पूर्वी लद्दाख में सीमा से हटने लगी भारत और चीन की सेना, 31 अक्टूबर तक शुरू हो जाएगी गश्त

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के डेपसांग और डेमचॉक पॉइंट पर भी समझौता हुआ था. दोनों देशों की सेनाओं ने इन पॉइंट्स से अपने अस्थायी टेंट और शेड हटाने शुरू कर दिए हैं. वहीं, बख्तरबंद गाड़ियां और मिलिट्री उपकरण भी पीछे की जा रही है.

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नई दिल्ली/लद्दाख:

भारत और चीन के बीच सोमवार (21 अक्टूबर) को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर पेट्रोलिंग को लेकर हुए समझौते के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख बॉर्डर से पीछे हटना शुरू कर दिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, LAC पर 22 अक्टूबर से ही डिस इंगेजमेंट शुरू हुआ. शुक्रवार तक 40 से 50% डिस इंगेजमेंट हो चुका है. 28 और 29 अक्टूबर तक डिस इंगेजमेंट की पूरी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद महीने के आखिर यानी 31 अक्टूबर तक LAC पर पेट्रोलिंग भी शुरू हो जाएगी.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने सोमवार को बताया था कि भारत-चीन के सीमावर्ती इलाकों में पेट्रोलिंग के साथ 2020 के बाद उठे मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्ताव तैयार हुआ है. इस पर दोनों देश कदम उठाएंगे.

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डेपसांग और डेमचॉक पॉइंट पर हुआ था समझौता
सूत्रों के मुताबिक, भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के डेपसांग और डेमचॉक पॉइंट को लेकर समझौता हुआ था. दोनों देशों की सेनाओं ने इन पॉइंट्स से अपने अस्थायी टेंट और शेड हटाने शुरू कर दिए हैं. वहीं, बख्तरबंद गाड़ियां और मिलिट्री उपकरण भी पीछे की जा रही है.

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इन दोनों पॉइंट पर अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति बहाल होगी. डिस इंगेजमेंट के पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जाएगी. वहीं, दोनों देशों की सेना एक-दूसरे से लगातार बातचीत करती रहेंगी.

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गलवान घाटी और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स अभी नहीं शुरू होगी गश्त
LAC पर तनाव कम करने को लेकर हुए समझौते में डेमचॉक के गलवान घाटी और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स में गश्त को लेकर कुछ नहीं कहा गया है. यानी यहां अभी न तो डिस इंगेजमेंट होगा और न ही पेट्रोलिंग शुरू हो सकेगी.

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भारत-चीन के बीच क्या है सीमा विवाद?
-पूर्वी लद्दाख में 7 ऐसे पॉइंट हैं, जहां चीन के साथ टकराव की स्थिति रहती है. ये हैं पेट्रोलिंग पॉइंट 14 यानी गलवान, 15 यानी हॉट स्प्रिंग, 17A यानी गोगरा, पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण छोर, डेपसांग प्लेन और डेमचॉक में चारदिंग नाला हैं, जहां तनाव रहता है. 

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-अप्रैल 2020 में चीन ने एक सैन्य अभ्यास के बाद पूर्वी लद्दाख के 6 इलाकों में अतिक्रमण किया था. 2022 तक 4 इलाकों से चीन की सेना पीछे हट गई. दौलत बेग ओल्डी और डेमचॉक पर भारतीय सेना को पेट्रोलिंग नहीं करने दी जा रही थी.

-अप्रैल 2020 से पहले सैन्य अभ्यास के नाम पर चीनी सेना हजारों की तादाद में सीमा पर जमा हो गई. जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने भी तैनाती की. जून 2020 में गलवान में चीनी सैनिकों और भारतीय जवानों के साथ खूनी झड़प हुई. इस दौरान भारत के 20 जवान शहीद हो गए. जबकि चीन के इससे भी दोगुनी संख्या में सैनिक मारे गए थे. हालांकि, चीन ने सिर्फ 3 सैनिकों के मारे जाने की बात मानी थी.

-फिर कई दौर की बातचीत के बाद सितंबर 2022 में गोगरा और हॉट स्प्रिंग पर डिसएंगेजमेंट की सहमति बन चुकी थी, जिसके तहत चीन की सेना वहां से पीछे हट गई थी. फिर दो अहम पॉइंट डेपसांग, डेमचॉक बचे रह गए थे. इनपर 21 अक्टूबर को डिसएंगेजमेंट पर सहमति बनी है.

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बफर जोन कहां हैं?
दो साल पहले पैंगोग एरिया यानी फिंगर एरिया और गलवान के पीपी-14 से डिसइंगेजमेंट हुआ. फिर गोगरा में पीपी-17 से सैनिक हटे और फिर हॉट स्प्रिंग एरिया में पीपी-15 से. पीपी यानी पेट्रोलिंग पॉइंट. यहां अभी बफर जोन बने हैं. उनमें न तो भारत के सैनिक पेट्रोलिंग कर रहे हैं ना चीन के. सूत्रों के मुताबिक, इन पेट्रोलिंग पॉइट पर भी फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने को लेकर बातचीत चल रही है.

फिंगर एरिया में क्यों नहीं आती दोनों देशों की सेनाएं?
लद्दाख में झील के उत्तरी किनारे की रिजलाइन पर, जहां पर भारतीय सेना पेट्रोलिंग करती है, वहां से झील को देखने पर ये उभार हाथ की उंगलियों जैसे दिखते हैं. ये उभार आठ उंगलियों जैसे दिखते हैं. यही वजह है कि इनका नाम 1 से 8 फिंगर्स है. फिंगर 4 तक हमारी फौजों की सड़क है. चीनी सेना की सड़क फिंगर 8 तक है. फिंगर 4 से 8 के बीच का इलाका जीप वाला है. हालांकि, विवाद होने की वजह से दोनों देशों की सेनाएं इस इलाके में नहीं आती हैं. दोनों देश इस फिंगर एरिया बताते हैं.

PM मोदी ने जिनपिंग से कहा था-आपसी भरोसा जरूरी 
रूस के कजान शहर में 16वें BRICS समिट से इतर बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई. जिनपिंग से मुलाकात के बाद PM मोदी ने फिर से शांति की बात दोहराई थी. उन्होंने कहा, "LAC पर शांति-स्थिरता हमारी प्राथमिकता है. इसके लिए आपसी भरोसा और सम्मान हमारे लिए जरूरी है. मुझे विश्वास है कि हम आगे भी खुले मन से चर्चा करेंगे. हमारी चर्चा कंस्ट्रक्टिव होगी."

PM मोदी ने कहा, "हम 5 साल बाद औपचारिक रूप से बैठक कर रहे हैं. पिछले 4 सालों में सीमा पर पैदा हुई. समस्याओं पर जो सहमति बनी है, उसका हम स्वागत करते हैं. सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए."

मतभेदों को सही तरीके से संभालना चाहिए- चीनी राष्ट्रपति
वहीं, जिनपिंग ने कहा, "दोनों देशों को अपने मतभेदों को सही तरीके से संभालना चाहिए. भारत और चीन को अपने संबंधों को सामान्य बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए. तभी दोनों देश अपने विकास के टार्गेट को पूरा कर पाएंगे."

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