भारतीय नौसेना को मिली नई ताकत, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट ‘माहे’ ने बढ़ाई समुद्री शक्ति

यह भारतीय नौसेना की सामरिक क्षमताओं को नई दिशा प्रदान करती है. ऐसे आठ एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट में से पहली पोत माहे आज कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने भारतीय नौसेना को औपचारिक रूप से सौंप दी है.

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फोटो क्रेडिट - पीआईबी
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  • भारतीय नौसेना को कोच्चि शिपयार्ड द्वारा पहली एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट माहे सौंपा गया है
  • माहे पोत पूरी तरह स्वदेशी डिजाइन और निर्माण का उदाहरण है जो नौसैनिक आत्मनिर्भरता को दर्शाता है
  • यह पोत पनडुब्बी युद्ध के क्षेत्र में भारतीय नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ाने में सक्षम है
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नौसेना की नई ताकत मिली है. यह ऐसी दमदार ताकत है जो समुद्र के अंदर छुपी पनडुब्बी को ढूढ़कर मार गिरायेगा. इसके रहते दुश्मन भारत की समुद्री सरहद में सेंध लगाने से पहले कई बार पहले सोचेगा. कोच्चि शिपवार्ड ने इस खतरनाक शिकारी को तैयार किया है जिसका नाम है माहे. भारतीय नौसेना को मिली है पहली एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट माहे.

यह भारतीय नौसेना की सामरिक क्षमताओं को नई दिशा प्रदान करती है. ऐसे आठ एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट में से पहली पोत माहे आज कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने भारतीय नौसेना को औपचारिक रूप से सौंप दी है. ‘माहे' का नाम केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के बंदरगाह नगर ‘माहे' के नाम पर रखा गया है, जो भारत की समृद्ध समुद्री परंपरा और विरासत का प्रतीक है. यह पोत पूरी तरह स्वदेशी डिज़ाइन और निर्माण का शानदार उदाहरण है, जो भारत की नौसैनिक आत्मनिर्भरता को रेखांकित करता है.

यह 78 मीटर लंबी और लगभग 1,100 टन विस्थापन क्षमता वाली यह अत्याधुनिक पोत पनडुब्बी युद्ध के क्षेत्र में भारतीय नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ाएगी. इसमें एंटी-सबमरीन रॉकेट, आधुनिक रडार और सोनार प्रणाली जैसी तकनीकों से लैस है. यह कम गहराई वाले जल क्षेत्रों में निगरानी और सुरक्षा अभियानों को सटीक रूप से अंजाम दे सकेगी. ‘माहे' को पनडुब्बी रोधी निगरानी (Underwater Surveillance), लो इंटेंसिटी मैरीटाइम ऑपरेशंस (LIMO), और एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW) अभियानों के लिए तैयार किया गया है. माहे पानी के अंदर सर्विलांस, सर्च और बचाव अभियान कर पाने में सक्षम हैं.

साथ ही, इसमें माइन बिछाने की क्षमता भी मौजूद है. इस पोत में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी उपकरण और सामग्रियों का उपयोग किया गया है. यह न केवल ‘आत्मनिर्भर भारत' मिशन का प्रतीक बनती है, बल्कि यह भारत की शिप बिल्डिंग क्षमताओं में भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का संकेत देती है. ASW SWC वर्ग के शेष जहाजों के शामिल होने से भारतीय नौसेना की तटीय रक्षा और पनडुब्बी रोधी क्षमता को और अधिक सुदृढ़ आधार मिलेगा.

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