कर्नाटक से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया का कहना है कि कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच चले आ रहे कावेरी नदी के जल के बंटवारे के विवाद को केंद्र सरकार या न्यायालयों की दखलअंदाज़ी के बजाय दोनों सूबों के मुख्यमंत्रियों की बैठक से हल किया जा सकता है.
BJP सांसद ने सोमवार को होने जा रही कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण की आपात बैठक से पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को लिखे खत में कहा, "तमिलनाडु को समझना होगा कि कर्नाटक जानबूझकर पानी को नहीं रोक रहा है, बल्कि उसके जल भंडार खाली हैं और राज्य के लगभग 70 फ़ीसदी ताल्लुकों में सूखे की स्थिति के चलते पेयजल का संकट भी उत्पन्न हो चुका है..."
उन्होंने कर्नाटक में बसे तमिलभाषियों का ज़िक्र करते हुए एम.के. स्टालिन से आग्रह किया है कि कर्नाटक की जलावश्यकताओं को समझें, क्योंकि पानी उन तमिलभाषियों के लिए भी ज़रूरी है, जो कर्नाटक में रहकर जीविकोपार्जन कर रहे हैं.
लहर सिंह सिरोया ने खत में लिखा, "दोनों ही राज्यों के लिए इस संकट का सबसे कारगर हल होगा कि भाइयों की तरह एक-दूसरे की परेशानियों को समझें, और उपलब्ध सीमित जल को बराबर-बराबर बांट लें..."
उन्होंने यह भी कहा कि यह हल निकाला जाना तभी संभव है, जब दोनों सूबों के मुख्यमंत्री मिलें और स्थिति पर विचार-विमर्श करें. लहर सिंह सिरोया ने दावा किया कि केंद्र सरकार या अदालतों के दखल के मुकाबले मुख्यमंत्रियों की बैठक से संकट का ज़्यादा कारगर हल मिल पाना मुमकिन होगा.
BJP सांसद ने कहा, "सोचने और इस संकट को देखने का पुराना तरीका छोड़कर परिपक्व राज्यों की तरह इसे मानवीय संकट के तौर पर देखा जाना चाहिए... इस मुद्दे में राजनीति के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए..."