सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में निदेशक पद पर की गई नियुक्ति के मामले में अंतरिम प्रबंध जारी नहीं रह सकता है. देश की सर्वोच्च अदालत ने केंद्र को निर्देश दिए कि CBI निदेशक की नियुक्ति के लिए जल्द ही हाईपॉवर चयन समिति का गठन किया जाए.
केंद्र सरकार की ओर से समिति के गठन के लिए अटॉर्नी जनरल ने समय मांगा है, और अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा. अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार की ओर से अदालत को बताया कि चयन समिति का गठन 2 मई को किया जाएगा. फिलहाल प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और CJI की सुविधा के लिए सबसे वरिष्ठ अफसर को एक्टिंग निदेशक नियुक्त किया गया है.
वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ता कॉमन कॉज़ पर सवाल उठाया और कहा कि जनहित याचिका के नाम पर इस तरह संस्थान की साख के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता. फिलहाल देश में महत्वपूर्ण चुनाव चल रहे हैं. याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र को अंतरिम आदेश जारी कर कहा जाए कि तुरंत चयन समिति की बैठक बुलाई जाए. प्रशांत भूषण ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का आलोक वर्मा मामले में आदेश है कि अंतरिम निदेशक नहीं नियुक्त किए जा सकते. यह सही तरीका नहीं है. यह नहीं हो सकता कि फिलहाल CJI के रिटायर होने का इंतजार किया जाए और उन्हें बाईपास किया जाए.
इससे पहले, सीबीआई निदेशक की नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा था कि इसकी वजह से पूरी CBI सफर कर रही है, क्योंकि अभी तक चयन कमेटी की मीटिंग नहीं हुई है. NGO कॉमन कॉज़ ने याचिका में कहा है कि CBI के नियमित निदेशक की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार को आदेश दिए जाएं, जो PM, CJI और नेता विपक्ष की चयन समिति द्वारा होनी है. लेकिन सरकार ने फिलहाल अंतरिम / एक्टिंग निदेशक नियुक्त किया है. याचिका में कहा गया कि CBI निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला 2 फरवरी को रिटायर हो चुके हैं, लेकिन सरकार ने प्रवीण सिन्हा को अंतरिम / एक्टिंग निदेशक नियुक्त किया है. याचिका में मांग की गई है कि CBI निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया एक या दो महीने पहले शुरू होनी चाहिए.