क्या पश्चिम एशिया बिल्कुल जलने के कगार पर है? क्या वाकई ईरान इज़रायल (iran Israel) पर हमला करेगा? अगर करेगा तो कब करेगा? पश्चिम की ख़ुफ़िया एजेंसियों ने इसकी तारीख भी निकाल ली है. उनके मुताबिक ये हमला 12 और 13 अगस्त के बीच होगा. ये चर्चा जेरुसलम पोस्ट में चल रही है. इस बीच तनाव और टकराव के छींटे हर तरफ़ दिख रहे हैं. आज ही हिज़्बुल्ला ने इज़रायल को निशाना बनाते हुए हमला किया तो इज़रायल ने भी जवाबी कार्रवाई की.
असली सवाल ये है कि ईरान और इज़रायल के बीच युद्ध हुआ तो ये किन हथियारों से लड़ा जाएगा और किन देशों की मदद से लड़ा जाएगा. इस लिहाज से ये देखना दिलचस्प होगा कि दोनों की फौजी ताक़त क्या है. दुनिया के युद्ध विशेषज्ञ दोनों को लगभग बराबरी पर आंकते हैं. ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के मुताबिक ईरान अगर दुनिया में चौदहवें नंबर पर है तो इज़रायल भी 17वें नंबर पर है. सेना, हथियारों और विमानों के लिहाज से भी दोनों एक-दूसरे को अलग-अलग मोर्चों पर टक्कर देते हैं.
हथियारों के मामले में कौन मजबूत?
- ईरान के पास कुल विमान 551 हैं वहीं इजराइल के पास 612 विमान हैं.
- ईरान के पास लड़ाकू विमान की संख्या 186 हैं तो वही इजराइल के पास 241 लडाकू विमान हैं.
- वहीं ईरान के पास 129 हेलीकॉप्टर हैं तो ईरान के पास 146 हेलीकॉप्टर हैं.
- ईरान के टैंक 1,996 तो इजाराइल के पास 1,370 हैं.
- ईरान के हथियारबंद वाहन 65,765 तो इजराइल के 43,407 हैं.
- ईरान के मोबाइल रॉकेट प्रोजेक्टर 775 तो इजराइल के 150 हैं.
- ईरान का समुद्री बेड़ा 101 तो इजराइल के पास 67 समुद्री बेड़े हैं.
- पनडुब्बियां ईरान के पास 19 होते हैं तो वहीं इजराइल के पास 5 हैं.
- ईरान के पास सैन्य ताकत 6,10,000 तो इजराइल के 1,70,000 हैं.
गौरतलब है कि ईरान के पास सैन्य बल और हथियार ज़्यादा दिखते हैं, लेकिन वो पुराने हैं, उनका रखरखाव बेहतर नहीं है. उस पर कई पाबंदियां लगी हुई हैं. दूसरी ओर इज़राइल के पास अत्याधुनिक हथियार हैं. पश्चिम एशिया में चारों तरफ़ से घिरे होने के बावजूद वह अपनी लड़ाइयां लड़ता और जीतता रहा है। बेशक उसके पीछे अमेरिकी मदद भी रही है. लेकिन दरअसल अगर ऐसा कोई युद्ध हुआ तो वह बस ईरान और इज़राइल के बीच नहीं होगा, उसमें और भी ताक़तें शरीक होंगी, वे अगर खुल कर साथ न भी आएं तो उनके साथ उनके हथियार होंगे.
इज़राइल को पश्चिम एशिया के भीतर समर्थन नहीं मिलना है, लेकिन उसके साथ अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी सहित यूरोप के ज़्यादातर देश हैं, ऑस्ट्रेलिया भी हैं. दरअसल यही उसकी ताकत है. जबकि ईरान को पास-पड़ोस के देशों का समर्थन ही नहीं, उनकी मदद भी होगी. इनमें फ़िलिस्तीन, लेबनान, तुर्की, सीरिया, क़तर, ओमान जैसे देश हैं। रूस और चीन भी ईरान के साथ खड़े दिखते हैं. तो क्या हम वाक़ई एक बड़े युद्ध की ओर बढ़ने जा रहे हैं?
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