नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने मंगलवार को कहा कि हिंद-प्रशांत के लिए भारत का दृष्टिकोण क्षेत्र में सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर और बलप्रयोग से बचने पर जोर देता है. भारत की मेजबानी में आयोजित 13वें हिंद-प्रशांत सैन्य प्रमुख सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में जनरल पांडे ने यह बात कही. उनके ये बयान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता और पूर्वी लद्दाख में जारी सीमा विवाद की पृष्ठभूमि में आये हैं.
उन्होंने करीब 35 देशों की सेनाओं के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में कहा, ‘‘हमारे सामने अहम चुनौतियां हैं, लेकिन उतना ही अहम हमारा सामूहिक विवेक और शक्ति है. खुले संवाद और विचारों के आदान-प्रदान के माध्यम से हम चुनौतियों के नवोन्मेषी समाधान तलाशेंगे.'' जनरल पांडे ने कहा, ‘‘हमें इस बात को मानना चाहिए कि हमारे उद्देश्यों की प्राप्ति की दिशा में हमारे तरीके और पद्धतियां अलग हो सकती हैं, लेकिन हमारा लक्ष्य एकसमान है और वह है खुला और स्वतंत्र हिंद-प्रशांत.''
उन्होंने कहा कि स्पष्ट है कि दुनिया की 65 प्रतिशत आबादी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रहती है, वहीं दुनिया की 63 प्रतिशत जीडीपी इस क्षेत्र की है एवं विश्व का 50 प्रतिशत समुद्री व्यापार इस क्षेत्र में होता है. जनरल पांडे ने कहा, ‘‘इसलिए, दुनिया के लिए क्षेत्र की भौगोलिक तथा आर्थिक अपरिहार्यता का प्रभाव स्वाभाविक रूप से इसे समकालीन भू-रणनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण क्षेत्र की भूमिका देता है.''
उन्होंने कहा कि शांति, स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में सभी पक्षों के साथ सकारात्मक बातचीत करने की भारत की प्रतिबद्धता अटूट और निरंतर स्थिर बनी रही है. हिंद-प्रशांत के महत्व पर जोर देते हुए जनरल पांडे ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र महज राष्ट्रों का समूह नहीं है, बल्कि यह एक-दूसरे पर परस्पर निर्भरता का उदाहरण है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य विश्वास कायम करना तथा सहयोग मजबूत करना है.''