भारत सरकार चाहती है कि कार सुरक्षा मानकों में सुधार किया जाए और इसके लिए जाहिर है कि दुर्घटना परीक्षणों में रफ्तार को बढ़ाना होगा. हाल के दिनों में बेहतर सड़कों की वजह से तेज रफ्तार वाहनों के सड़क-दुर्घटनाओं में शामिल होने की संभावना बढ़ती जा रही है. गौरतलब है कि भारत में कार-दुर्घटनाओं में होने वाली मौत का आंकड़ा काफी चिंताजनक है.
रॉयटर्स के मुताबिक, सड़क परिवहन मंत्रालय ने 197 पन्नों का मसौदा तैयार किया है ताकि एक नई सुरक्षा रेटिंग प्रणाली की योजना को अमल में लाया जा सके. आने वाले हफ्तों में मसौदे को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है.
सुधार मानकों को विश्वस्तरीय बनाने की योजना में शामिल एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि सड़कों में सुधार के साथ भारतीय कारें तेज रफ्तार के साथ आगे बढ़ रही हैं और इसलिए जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार ही उच्च गति पर सुरक्षा-परीक्षण करना होगा.
एक अधिकारी ने कहा, "भारत में सड़क सुरक्षा नियमों को दुनिया के समान होना चाहिए." इसी अधिकारी ने कहा,”दुर्घटना परीक्षण की गति बढ़ाना जरूरी है." मंत्रालय के प्रस्ताव के तहत, जिस गति से एक कार क्रैश-टेस्ट से गुजरती है, उसे वैश्विक मानक के अनुरूप 56 किमी प्रति घंटे (35 मील प्रति घंटे) से बढ़ाकर 64 किमी प्रति घंटा (40 मील प्रति घंटे) किया जाएगा.
भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कार बाजार है. यहां कुछ बेहद ही खतरनाक सड़कें हैं. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 में 355,000 सड़क दुर्घटनाओं में 133,000 से अधिक लोग मारे गए थे.
मंत्रालय ने कई परीक्षणों के आधार पर कारों के लिए एक स्टार रेटिंग प्रणाली का प्रस्ताव किया है. इस प्रणाली के तहत सामने और किनारे से होने वाली दुर्घटना शामिल है. सरकार को उम्मीद है कि नई प्रणाली के तहत उच्च रेटिंग पाने के लिए कार निर्माता उन्नत सुरक्षा सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश करेंगे.
यह प्रणाली अगले साल अप्रैल से लागू होगी. निस्संदेह ही यह रोड सेफ्टी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए जा रहे कई कदमों में से एक है. सरकार ने सभी कारों में छह एयरबैग अनिवार्य करने का भी प्रस्ताव किया है. अभी यह सिर्फ दो ही होता है.
एसएंडपी ग्लोबल मोबिलिटी में लाइट व्हीकल प्रोडक्शन फोरकास्ट के एसोसिएट डायरेक्टर गौरव वंगाल कहते हैं कि नई प्रणाली कारों को सुरक्षित बनाएगी क्योंकि कंपनियों को अच्छी रेटिंग पाने के लिए अपने वाहन के ढांचे को मजबूत करना होगा. लेकिन यह फीचर उन्हें और अधिक महंगा भी बना देगा.
वांगल ने कहा, "यह एंट्री सेगमेंट मॉडल की बिक्री पर सीधा दबाव डालते हुए ग्राहकों के सामर्थ्य को प्रभावित करेगा और ऐसे ग्राहक कार की कीमतों को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं."
भारत में हर साल करीब 30 लाख कारों की बिक्री होती है. भारत के कार बाजार में जापानी कार निर्माता सुजुकी मोटर कंपनी की भारतीय इकाई मारुति सुजुकी और दक्षिण कोरिया की हुंडई मोटर कंपनी का दबदबा है.