सियाचिन की बर्फीली ऊंचाइयों से लेकर पोर्ट ब्लेयर के तटों तक... भारतीय सेना ने योग से दिया जनकल्याण का संदेश

राष्ट्रव्यापी भागीदारी के अलावा विदेश में तैनात भारतीय सैन्य कर्मियों ने भी योग सत्रों में हिस्सा लिया और भारतीय पद्धति से शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक कल्याण का संदेश दिया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने उधमपुर में योग किया.

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नई दिल्ली:

पूरे भारत में 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है. पूरब से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक हर कोई इस भारतीय पद्धति से स्वास्थ्य लाभ का संदेश दे रहा है. बुजुर्ग हों या युवा, बच्चे हों या महिलाएं हर कोई इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है. भारतीय सेना भी पूरे जोशो-खरोश के साथ इस अभियान का हिस्सा बनी.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में योग दिवस समारोह में शामिल हुए और सैनिकों के बीच युद्ध की तत्परता और तनाव प्रबंधन बढ़ाने में योग के महत्व पर प्रकाश डाला.

सियाचिन ग्लेशियर की बर्फीली ऊंचाइयों पर, उत्तर में पैंगोंग त्सो लेक के तट से लेकर दक्षिण में पोर्ट ब्लेयर के शांत तटों तक भारतीय सेना के जवान योगासन करते नजर आए. पूर्व में अरुणाचल प्रदेश के किबिथू से लेकर पश्चिम में कच्छ के रण तक सैनिकों ने योग किया.

 दिल्ली में भारतीय सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि ने प्रतिष्ठित करियप्पा परेड ग्राउंड में सैनिकों और परिजनों के साथ योगाभ्यास किया. इस कार्यक्रम में 25 देशों के रक्षा अताशे, एनसीसी कैडेट्स, स्कूली बच्चे और सेना के परिवार सहित 3,400 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया.

राष्ट्रव्यापी भागीदारी के अलावा संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में तैनात और विदेशों में तैनात भारतीय सेना के कर्मियों ने भी योग सत्रों का लाभ उठाकर खुद को मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत करने का संदेश दिया. 

मंगोलिया में बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास खान क्वेस्ट और फ्रांस में अभ्यास शक्ति में हिस्सा लेने वाले भारतीय सैनिकों ने अपने साथी अंतरराष्ट्रीय सैनिकों के साथ मिलकर योग किया और भारत की सांस्कृतिक झलक पेश करते हुए शांति एवं कल्याण की साझा प्रतिबद्धता प्रदर्शित की. 

देश-विदेश में आयोजित ये समारोह "योगः कर्मसु कौशलम्" (कर्मों की कुशलता ही योग है) में भारतीय सेना के स्थायी विश्वास को दर्शाते हैं. साथ ही विभिन्न क्षेत्रों, परिस्थितियों में अपने वैश्विक कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे सैन्य कर्मियों के रोजमर्रा की जिंदगी में इस भारतीय प्राचीन पद्धति को शामिल करने के संकल्प जाहिर करते हैं.
 

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