नासिक सीट पर शिवसेना बनाम शिवसेना के बीच दिलचस्प जंग, जानें शिंदे और उद्धव खेमे में किसका पलड़ा भारी

नासिक सीट पर शिंदे खेमे के हेमंत गोडसे की टक्कर उद्धव ठाकरे वाली शिव सेना के राजाभाऊ वाजे से हैं. वाज़े ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान विदगांव मे शक्ति प्रदर्शन किया, हेमंत गोडसे इसी गांव के रहने वाले हैं.

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नासिक सीट की चुनावी जंग हुईं रोचक

उत्तरी महाराष्ट्र की नासिक लोकसभा सीट पर दो शिवसेनाओं के बीच मुकाबला हो रहा है. यहां महायुती से दो बार सांसद रहे शिवसेना के हेमंत गोडसे को टिकट मिला है, लेकिन उनको टिकट दिए जाने से पहले महायुति में शिवसेना और NCP के बीच खूब खींचतान हुई. नासिक लोकसभा सीट को लेकर सीटों के बंटवारे की चर्चा के दौरान महायुति गठबंधन में खूब सिर फुटव्वल हुई. वैसे तो लगातार दो बार से यहां शिव सेना का सांसद चुना गया है लेकिन इस बार एनसीपी ने अपना दावा ठोंक दिया था. कई दिनों तक चले गतिरोध के बाद नामांकन फॉर्म भरने के कुछ वक्त पहले ही तय हुआ कि इस बार भी ये सीट शिव सेना को मिलेगी.

एनसीपी की उम्मीदों पर कैसे फिरा पानी

एनसीपी यहां से अपने नेता छगन भुजबल को लोकसभा टिकट देना चाहती थी. इस इलाके में ओबीसी वोटरों की बहुतायत है और एनसीपी का आंकलन था कि भुजबल को उतारे जाने से इनके जीत की गुंजाइश ज्यादा थी. भुजबल भी राष्ट्रीय स्तर पर बतौर ओबीसी नेता अपनी पहचान बनाने के लिये लोकसभा जाना चाहते थे. छगन भुजबल के भतीजे समीर भुजबल 2009 में यहां से सांसद चुने जा चुके हैं. मगर शिव सेना की ओर से हेमंत गोडसे को टिकट दे दिये जाने से एनसीपी की उम्मीदों पर पानी फिर गया.

शिंदे खेमे की ओर से हेमंत गोडसे को टिकट मिला

गोडसे 2014 और 2019 में शिव सेना के टिकट पर यहां से चुनाव लड चुके हैं. गोडसे को यकीन है कि इस बार वे जीत का हैट्रिक बनाने वाले हैं. ये नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमन्त्री बनाने और बतौर सांसद अपने काम का हवाला देकर वोट मांग रहे हैं.

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इस सीट पर शिवसेना बनाम शिवसेना की लड़ाई

हेमंत गोडसे की टक्कर हो रही है दूसरी शिव सेना के उम्मीदवार यानी कि उद्धव ठाकरे वाली शिव सेना के राजाभाऊ वाजे से. वाज़े ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान उसे विदगांव मे शक्ति प्रदर्शन किया, जहां के हेमंत गोडसे रहने वाले हैं. जहां से उन्होंने बतौर पार्षद अपने राजनीतिक करियर की शुरुवात की. वाजे एक पूर्व विधायक हैं और इनकी पहचान एक किसान नेता की रही है.  इनके संसदीय क्षेत्र में ग्रामीण और शहरी दोनों इलाके आते हैं. स्थानीय मुद्दों के आधार पर वाज़े जनता के बीच वोट मांग रहे हैं.

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चाहे एकनाथ शिंदे वाली शिव सेना हो या फिर उद्धव ठाकरे वाली शिव सेना, दोनों ही अपने आप को हिंदुत्ववादी पार्टी बतातीं हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र में महायुति की चुनावी मुहीम की शुरुआत नासिक के कालाराम मंदिर से की थी. अपनी चुनावी मुहिम के दौरान सभी उम्मीदवार दावा कर रहे हैं कि जीत जाने के बाद वे किसानों को उनकी समस्याओं से निजात दिलाएंगे.

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महाराष्ट्र में 13 जगहों पर शिवसेना बनाम शिवसेना का मुकाबला

महाराष्ट्र में 13 सीट ऐसी है, जहां पर दोनों शिवसेनाओं के बीच मुकाबला हो रहा है. नासिक सीट भी उनमें से एक है. दोनों शिवसेनाएं अपने आप को असली शिवसेना बता रही हैं लेकिन असली शिवसेना कौनसी है, यह जनता तय करेगी और इसका पता चलेगा 4 जून को जब चुनाव नतीजे आएंगे.

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