भारत ने कोरोना काल के बीच रिकॉर्ड 418 अरब डॉलर का निर्यात किया, ये सेक्टर सबसे बेहतर

India export Data : फरवरी के अंत में यूक्रेन युद्ध के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में निर्यात के मोर्चे पर असर पड़ने की आशंका है. साथ ही कच्चे तेल के ऊंचे भाव के कारण आयात बिल भी काफी ज्यादा होने से अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है. 

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Export-Import : यूक्रेन पर हमले का भविष्य में दिख सकता है असर
नई दिल्ली:

भारत ने कोरोना महामारी की चुनौतियों के बीच पिछले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड निर्यात (India Record Exports) किया है. इसमें पेट्रोलियम उत्पाद, इंजीनियरिंग वस्तुओं, रत्न एवं आभूषण और रसायन क्षेत्र के बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिला है. वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का वस्तुओं का निर्यात 418 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ( Commerce and Industry Minister Piyush Goyal) ने रविवार को वित्त वर्ष 2021-22 के व्यापार आंकड़े जारी करते हुए यह ऐलान किया. मार्च 2022 में देश ने 40 अरब डॉलर का निर्यात किया था, जो एक महीने में निर्यात का सर्वोच्च स्तर है. इसके पहले मार्च 2021 में निर्यात का आंकड़ा 34 अरब डॉलर रहा था. भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में 292 अरब डॉलर का निर्यात किया था. वर्ष 2021-22 में निर्यात 418 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. 23 मार्च को देश ने 400 अरब डॉलर के निर्यात आंकड़े को पार कर लिया था.

गोयल ने कहा कि हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष में भारत का निर्यात बेहतर रहने का एक बड़ा कारण पेट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग, रत्न एवं आभूषण, रसायन और फार्मा क्षेत्रों का अव्वल प्रदर्शन रहा है.  भारत ने सबसे ज्यादा अमेरिका को निर्यात किया. उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), चीन, बांग्लादेश एवं नीदरलैंड का स्थान रहा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्यात आंकड़ा 400 अरब डॉलर के पार पहुंचने को एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा था कि यह आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में मील का पत्थर है. हालांकि पिछले दो सालों में कोरोना वायरस से जुड़ी पाबंदियों के कारण पर्यटन, एय़रलाइंस और हास्पिटैलिटी जैसे सेक्टरों में प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा है. लेकिन अर्थव्यवस्था में तेज सुधार के साथ इन क्षेत्रों के पटरी पर लौटने की उम्मीद बढ़ गई है.

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लेकिन फरवरी के अंत में यूक्रेन युद्ध के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में निर्यात के मोर्चे पर असर पड़ने की आशंका है. साथ ही कच्चे तेल के ऊंचे भाव के कारण आयात बिल भी काफी ज्यादा होने से अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है. 

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