लौह अयस्क की तस्करी के आरोप वाली याचिका के मामले में केंद्र के रात को जवाब दाखिल करने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नाराजगी जताई है. CJI एनवी रमना ने कहा कि आधी रात को जवाब दाखिल करने की क्या वजह है ? क्या आप नहीं चाहते कि हम इस जवाब को पढ़ें. साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा को भी बिना पूरी तैयारी के याचिका दाखिल करने के लिए फटकार लगाई. पीठ ने कि अगर आप सही में लोगों का भला करना चाहते हैं तो तथ्य और सामग्री जुटाकर जनहित याचिका दाखिल करें. तस्करी के ज़रिए चीन को लौह-अयस्क भेजने के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट अब 26 नवंबर को सुनवाई करेगा. इस मामले में वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि सरकार ने चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाए, लेकिन महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्य चीनी कंपनियों से किए गए MOU के तहत व्यापार कर रहे हैं.
चीन के साथ किए गए इन MOU को फौरन रद्द किया जाना चाहिए. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के आधार पर सुनवाई नहीं हो सकती. साथ ही कोर्ट ने कहा कि आप भारत की कई कंपनियों पर चीन को लौह-अयस्क की स्मगलिंग करने का आरोप लगा रहे, लेकिन आपने इस मामले में उनको याचिका में पक्षकार ही नहीं बनाया है. कोर्ट ने याचिककर्ता से यह भी पूछा था कि आपको यह कैसे व्यक्तिगत जानकारी है कि स्मगलिंग हुई है?
वहां सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ "कॉमन कॉज" द्वारा दायर जनहित याचिका पर भी केंद्र को नोटिस जारी किया था, जिसमें केंद्र को लौह अयस्क के निर्यात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने या लोहे के निर्यात पर 30% का निर्यात शुल्क लगाने का आदेश जारी करने की मांग की गई थी. भूषण ने तर्क दिया है कि लौह अयस्क को घरेलू उपयोग के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए क्योंकि देश के इस्पात उद्योग को इसकी आवश्यकता होती है और वे इसे उच्च कीमतों पर आयात करने के लिए मजबूर होते हैं.
जनहित याचिका में भारत सरकार को विदेश व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1992 की धारा 11 और सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 135(1) के तहत कार्यवाही शुरू करने के लिए एक उपयुक्त रिट, आदेश या निर्देश जारी करने की भी प्रार्थना की गई है और भारत के निर्यात कानूनों/नीतियों के प्रावधानों के उल्लंघन में लौह अयस्क पैलेटों का निर्यात करने वाली कंपनियों के खिलाफ कानून के अनुसार उचित जुर्माना लगाने की मांग भी की गई है.