- भारतीय सेना की पैदल सेना तकनीक और स्वदेशी उपकरणों के साथ नए युद्ध युग के लिए खुद को तैयार कर रही है.
- इन्फेंट्री में ‘अश्नी ड्रोन प्लाटून और ‘भैरव बटालियनों के गठन से युद्ध संचालन में तेज़ी और सटीकता आई है.
- हथियारों के आधुनिकीकरण में .338 कैलिबर स्नाइपर राइफल और नई पीढ़ी के रॉकेट लॉन्चर शामिल किए जा रहे हैं.
युद्धों के निरंतर बदलते स्वरूप और उनमें प्रौद्योगिकी तथा ड्रोन के बढ़ते उपयोग को देखते हुए भारतीय सेना की पैदल सेना इन्फेंट्री खुद को नए युग की आवश्यकताओं के अनुरूप ढाल रही है. अत्याधुनिक तकनीक, स्वदेशी उपकरणों और नवाचार-आधारित रणनीति के बल पर यह शाखा अब भविष्य के युद्धक्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है. ‘अश्नी' ड्रोन प्लाटून से लेकर ‘भैरव' बटालियनों के गठन तक, इन्फेंट्री युद्ध की पारंपरिक सीमाओं को पीछे छोड़ते हुए एक तेज, सटीक और स्वायत्त बल के रूप में उभर रही है.
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अत्याधुनिक, आत्मनिर्भर और चुस्त इन्फेंट्री की दिशा में कदम
79वें इन्फेंट्री डे (शौर्य दिवस) के अवसर पर इन्फेंट्री के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने कहा कि पैदल सेना का लक्ष्य अपने प्रत्येक सैनिक को अत्याधुनिक तकनीक और प्रशिक्षण से सुसज्जित कर उसे एक “स्वयं में सक्षम प्रणाली” के रूप में विकसित करना है, जो किसी भी परिस्थिति में निर्णायक कार्रवाई कर सके. उन्होंने बताया कि प्रौद्योगिकी के तीव्र विकास के इस दौर में इन्फेंट्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत' के मार्ग पर कई संस्थागत सुधार और तकनीक-आधारित बदलाव किए हैं. ये पहलें मारक क्षमता, गतिशीलता, पारदर्शिता, सैनिक सुरक्षा, प्रशिक्षण और पुनर्गठन जैसे क्षेत्रों में केंद्रित हैं.
ये परिवर्तन ऑपरेशन सिंदूर तथा विश्वभर में हुए संघर्षों से सीखे गए सबकों पर आधारित हैं. इसी के तहत अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), युद्धक्षेत्र नेटवर्किंग, सटीक-निर्देशित हथियार और स्वचालित प्रणालियों पर विशेष बल दिया जा रहा है.
‘भैरव' और ‘अश्नी': भविष्य की युद्ध इकाइयां
सबसे बड़ा परिवर्तन इन्फेंट्री की नई पीढ़ी की इकाइयों, ‘भैरव बटालियन' और ‘अश्नी ड्रोन प्लाटून' के गठन के रूप में सामने आया है. न्फेंट्री की 380 बटालियनों में अब प्रत्येक में एक ‘अश्नी' प्लाटून गठित की जा चुकी है.वहीं, करीब 250 सैनिकों वाली विशेष रूप से प्रशिक्षित ‘भैरव' बटालियनों का गठन किया जा रहा है, जो गहराई तक त्वरित और सटीक प्रहार करने में सक्षम होंगी.
‘अश्नी' नामक फर्स्ट पर्सन व्यू (FPV) ड्रोन प्लाटून ‘Eagle on the Arm' अवधारणा का हिस्सा हैं, जिससे सैनिक अपने हथियार प्लेटफॉर्म से ही ड्रोन संचालित कर सकता है. और, ‘भैरव बटालियनें' विशेष अभियानों के लिए सुसज्जित उत्कृष्ट कमांडो इकाइयां हैं, जिन्हें तेज़ और आश्चर्यजनक हमलों के लिए तैयार किया गया है. ये पारंपरिक और आधुनिक पैदल सेना के बीच की खाई को पाटने का कार्य करेंगी.
हथियार और उपकरणों में व्यापक आधुनिकीकरण
इन्फेंट्री की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए पुरानी स्नाइपर राइफलों को अब .338 कैलिबर स्नाइपर राइफलों से बदला जा रहा है. इसके साथ ही 7.62 मिमी राइफलें भी बड़े पैमाने पर शामिल की जा रही हैं.
टैंक रोधी क्षमता के क्षेत्र में सेना अब दूसरी पीढ़ी से चौथी और पांचवीं पीढ़ी की तकनीक की ओर अग्रसर है. नई पीढ़ी के हल्के, अधिक प्रभावी रॉकेट लॉन्चर शामिल किए जा रहे हैं, जबकि लोइटर म्यूनिशन को अपनाकर ड्रोन-सक्षम सटीक प्रहार क्षमता विकसित की जा रही है. इसके अलावा, 2,770 करोड़ रुपये की लागत से 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन की खरीद की जा रही है, जो नज़दीकी युद्ध के लिए उपयुक्त होंगी.
गतिशीलता और संचार में क्रांतिकारी सुधार
संचालनगत गतिशीलता बढ़ाने के लिए सेना में त्वरित प्रतिक्रिया बल वाहन (QRFV), ऑल-टेरेन व्हीकल, लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल, स्पेशलिस्ट मोबिलिटी व्हीकल और आर्टिकुलेटेड ऑल-टेरेन व्हीकल शामिल किए जा रहे हैं.
संचार के क्षेत्र में पारंपरिक UHF/VHF प्रणालियों की जगह अब सॉफ्टवेयर-आधारित रेडियो सिस्टम अपनाए जा रहे हैं. ये अत्याधुनिक, एन्क्रिप्टेड विश्वस्तरीय प्रणालियां हैं, जो तीनों सेनाओं के बीच बेहतर अंतर-संचालन क्षमता (interoperability) सुनिश्चित करेंगी.
सुरक्षा और प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान
जमीनी स्तर पर सैनिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए आधुनिक बैलिस्टिक हेलमेट, बुलेटप्रूफ जैकेट, सामरिक कवच और व्यक्तिगत सुरक्षा किट शामिल की जा रही हैं. यथार्थपरक प्रशिक्षण के लिए इन्फेंट्री को टैक्टिकल एंगेजमेंट सिमुलेटर, इन्फेंट्री वेपन ट्रेनिंग सिमुलेटर और पोर्टेबल कंटेनरयुक्त फायरिंग रेंज से सुसज्जित किया जा रहा है, जिससे सैनिक कृत्रिम परिस्थितियों में वास्तविक युद्ध जैसी तैयारी कर सकें.
‘मेक इन इंडिया' से आत्मनिर्भर इन्फेंट्री की ओर
पैदल सेना के आधुनिकीकरण की यह प्रक्रिया घरेलू रक्षा उद्योग, डीपीएसयू और शिक्षा जगत के सहयोग से संचालित हो रही है. ‘मेक इन इंडिया' अभियान के अंतर्गत स्वदेशी हथियारों, गोला-बारूद और उपकरणों की खरीद को प्राथमिकता दी जा रही है.
इसके साथ ही, नवाचार और अनुसंधान परियोजनाओं में विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों को भी भागीदार बनाया जा रहा है, ताकि दीर्घकालीन आत्मनिर्भरता सुनिश्चित हो सके. लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने कहा कि परिवर्तन और आधुनिकीकरण की इस प्रक्रिया की रीढ़ हमारे अधिकारी, जेसीओ और जवान हैं, जिनके प्रशिक्षण और क्षमता-विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
वीरता का प्रतीक: इन्फेंट्री डे
भारतीय सेना हर वर्ष 27 अक्टूबर को इन्फेंट्री डे या शौर्य दिवस के रूप में मनाती है. इसी दिन वर्ष 1947 में 1 सिख रेजिमेंट पाकिस्तान समर्थित घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरी थी. यह भारतीय इतिहास में वह निर्णायक क्षण था जिसने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा सुनिश्चित की.
यह दिवस पैदल सेना की वीरता, बलिदान और अदम्य जज़्बे का प्रतीक है, वह भावना जिसने हर युग में भारतीय सीमाओं की रक्षा में खुद को समर्पित किया है.














