- भारतीय नौसेना के बेड़े में पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल आईएनएस निस्तार शामिल किया गया है.
- आईएनएस निस्तार गहरे समुद्र में गोताखोरी और बचाव कार्यों के लिए उन्नत तकनीक से लैस है.
- रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने बताया कि नौसेना के सभी नए युद्धपोत स्वदेशी रूप से बनाए जा रहे हैं जो आत्मनिर्भर भारत अभियान का प्रतीक है
समंदर में भारत की ताकत और बढ़ गई है. भारतीय नौसेना के बेड़े में एक और नये युद्धपोत की एंट्री हुई है. वह है आईएनएस निस्तार. पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित डाइविंग सपोर्ट वेसल. यह जहाज हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने बनाया हैं. इसे जटिल गहरे समुद्र में गोताखोरी और बचाव कार्यों के लिये तैयार किया गया हैं.
आईएनएस निस्तार के नौसेना में शामिल होने के मौके पर रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा कि नौसेना के सभी 57 नए युद्धपोत का निर्माण स्वदेशी रूप से किया जा रहा है, जो प्रतीक है आत्मनिर्भर भारत अभियान का. रक्षा राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि भारत अपने विरोधियों के किसी भी प्रकार के दुस्साहस से निपटने के लिए प्रतिबद्ध और दृढ़ है.
वहीं, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा कि निस्तार हमारे लिए ही सिर्फ एक टेक्नोलॉजिकल एसेट ही नहीं, बल्कि ऑपरेशन के संचालन में महत्वपूर्ण मदद करता है. निस्तार के शामिल भारतीय नौसेना में शामिल होने से केवल हमारी नौसेना को नहीं, बल्कि सहयोगी देशों के सबमरीन को भी क्रिटिकल सबमरीन रेस्क्यू सपोर्ट प्रदान करेगा. वैसे इस वेसल का नाम संस्कृत शब्द निस्तार से आया हैं. इसका मतलब है बचाव, छुटकारा या उद्धार. यह समुद्र में मुश्किलों से बचाता हैं.
ऐसे वेसल केवल दुनिया के चुनिंदा देशों के पास ही हैं जो खास तकनीक से लैस है, जिसका इस्तेमाल गोताखोरी और रेस्क्यू ऑपरेशन के लिया किया जाता है. 10 हजार टन वजन वाले इस वेसल की लंबाई 118 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर हैं. इसमें 80 फीसदी से ज़्यादा स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया हैं. इसमें आधुनिक डाइविंग उपकरण लगे हैं जो 300 मीटर गहराई तक सैचरेशन डाइविंग और 75 मीटर तक साइड डाइविंग ऑपरेशन करने में सक्षम हैं. इसमें रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स हैं जो सैकड़ो मीटर गहराई तक डूबे हुए जहाजों और सामानों को निकालने में मदद करते हैं. साफ है अब भारतीय नौसेना को ब्लू वाटर में ताकतवर बनने से कोई नही रोक सकता. पाकिस्तान हो या चीन अब इन दोनों से मुकाबला करने के लिये नौसेना अपनी कमर कस चुकी हैं.