भारतीय, पाकिस्तानी या बांग्लादेशी... अंडा खाने में कौन सबसे आगे?

1961 से लेकर 1976 तक भारतीय पाकिस्तनियों से ज्यादा अंडे खाते थे. 1977 में दोनों देश बराबरी पर आ गए. 1978 में पाकिस्तान ज्यादा अंडे खाने के मामले में भारत से आगे निकल गया.

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  • 2022 में भारत में प्रति व्यक्ति अंडे की खपत 4.6 किलोग्राम थी.
  • पाकिस्तान में 2022 में प्रति व्यक्ति अंडे की खपत 3.7 किलोग्राम रही.
  • भारत की अंडे की खपत पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश और श्रीलंका से भी अधिक है.
  • हालांकि, भारत की अंडे की खपत विश्व औसत 10.4 किलोग्राम से काफी कम है.
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संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे .. ये विज्ञापन आपने जरुर देखा होगा. अंडे को खान पान में बढ़ावा देने के उद्देश्य से विज्ञापन बनाया गया था . हालांकि हमारा मकसद आपको ये विज्ञापन याद दिलाना नहीं है. बस आपको आंकड़ों के जरिए ये बताना चाहते हैं कि भारतीय अपने पड़ोसी देश के लोगों की तुलना में अंडे खाने के मामले में आगे हैं या पीछे.

2018 में भारत ने अंडे खाने के मामले में पाकिस्तान को पीछे छोड़ा

1961 से लेकर 2022 तक के आंकड़ों यानि कि 62 सालों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है. इन आंकड़ों का स्रोत Our World in Data है. 1961 से लेकर 1976 तक भारतीय पाकिस्तनियों से ज्यादा अंडे खाते थे. 1977 में दोनों देश बराबरी पर आ गए. 1978 में पाकिस्तान ज्यादा अंडे खाने के मामले में भारत से आगे निकल गया. पाकिस्तान की ये बढ़त 2013 तक बनी रही.

2014 से 2017 तक दोनों देश अंडे खाने के मामले में बराबरी पर रहे. लेकिन साल 2018 में भारत ने आखिरकार पाकिस्तान को पीछे छोड़ दिया. 2022 में भारत में प्रतिव्यक्ति अंडे की सालाना खपत 4.6 किलोग्राम थी तो पाकिस्तान में ये खपत थी 3.7 किलोग्राम.

पाकिस्तान ही नहीं, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल से भी आगे भारत

जी हां, अंडे खाने के मामले में भारत की बढ़त दूसरे पड़ोसी देशों पर भी है. 2022 में प्रतिव्यक्ति अंडे की सालाना खपत बांग्लादेश में 3.6 किलोग्राम , श्रीलंका में 3.7 किलोग्राम तो नेपाल में महज 2 किलोग्राम रही.

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माना जा रहा है कि भारत में गरीबी रेखा से लोगों का तेजी से ऊपर आना और भोजन में प्रोटीन को महत्व देने की वजह से अंडे की खपत बढ़ी है.

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पड़ोसियों से आगे लेकिन पूरे विश्व के औसत से काफी कम खपत है भारत में अंडे की

2022 में भारत में प्रतिव्यक्ति अंडे की सालाना खपत 4.6 किलोग्राम थी तो पूरे विश्व का औसत आंकड़ा 10.4 किलोग्राम है. यानि कि दुनिया में प्रतिव्यक्ति अंडे की सालाना खपत भारत के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है.

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खाने-पीने पर भारतीय परिवारों के खर्च का क्या है पैटर्न?

केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय के 2023-24 के आकड़ों के अनुसार ग्रामीण भारत में खाने-पीने की चीजों पर प्रतिव्यक्ति खर्च 1,939 रुपए प्रतिमाह है. वहीं शहरी भारत में ये खर्च 2,776 रुपए प्रतिमाह है. ग्रामीण व्यक्ति अपने कुल मासिक उपभोग व्यय का 47 फीसदी खान-पान पर करता है तो वहीं शहरी आदमी के लिए ये आंकड़ा 40 फीसदी है.

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आइये अब जरा खाने-पीने की अलग–अलग चीजों पर खर्च के पैटर्न में समझने की कोशिश करते हैं.

सबसे ज्यादा खर्च पेय पदार्थ, स्नैक्स, प्रसंस्कृत खाद्य पर

शहरी आदमी अपने कुल मासिक उपभोग व्यय का 11.1 फीसदी पेय पदार्थ, स्नैक्स, प्रसंस्कृत खाद्य पर तो ग्रमीण आदमी इस पर अपने कुल मासिक उपभोग व्यय का 9.8 फीसदी. यानि कि फास्टफूड , चिप्स , सॉफ्ट ड्रिंक जैसी चीजों पर खर्च ज्यादा करता है.

दूध या उससे बनी चीजों पर खर्च दूसरे नंबर पर

शहरी आदमी अपने कुल मासिक उपभोग व्यय का 7.2 फीसदी दूध या उससे बनी चीजों पर करता है तो ग्रामीण आदमी 8.4 फीसदी.

अनाज से ज्यादा खर्च सब्जियों पर

शहरी व्यक्ति अपने कुल मासिक उपभोग व्यय 3.8 फीसदी अनाज पर खर्च करता है तो ग्रामीण व्यक्ति 5 फीसदी. सब्जियों के ऊपर शहरी व्यक्ति अपने कुल मासिक उपभोग व्यय 4.1 फीसदी खर्च करता है तो ग्रामीण व्यक्ति 6 फीसदी.

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