- हरियाणा के IPS पूरन कुमार की आत्महत्या मामले में राजनीतिक दलों और दलित संगठनों की तीव्र प्रतिक्रिया जारी है
- परिवार ने पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर और पूर्व एसपी बिजरानिया के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की है
- पोस्टमार्टम प्रक्रिया अभी नहीं हो पाई है, क्योंकि परिवार ने डीजीपी को हटाने का 48 घंटे का अल्टीमेटम जारी किया
हरियाणा के सीनियर आईपीएस ऑफिसर वाई. पूरन कुमार सुसाइड केस को लेकर सियासी हलचल तेज होती जा रही है. एक-एक कर सभी राजनीतिक दलों के नेता आईपीएस वाई. पूरन कुमार के परिजनों से मिलने चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं और मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. दलित संगठन और विपक्षी दल इस मुद्दे पर बीजेपी की घेराबंदी कर रहे हैं. वहीं, पूरन कुमार का परिवार भी जिद पकड़कर बैठा है कि पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर और रोहतक से हटाए जा चुके पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजरानिया के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए. इस जिद के कारण ही अभी तक पोस्टमार्टम भी नहीं हुआ है. पूरन कुमार की आईएएस पत्नी अमनीत पी कुमार कुछ नरम पड़ती नजर भी आ रही हैं, लेकिन उनके भाई आम आदमी पार्टी से बठिंडा ग्रामीण से विधायक अमित रतन अड़ गए हैं. पूरन कुमार की मौत के मामले में जमकर राजनीतिक हो रही है.
डीजीपी को हटाने का 48 घंटे का अल्टीमेटम
हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार की कथित आत्महत्या के छह दिन बाद रविवार को उनके पोस्टमॉर्टम को लेकर गतिरोध खत्म नहीं हुआ. मृत अधिकारी के परिवार के लिए न्याय की मांग करने के लिए गठित 31 सदस्यीय समिति ने राज्य के पुलिस प्रमुख शत्रुजीत कपूर को उनके पद से हटाने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. पूरण कुमार के परिवार ने कहा कि जब तक उसकी मांगों को नहीं मान लिया जाता है तब तक वह शव के पोस्टमॉर्टम और अंतिम संस्कार की सहमति नहीं देगा. हरियाणा के डीजीपी उन पुलिस अधिकारियों में से एक हैं जिनके खिलाफ कुमार की पत्नी ने कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में कार्रवाई की मांग की है. वैसे हरियाणा सरकार पूरण कुमार की पत्नी - हरियाणा में सेवारत वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमनीत पी कुमार - को राजी करने के प्रयास कर रही है. संबंधित घटनाक्रम में, कथित आत्महत्या मामले की जांच कर रही चंडीगढ़ पुलिस ने रविवार को अमनीत पी कुमार को एक अनुरोध पत्र भेजकर उनसे आग्रह किया गया कि वह 'शीघ्र पीएमई (पोस्टमॉर्टम) के लिए शव की पहचान के वास्ते आगे आएं, क्योंकि यह जांच के लिए आवश्यक है.' चंडीगढ़ पुलिस ने हरियाणा सरकार से मामले की जांच के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ भी मांगे हैं.
अभी तक क्यों नहीं हो पाया पोस्टमार्टम!
हरियाणा सरकार इस मुद्दे पर घिरती नजर आ रही है. हालांकि, हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार ने कहा कि अमनीत और पूरन कुमार के परिवार के साथ पूरा न्याय किया जाएगा. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने दलित समाज के 2 कैबिनेट मंत्रियों कृष्ण कुमार बेदी और कृष्ण लाल पंवार को परिवार को समझाने की जिम्मेदारी सौंपी थी, परिवार से तीन बार मिलने के बाद भी बात नहीं बन पाई है. बताया जा रहा है कि अमनीत के भाई अमित रतन कोटफत्ता, जो बठिंडा ग्रामीण से आम आदमी पार्टी के विधायक हैं, वो पूरन कुमार के पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को रुकवाने की वजह हैं. वह डीजीपी और एसपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने की जिद पर अड़े हुए हैं. लेकिन क्या उनकी ये जिद पूरी हो पाएगी?
क्या बिहार चुनाव पर भी दिखेगा असर?
जैसे-जैसे समय बीत रहा है, पूरन कुमार की मौत का मुद्दा बढ़ता जा रहा है. पूरन कुमार दलित समाज से हैं और कई दलित संगठन भी इस मुद्दे पर सरकार को घेर रह हैं. ऐसे में इस मुद्दे को विपक्षी दल बिहार चुनाव में भी भुनाने की कोशिश कर सकते हैं. पंजाब के आम आदमी पार्टी के नेता इस मुद्दे को काफी तूल दे रहे हैं. पंजाब कैबिनेट मंत्री एवं आम आदमी पार्टी पंजाब के अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने कहा कि यह घटनाक्रम बेहद दुखदाई है. आज 6 दिन हो चुके हैं, पोस्टमार्ट नहीं करवाया गया है. देश में डरावना माहौल बना हुआ है. पहले चीफ जस्टिस के साथ दुर्व्यवहार हुआ और फिर एक सीनियर आईपीएस अधिकारी को ऐसे हालातों में लाया जाता है कि उनको आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि आज पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार की तरफ से कैंडल मार्च निकाले जा रहे हैं, ताकि सरकार को जगाया जाए. अमन अरोड़ा ने कहा कि सोमवार को पंजाब कैबिनेट की बैठक है, जिसमें इसे लेकर अगला फैसला लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा के राज्यपाल से मैंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री को आदेश करें कि परिवार को इंसाफ दिलाएं.
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 2001 बैच के अधिकारी, 52 वर्षीय कुमार ने सात अक्टूबर को यहां सेक्टर 11 में अपने आवास पर कथित तौर पर खुद को गोली मार ली थी. कुमार ने मौत से पहले कथित तौर पर लिखे आठ पन्नों के ‘अंतिम नोट' में, हरियाणा के डीजीपी कपूर और रोहतक के पूर्व पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारणिया समेत आठ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों पर कथित तौर पर उन्हें परेशान करने और उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया है. उन्होंने नोट में कुछ अन्य अधिकारियों द्वारा जाति-आधारित भेदभाव समेत कथित उत्पीड़न का भी विवरण दिया है.
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