ब्याज दर वृद्धि को नहीं कर रही बाधित, महंगाई को काबू में लाने पर बना रहेगा जोर : RBI गवर्नर

ऊंची ब्याज दर के कारण वृद्धि प्रभावित होने पर जारी बहस के बीच दास ने कहा कि ऐसी सभी चिंताएं निराधार हैं और वृद्धि की गति बनी हुई है.

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मुंबई:

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मंगलवार को कहा कि ऊंची ब्याज दर आर्थिक वृद्धि को बाधित नहीं कर रही है. उन्होंने यह भी साफ किया कि मौद्रिक नीति का ध्यान मुद्रास्फीति को कम करने पर बना रहेगा.
दास ने उद्योग मंडल बॉम्बे चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश आर्थिक वृद्धि के स्तर पर ‘प्रमुख संरचनात्मक बदलाव' की दहलीज पर है. देश उस रास्ते पर बढ़ रहा है जहां सालाना आधार पर आठ प्रतिशत वास्तविक जीडीपी वृद्धि बरकरार रखी जा सकती है.

उन्होंने कहा, ‘‘आमतौर पर यदि वृद्धि दर अच्छी है और यह बनी हुई है तो यह एक साफ संकेत है कि आपकी मौद्रिक नीति और आपकी ब्याज दरें वृद्धि के रास्ते में बाधा नहीं बन रही है.''

ऊंची ब्याज दर के कारण वृद्धि प्रभावित होने पर जारी बहस के बीच दास ने कहा कि ऐसी सभी चिंताएं निराधार हैं और वृद्धि की गति बनी हुई है. उन्होंने कहा कि आरबीआई की ‘नाउकास्टिंग टीम' गतिशील तत्वों के आधार पर जून तिमाही के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगा रही है. यह केंद्रीय बैंक के अपने अनुमान 7.3 प्रतिशत से अधिक है.

दास के अनुसार, उन्हें भरोसा है कि वित्त वर्ष 2024-25 में अर्थव्यवस्था आरबीआई के अनुमान 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी.

उन्होंने कहा, ‘‘एक अच्छी वृद्धि दर का परिदृश्य हमें मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए स्पष्ट रूप से गुंजाइश देता है.'' दास ने आने वाले समय में मुद्रास्फीति में कमी लाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए शतरंज का उदाहरण दिया. उन्होंने साफ किया कि एक गलत कदम हमें राह से भटका सकता है.

उन्होंने कहा कि महंगाई पर मुस्तैदी से ध्यान देना जरूरी है क्योंकि मौसम की एक भी प्रतिकूल घटना मुद्रास्फीति को पांच प्रतिशत से ऊपर ले जा सकती है.

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति के तहत उठाये कदमों के कारण मुद्रास्फीति 2022 में 7.8 प्रतिशत के उच्चतम स्तर से कम होकर वर्तमान में 4.7 प्रतिशत रह गयी है.

उन्होंने कहा कि मूल्य वृद्धि का निम्न स्तर सतत वृद्धि सुनिश्चित कर सकता है. दास ने कहा, ‘‘उच्च मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करती है, अर्थव्यवस्था को घरेलू और विदेशी निवेश दोनों के लिए प्रतिकूल गंतव्य बनाती है. सबसे महत्वपूर्ण, उच्च मुद्रास्फीति का मतलब लोगों, विशेषकर गरीब लोगों की क्रय शक्ति को कम करना होगा.''

उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में सरकारी व्यय से वृद्धि को गति मिल रही है. अब इस बात के स्पष्ट सबूत हैं कि निजी पूंजीगत व्यय बढ़ रहा है और सीमेंट तथा इस्पात जैसे बुनियादी ढांचे से जुड़े क्षेत्रों में सबसे अधिक रुचि देखी जा रही है.

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दास ने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था तभी आगे बढ़ेगी जब विभिन्न क्षेत्रों में तेजी आएगी और उन्होंने वृद्धि को गति देने के लिए सभी क्षेत्रों पर जोर देने की बात कही.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सहित कुछ विशेषज्ञों के भारत की वृद्धि के लिए सेवा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने की बात कहे जाने के बीच उन्होंने यह बात कही है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था अपनी वृद्धि महत्वकांक्षा को हासिल करने के लिए विनिर्माण या सेवा में से किसी एक पर निर्भर नहीं रह सकती है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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