पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को आरोप लगाया कि केंद्रीय जांच एजेंसियां तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेताओं से या तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने या कार्रवाई का सामना करने के लिए कह रही हैं. पुरुलिया जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और आयकर विभाग जैसी एजेंसियां भाजपा के ‘‘हथियार'' के रूप में काम कर रही हैं.
बनर्जी भूपतिनगर में शनिवार की घटना का जिक्र कर रही थीं, जहां एक विस्फोट मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार करने गई एनआईए की एक टीम पर भीड़ ने हमला कर दिया था. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘एजेंसियां हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं को या तो भाजपा में शामिल होने अन्यथा कार्रवाई का सामना करने के लिए कह रही हैं.'' लोगों से किसी भी उकसावे में न आने की अपील करते हुए बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा 17 अप्रैल को रामनवमी पर सांप्रदायिक भावनाएं भड़काएगी. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘आपसे (भाजपा) एक बात कहूंगी-रैलियां आयोजित करें लेकिन दंगे नहीं कराएं. 19 अप्रैल को मतदान होगा और वे 17 अप्रैल को दंगे करेंगे. भगवान राम ने आपको दंगे भड़काने के लिए नहीं कहा है, लेकिन वे ऐसा करेंगे और फिर एनआईए को लाएंगे.''
गरीबों के घर बनाएंगे
मुख्यमंत्री ने केंद्र की भाजपा-नीत सरकार पर पश्चिम बंगाल को मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजनाओं के लिए धन से वंचित करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गरीबों को घर बनाने के लिए 1.2 लाख रुपये देगी, खासकर जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार और कूचबिहार में, जो पिछले हफ्ते आए तूफान से प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग अभी हमें पैसे देने की अनुमति नहीं देगा. चुनाव के बाद हम गरीबों के घर बनाएंगे.'' बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार अपनी योजना के तहत गरीबों को काम देगी. उन्होंने कहा, ‘‘अगर संभव हुआ तो इस साल हम 60 दिन के काम की व्यवस्था करेंगे.'' बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार ने पीएम-आवास के तहत घर पाने के लिए पात्र 11 लाख लोगों की एक सूची केंद्र को भेजी थी, लेकिन भाजपा उस सूची के विवरण का इस्तेमाल चुनाव उद्देश्यों के लिए कर रही है और लोगों को फोन करके नए सिरे से आवेदन करने के लिए कह रही है.
जांच में क्या निकला?
मुख्यमंत्री ने लोगों से कहा, ‘‘कृपया कोई नया आवेदन न करें. चुनाव के बाद हम राज्य के अपने कोष से सभी 11 लाख लोगों के लिए घर बनाएंगे.'' भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र ने टीएमसी के नेताओं द्वारा कथित अनियमितताओं का पता लगाने के लिए राज्य में 136 टीम भेजी हैं. उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘लेकिन, जांच में क्या निकला? कृपया एक श्वेत पत्र जारी करें.'' बनर्जी ने कहा कि टीएमसी अपने वादों को पूरा करने में विश्वास करती है. उन्होंने रैली में भाग लेने वाली महिलाओं से यह देखने के लिए कहा कि राज्य की ‘लक्ष्मी भंडार' योजना के तहत 1,000 रुपये की मासिक सहायता उनके बैंक खातों तक पहुंची है या नहीं. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि आपको यह पहले ही मिल चुका है. जिन्हें यह नहीं मिला है, उन्हें भी जल्द ही मिल जाएगा. 2.5 करोड़ महिलाओं को पहले से ही पैसा मिल रहा है.''
हमारी निगरानी कर रहे
टीएमसी प्रमुख ने निर्वाचन आयोग पर भी निशाना साधते हुए कहा कि रैली स्थल पर आते समय उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीरों के साथ केंद्रीय योजनाओं के बैनर देखे, जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है. बनर्जी ने कहा, ‘‘आपने राज्य सरकार की परियोजनाओं के होर्डिंग्स में मेरी तस्वीरों को हटा दिया. इसमें कोई समस्या नहीं है, क्योंकि चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है, यह होना ही चाहिए था, लेकिन आपने प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरें को क्यों नहीं हटाया?'' बनर्जी ने दावा किया कि भाजपा अपने नेताओं के लिए सभी विश्राम गृह, लॉज और हेलीपैड बुक कर रही है, जिससे टीएमसी को वंचित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इससे सभी दलों को समान अवसर नहीं मिल रहा है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘एनआईए यह पता लगाने के लिए गेस्ट हाउस में पूछताछ कर रही है कि क्या कोई टीएमसी नेता वहां रुका था. वे हमारी निगरानी कर रहे हैं.''
आंखें मूंद लीं
बनर्जी ने दावा किया कि भाजपा पश्चिम बंगाल में ‘‘घड़ियाली आंसू'' बहा रही है, जहां महिलाओं की पूजा की जाती है, लेकिन ‘‘मणिपुर में जहां एक महिला को निर्वस्त्र घुमाया गया'', वहां उसने आंखें मूंद लीं. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी ही भाजपा से लड़ रही है. मुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘‘यहां माकपा, कांग्रेस और भाजपा ने हाथ मिला लिया है. अगर राज्य के लोग भाजपा जैसी अलोकतांत्रिक ताकत को हराना चाहते हैं, तो टीएमसी एकमात्र पार्टी है जिसका उन्हें समर्थन करना चाहिए.'' बनर्जी ने कहा कि 2011 से पहले माओवादी गतिविधियों के कारण लोग पुरुलिया आने से डरते थे. उन्होंने कहा, ‘‘आज की स्थिति से इसकी तुलना करें. होटल और लॉज से लेकर होमस्टे तक, अब सब कुछ यहां उपलब्ध है.''