इंटरपोल रेड नोटिस का असर, –7 डिग्री में फिल्मी अंदाज़ में पकड़ी गई अंतरराष्ट्रीय तस्कर यांगचेन

इस मामले की जड़ें 13 जुलाई 2015 तक जाती हैं, जब सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व के कमटी रेंज में बाघ की हड्डियों, खाल, टाइगर बोन ऑयल और पैंगोलिन स्केल्स की तस्करी से संबंधित मामला दर्ज किया गया था.

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भोपाल:

मध्यप्रदेश स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स और वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की संयुक्त कार्रवाई में अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव तस्करी की कथित मास्टरमाइंड यांगचेन लाखुंगपा को बेहद नाटकीय परिस्थितियों में गिरफ्तार किया गया है.इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस में शामिल इस फरार अपराधी को 2 दिसंबर 2025 को उत्तर सिक्किम के लाचुंग में पकड़ा गया. गिरफ्तारी स्थल भारत–चीन सीमा से कुछ ही किलोमीटर दूर था, जहां 7 डिग्री सेल्सियस तापमान में महीनों की तकनीकी निगरानी, बर्फीली पहाड़ियों में रात भर की घेराबंदी और विशेष रणनीति से यह सफल ऑपरेशन पूरा किया गया.

अधिकारियों ने बताया कि लाचुंग में हुई यह कार्रवाई किसी फिल्मी सीन से कम नहीं थी. कई बार नेटवर्क गायब हो जाना, दुर्गम रास्ते, स्थानीय समर्थकों का विरोध और आरोपियों के जरिये सबूत नष्ट करने की कोशिश सब कुछ इस ऑपरेशन को और अधिक जटिल बनाता गया.यांगचेन ने गिरफ्तारी के दौरान दो मोबाइल फोन और एक कोडेड डायरी नष्ट करने की कोशिश की, जिसमें कथित रूप से तस्करी नेटवर्क, रास्तों और हवाला लेनदेन से जुड़े नाम दर्ज थे. सिक्किम पुलिस, वन विभाग, जिला प्रशासन और एसएसबी ने संयुक्त रूप से ऑपरेशन और ट्रांजिट सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

गिरफ्तारी के बाद आरोपी को डॉक्टरी जांच के लिए गंगटोक ले जाया गया, और 3 दिसंबर को अदालत में पेश किया गया, जहां उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई और उसे ट्रांजिट रिमांड पर मध्यप्रदेश भेजने का आदेश दिया गया. यह कार्रवाई इसलिए भी ऐतिहासिक मानी जा रही है क्योंकि वन्यजीव अपराध में इंटरपोल रेड नोटिस जारी होने के बाद इतने कम समय में गिरफ्तारी होने के बेहद दुर्लभ है.वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो ने 2 अक्टूबर 2025 को इंटरपोल के लिए नोटिस का अनुरोध किया था, जिसके दो महीने बाद ही गिरफ्तारी संभव हो पाई.

इस मामले की जड़ें 13 जुलाई 2015 तक जाती हैं, जब सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व के कमटी रेंज में बाघ की हड्डियों, खाल, टाइगर बोन ऑयल और पैंगोलिन स्केल्स की तस्करी से संबंधित मामला दर्ज किया गया था. इस कार्रवाई में चार बाघ की हड्डियाँ, 1.5 किलो पैंगोलिन स्केल्स और बाघ की खाल बरामद हुई थी. अक्टूबर 2015 में गिरफ्तार एक मुख्य आरोपी जय तमांग ने कथित रूप से स्वीकार किया था कि वह यह वन्यजीव अवशेष यांगचेन को सप्लाई करता था और उसने उसे अपने घर में शरण भी दी थी. तमांग के बयान ने इस मामले में यांगचेन की भूमिका को निर्णायक रूप से स्थापित किया था.

कुल 36 आरोपियों में से 27 को दिसंबर 2022 में नरसिंहपुर (अब नर्मदापुरम) की अदालत ने दोषी ठहराया, लेकिन यांगचेन फरार होने के कारण मुकदमे का सामना नहीं कर सकी. सितंबर 2017 में उसे पहली बार गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बेल मिलने के बाद वह फरार हो गई. जुलाई 2019 में उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ. इसके बाद से वह लगातार ठिकाने बदलकर नेपाल, तिब्बत और भूटान से जुड़े कथित अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क में सक्रिय रही. जांचकर्ताओं के अनुसार वह दिल्ली, सिलीगुड़ी, गंगटोक, कोलकाता, कानपुर, इटारसी और होशंगाबाद सहित कई शहरों के तस्करी तंत्र से जुड़ी हुई थी.

उसका नाम कई अंतरराष्ट्रीय जब्तियों में भी सामने आया है. 2015 में इथियोपिया में जब्त आठ भारतीय बाघों की खाल में से तीन कथित रूप से सतपुड़ा क्षेत्र से गई थीं. वहीं 2013 में नेपाल पुलिस ने पांच बाघों की खाल और सात बोरी हड्डियाँ जब्त की थीं, जिनमें से एक को डीएनए जांच में पेंच टाइगर रिज़र्व की बाघिन T-13 की खाल के तौर पर पहचाना गया था. ये घटनाएं इस नेटवर्क के भारत से नेपाल, तिब्बत और चीन तक फैले होने का संकेत देती हैं.

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अधिकारियों का कहना है कि भुगतान हवाला चैनलों से नेपाल, सिलीगुड़ी और सीमा के गांवों तक भेजा जाता था और अवैध वन्यजीव सामग्री मध्यप्रदेश के सतपुड़ा, पेंच, बैतूल और तामिया के जंगलों में छिपाकर रखी जाती थी. गिरफ्तारी के दौरान बरामद डायरी और फोन अब पूरे नेटवर्क के लिंक खोलने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. 

वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि पूछताछ के बाद कई और गिरफ्तारियाँ संभव हैं और यह कार्रवाई दुनिया के सबसे संगठित अवैध वन्यजीव तस्करी नेटवर्कों में से एक को तोड़ने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है.यांगचेन से अब आगे पूछताछ और कानूनी प्रक्रिया जारी रहेगी. एक दशक से अधिक समय तक चली फरारी के बाद हुई यह गिरफ्तारी भारत की वन्यजीव सुरक्षा एजेंसियों की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है.

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