापना होने का लाभ न सिर्फ केंद्र और राज्य को मिलेगा बल्कि बड़े हॉस्पिटल्स और राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को भी सही दिशा मिलेगी. ये केंद्र नीति, प्रशिक्षण और वर्कशॉप से जुड़े दस्तावेज तैयार करेंगे ताकि योजनाओं में पारदर्शिता बढ़े और काम अधिक प्रभावशाली हो सके.

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि देश में डिजिटल हेल्थ सॉल्यूशन, मेडिकल डिवाइस, डायग्नोस्टिक टेस्ट और नई दवाओं का दायरा आज काफी तेजी से बढ़ा है. कई बार अस्पतालों या कार्यक्रमों में नई तकनीक अपनाई जाती हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि वे महंगी हैं या उतनी लाभकारी नहीं. ऐसे में एचटीए केंद्र इस अंतर को खत्म करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि स्वास्थ्य क्षेत्र का हर बड़ा निर्णय रिसर्च और आंकड़ों पर आधारित हो.

कौन-सा काम करेंगे नए सेंटर?

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हर सेंटर नई दवाओं, इलाज के तरीकों और तकनीकों का वैज्ञानिक अध्ययन करेगा. ट्रेनिंग, वर्कशॉप और ऑनलाइन कोर्स के जरिए क्षमता विकास करने के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों को एचटीए के बारे में जागरूक करेगा ताकि वे असरदार स्वास्थ्य नीतियां बना सकें. इसके अलावा सरकारी कार्यक्रमों के लिए सरल और उपयोगी पॉलिसी ब्रीफ भी तैयार करेंगे. आसान भाषा में कहें तो ये सेंटर सरकार को बताएंगे कि कौन-सी स्वास्थ्य तकनीक वाकई फायदेमंद है और कहां पैसा लगाना बेहतर रहेगा.

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अब तक कई सस्ते उपकरण मिले

मुंबई स्थित आईसीएमआर-सीआरएचसीएम की निदेशक डॉ. मनीषा मडकईकर ने बताया कि हेल्थ टेक्नोलॉजी असेसमेंट के जरिए अब तक केंद्र और कई राज्य सरकारों को काफी लाभ हुआ है. कई ऐसे सस्ते उपकरण मिले हैं, जिनके लिए पहले काफी अधिक कीमत देनी पड़ रही थी. उदाहरण के तौर पर सिकलसेल की जांच करने के लिए अब हमारे पास महज 50 रुपये की लागत वाला उपकरण हैंं, जिसके लिए पहले हमें प्रति किट 300 रुपये से भी अधिक खर्च करने पड़ रहे थे. इसी तरह टीबी, मधुमेह और उच्च रक्तचाप सहित कई बीमारियों के लिए हमें सस्ती जांच के विकल्प मिले हैं.

क्यों जरूरी है यह कदम?

एक अधिकारी ने बताया कि नई दवाएं और तकनीकें बाजार में आती तो हैं, लेकिन कई बार वे बहुत महंगी होती हैं या उनके असर को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं होती. इसलिए जरूरी है यह जांचना कि क्या तकनीक वास्तव में उपयोगी है? क्या इसकी कीमत वाजिब है? क्या इसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में शामिल करना चाहिए? एचटीए सेंटर इन सवालों का जवाब देंगे और स्वास्थ्य नीतियों को और बेहतर बनाएंगे. अधिकारी ने कहा कि ऐसे सेंटर बनने से देश में स्वास्थ्य नीतियां और मजबूत और वैज्ञानिक होंगी.

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