5 दिन ऑफिस में काम नहीं करूंगी... भारतीय कर्मचारी ने लंदन की यात्रा से क्यों किया इनकार, जानिए पूरा मामला

तरुणा विनायकिया ने लंदन में रहने की उच्च लागत को अपने शहर छोड़ने का मुख्य कारण बताया. उन्होंने कहा कि अच्छी तनख्वाह के बावजूद उन्हें हर महीने गुजारा करने में कठिनाई होती थी. विनायकिया ने कहा कि टॉप पदों पर अक्सर ऐसे व्यक्ति होते हैं जो सेवानिवृत्त होने के कोई संकेत नहीं दिखाते, जिससे नए लोगों के लिए आगे बढ़ने के अवसर सीमित हो जाते हैं.

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लंदन में रहने वाली एक भारतीय महिला ने हफ़्ते में पांच दिन ऑफिस से काम करने से साफ इनकार कर दिया है. भारतीय कर्मचारी ने कहा है कि वह लंदन की महंगी यात्रा पर अपनी आय खर्च नहीं करेगी.  25 वर्षीय तरुणा विनायकिया ने इस बात पर जोर दिया कि वह लंदन की यात्रा पर अपना पूरा वेतन खर्च नहीं कर सकती. 

लिंक्डइन पर एक वायरल पोस्ट में उन्होंने कार्यालय लौटने के आदेशों, बढ़ते खर्च और जेन-जेड पेशेवरों को प्रभावित करने वाले स्थिर वेतन के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की. बता दें कि Gen Z उन लोगों को कहा जाता है, जो 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए हैं. यह पीढ़ी इंटरनेट, सोशल मीडिया, और डिजिटल टेक्नोलॉजी के साथ बड़े हुए हैं.

तरुणा विनायकिया ने लंदन में रहने की उच्च लागत को अपने शहर छोड़ने का मुख्य कारण बताया. उन्होंने कहा कि अच्छी तनख्वाह के बावजूद उन्हें हर महीने गुजारा करने में कठिनाई होती थी. विनायकिया ने कहा कि टॉप पदों पर अक्सर ऐसे व्यक्ति होते हैं जो सेवानिवृत्त होने के कोई संकेत नहीं दिखाते, जिससे नए लोगों के लिए आगे बढ़ने के अवसर सीमित हो जाते हैं.

तरुणा विनायकिया ने कहा कि मैं 25 साल की हूं. अच्छे करियर में हूं, लंदन में रहती हूं और फिर भी हर महीने अपने बिलों का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रही हूं. शायद मेरे पास कभी घर नहीं होगा. कॉर्पोरेट की सीढ़ी चढ़ना? यह कोई सपना नहीं है, जब शीर्ष पर ऐसे लोग हैं जो रिटायर होने तक अपनी जगह नहीं बना पाएंगे और किस लिए? थोड़े बेहतर वेतन के लिए कड़ी मेहनत करना जो अभी भी जीवनयापन की लागत के साथ तालमेल नहीं बिठा पाएगा?

तरुणा विनायकिया ने अपने करियर और काम पर नियंत्रण पाने के लिए फ्रीलांसिंग की ओर रुख किया है. उन्होंने सुझाव दिया कि काम का भविष्य पारंपरिक कॉर्पोरेट संरचनाओं में काम करने के बजाय व्यक्तिगत करियर बनाने में निहित हो सकता है.

विनायकिया ने अपने लेख में लिखा, "सौभाग्य से मैंने फ्रीलांसिंग की ओर रुख किया और हालांकि अभी भी शुरुआती दिन हैं. लेकिन यह पहली बार है जब मुझे लगा कि मेरे काम पर मेरा वास्तविक नियंत्रण है. शायद यही भविष्य है, ऐसी प्रणाली में पदोन्नति के पीछे भागना नहीं जो हमारे लिए काम नहीं करती, बल्कि अपनी शर्तों पर करियर बनाना.

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उनकी टिप्पणियों को कई लोगों ने पसंद किया और फ्रीलांसिंग में जाकर अपने करियर को नियंत्रित करने के उनके फैसले की सराहना की. एक यूजर ने लिखा कि यह कहने का कितना अद्भुत तरीका है. मैं बहुत से लोगों को काम पर जेन-जेड के तथाकथित "नखरे" के बारे में लिखते हुए देखता हूं. जबकि वास्तव में ये "नखरे" परिणाम हैं!

विनायकिया लेगो ग्रुप में ग्लोबल इन्फ़्लुएंसर स्ट्रैटेजी मैनेजर के रूप में काम करती हैं. उन्होंने डरहम यूनिवर्सिटी से मार्केटिंग में एमए और स्टेला मैरिस कॉलेज से बीबीए किया है.

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