अदालत के लंबित मामलों के निपटारे के लिए कवायद शुरू, CJI की अगुवाई में की जा रही ये पहल

अदालतों में लंबित पड़े मामलों में कई सालों से फैसले का इंतजार किया जा रहा है. अब लंबित पड़े मामलों के जल्द निपटारे की पहले की जा रही है.

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नई दिल्ली:

देशभर की अदालतों में पड़े लंबित मामलों की पहेली को सुलझाने के लिए CJI संजीव खन्ना की अगुवाई में एक बड़ी क़वायद शुरू की गई है. शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ‘जिला न्यायपालिका के समक्ष आने वाले मुद्दों के समाधान' पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है. इसके लिए CJI खन्ना ने देश के सभी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, एक- एक सीनियर जज और जिला न्यायपालिका से दो- दो वरिष्ठ जज बुलाए गए हैं. खास बात ये है कि इसमें वो व्यावहारिक मुद्दे शामिल किए गए हैं जिनके चलते करोड़ों लंबित मामलों से निपटने की कोशिश की जा सकती है. इनमें सबसे अहम हैं शाम की अदालतों की व्यवहार्यता की खोज और संस्थानों और मामलों के निपटान के बीच की खाई को कम करने का प्रयास होगा.

अदालतों की हालत सुधारने पर ध्यान

सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के मुताबिक CJI खन्ना ने देशभर की जिला अदालतों में हालात सुधारने के लिए इस कांफ्रेंस की रूररेखा तैयार की है. साथ ही इसमें वरिष्ठ जज जस्टिस भूषण आर गवई और जस्टिस सूर्य कांत से भी सलाह की. कांफ्रेंस की शुरूआत भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में  प्रत्येक उच्च न्यायालय के अनुभव और ज्ञान को एक साथ लाने और कुशल और समय पर मामले के निपटान के लिए न्यायिक सुधारों की रूपरेखा तैयार करने और संस्थानों और मामलों के निपटान के बीच की खाई को कम करने का एक प्रयास किया जाएगा. सत्र का उद्देश्य राष्ट्रीय न्यायालय प्रबंधन प्रणालीशाम की अदालतों की व्यवहार्यता की खोजशाम की अदालतों की व्यवहार्यता की खोज (NCMS) समिति द्वारा तैयार नीति और कार्य योजना- 2024 के कार्यान्वयन पर विचार-विमर्श करना, मामले के निपटान में बाधाओं की पहचान करना और विभिन्न स्तरों पर मामलों के लंबित मामलों को कम करने की रणनीति तैयार करना है.

केस रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण पर भी बात

इसके साथ ही पारिवारिक न्यायालयों और विशेष न्यायालयों के कामकाज से संबंधित मुद्दों का समाधान करना; , वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) तंत्र के माध्यम से मामलों का शीघ्र निपटान और उच्च न्यायालयों के सामने आने वाले इसी तरह के मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी. वरिष्ठ जज जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता में, दूसरा सत्र मामलों के वर्गीकरण में एकरूपता लाने और न्याय प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर केंद्रित होगा. सत्र में प्रत्येक मामले की श्रेणी के लिए एक समान नामकरण और कोड पर चर्चा करने का प्रस्ताव है. जिसमें डिजिटल कोर्ट सॉफ्टवेयर, ई-फाइलिंग, वर्चुअल कोर्ट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ट्रांसक्रिप्शन सुविधा आदि जैसी सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ-साथ ई-सेवा केंद्रों/ई-कियोस्क का प्रभावी उपयोग शामिल है. केस रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण और ई-मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल (E-MACT) की शुरूआत भी इस सत्र के दौरान बातचीत में शामिल होगी. 

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सम्मेलन में कौन-कौन होगा शामिल

जस्टिस सूर्यकांत तीसरे सत्र की अध्यक्षता करेंगे, जिसका उद्देश्य जिला न्यायपालिका में मानव संसाधन से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है. सत्र के दौरान न्यायिक अधिकारियों और न्यायालय कर्मचारियों की समयबद्ध और संस्थागत भर्ती; लोक अभियोजकों/कानूनी सहायता सलाहकारों/कानूनी सहायता बचाव सलाहकारों की निरंतर भर्ती/पैनल बनाना और सभी उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों में एक स्थायी आईटी और डेटा कैडर का निर्माण करने पर विचार-विमर्श किया जाएगा. समापन सत्र में व्यावसायिक दक्षता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक अधिकारियों के करियर की प्रगति और निरंतर प्रदर्शन मूल्यांकन; निरीक्षण न्यायाधीशों और राज्य न्यायिक अकादमियों द्वारा न्यायिक अधिकारियों का मार्गदर्शन; न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और सतत शिक्षा के लिए सामान्य पाठ्यक्रम की स्थापना इस सत्र के अभिन्न अंग के रूप में चर्चा की जाएगी. इस दौरान जस्टिस अभय एस ओक,  जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस केवी विश्वनाथन, जस्टिस जेके माहेश्वरी, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी भी शामिल रहेंगे.

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