दावोस में भारत का दबदबा: वैश्विक कारोबार का केंद्र बन रहा देश, ताकतवर देशों को दिया संदेश

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में भारत : चीन में मंदी के हालात जबकि भारत की अर्थव्यवस्था में आया उछाल

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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में साफ दिखा कि दुनिया आर्थिक मोर्चे पर आज भारत की तरफ देख रही है.

अभी दुनिया की नजरें दावोस पर टिकी थीं जहां वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठकों में आर्थिक विकास का लेखा जोखा रखा गया. साथ ही भविष्य की संभावनाओं और उम्मीदों पर भी बात हुई. उसमें यह साफ दिखा कि दुनिया आर्थिक मोर्चे पर आज भारत की तरफ देख रही है. खासकर वैश्विक मंदी के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था जिस तेजी से दौड़ रही है, उसने भारत का दबदबा और बढ़ा है.

स्विट्जरलैंज के शहर दावोस में दुनिया की तमाम आर्थिक शक्तियों का मेला लगा लेकिन सबकी नजरें जिस एक देश पर लगी रहीं, वह है भारत. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के नेतृत्व में दावोस पहुंची टीम इंडिया ने एक तरफ महिला नेतृत्व की ताकत दिखाई तो दूसरी तरफ डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर अपनी मजबूती भी. इसमें स्मृति ईरानी के साथ-साथ अश्विनी वैष्णव और हरदीप सिंह पुरी जैसे केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे तो महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे राज्यों के मुख्यमंत्री भी.

महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने एनडीटीवी से कहा कि, अब हमारे देश में दुनिया की सबसे बड़ी संख्या में वे महिलाएं हैं जिन्होंने कैंसर का परीक्षण और इलाज कराया है. लगभग 200 मिलियन महिलाएं, जो दुनिया में महिलाओं की सबसे बड़ी संख्या है. इसके अलावा हमारे पास दुनिया का सबसे बड़ा पोषण कार्यक्रम है. इसे प्रधानमंत्री की फ्लैगशिप स्कीम 'पोषण' कहा जाता है.

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नवीनतम तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर टिकी ताकत

21वीं सदी की असली ताकत नवीनतम तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर टिकी है, इसीलिए कारोबार के इस सबसे ताकतवर फोरम पर मैनुफैक्चरिंग से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर सबसे ज्यादा जोर रहा. इसमें भारतीय टेक्नोलॉजी के दिग्गज विप्रो, इन्फोसिस, टाटा और एचसीएल टेक की मौजूदगी इस बात की झलक दिखाती है कि भारत अब एआई की चुनौतियों और उससे होने वाले फायदे, दोनों पर काम करने को तैयार बैठा है. विप्रो जैसी कंपनियां एआई को चुनौती से ज्यादा अवसर के रूप में देख रही हैं.  

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विप्रो के एग्जीक्युटिव चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने कहा, हम अपने हर काम में AI को व्यापक बनाने के लिए अगले तीन वर्षों में एक बिलियन डॉलर का निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

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इस बार का दावोस सम्मेलन पिछले सम्मेलनों की तुलना में अलग और भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा. पिछले साल भारत ने चीन को पीछे छोड़कर सबसे बड़ी आबादी वाले देश का खिताब अपने नाम कर लिया. यही हाल अर्थव्यवस्था का भी है. जहां चीन भी आर्थिक मंदी का शिकार होता जा रहा है, वहां भारत की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ती जा रही है. इसी तरह भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ रहा है, लेकिन चीन में नहीं. अब भारत दुनिया के सामने नए-नए इनोवेशन करने वाले देश के रूप में सामने आ रहा है. साथ ही दुनिया के अमीर और शक्तिशाली देशों के सामने भारत ने यह संदेश दिया है कि वह एक नया वैश्विक कारोबार केंद्र बनता जा रहा है.

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जिस तरह पिछले कुछ दिनों में दुनिया की स्थिति खराब होती चली गई, उस स्थिति में भी भारत में मंदी या स्लोडाउन की स्थिति नहीं आई. इससे भी दुनिया का भरोसा भारत के प्रति बढ़ा है और निवेशकों को लगता है कि पैसा लगाने के लिए भारत एक शानदार जगह है.

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि, यूक्रेन युद्ध के बाद सरकार के उठाए गए कदमों की वजह से महंगाई 7.8% पहुंच गई है. महंगाई लगातार कम हो रही है, हम 4% के अपने लक्ष्य को पाने की राह पर हैं..अगले साल तक औसत 4.5% होने की उम्मीद है.

भारत का 10 साल में ही 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना संभव

युद्ध और संकटों से बिखरती दुनिया को ध्यान में रखते हुए इस बैठक की थीम 'रिबिल्डिंग ट्रस्ट' यानी विश्वास का पुनर्निर्माण रखी गई है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के चीफ बोर्गे ब्रेंडे ने NDTV के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में वर्तमान में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है. उनका अनुमान है कि हो सकता है कि सिर्फ 10 वर्षों में ही भारत 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाए.

भारत की अर्थव्यवस्था के लिए 2023 बहुत अच्छा रहा. 2023 में भारत की जीडीपी 3.73 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गई तो प्रति व्यक्ति जीडीपी 2610 डॉलर हो गई. 2023 में ही भारत की अनुमानित विकास दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया जबकि दुनिया की औसत विकास दर केवल 2.9 नौ फीसदी रही.वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का मानना है कि भारत को अपनी सर्विस इंडस्ट्री, डिजिटल ट्रेड और ई-कॉमर्स पर फोकस करने की जरूरत है. 

पिछली बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने दावोस फोरम में ही कहा था कि भारत 10 साल के भीतर ही 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हो जाएगा. पिछले एक साल में भारत की अर्थव्यवस्था जिस तरह सही और संतुलित पटरी पर रही उसमें अब ऐसे लक्ष्य मुश्किल नहीं दिखते. पिछले कुछ सालों में दुनिया भर की बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में आकर निवेश किया है. इस बार उम्मीद है कि उस निवेश में और वृद्धि होगी.

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में अबकी बार यह साफ हो गया कि यह साल भारत का साल होगा. भारत के लिए 2024 का साल इसलिए अहम है क्योंकि इस साल नई सरकार का चुनाव भी होना है. लोकतंत्र के इस उत्सव के बीच ही दुनिया यह भी देख रही है कि नया साल भारत के लिए आर्थिक सुधारों और विकास का भी साल हो सकता है.