देश के नागरिक उड्डयन मंत्री (Aviation Minister)ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia)ने कहा है कि भारत में अब एविएशन वास्तव में अपने विकास के रास्ते पर चलने लगा है. दिल्ली एयरपोर्ट साल के अंत तक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एयरपोर्ट बन जाएगा. जबकि भारत अगले 5 साल में दुबई की तरह ग्लोबल एविएशन हब बन जाएगा.
सिंधिया ने बुधवार को NDTV के साथ एक खास इंटरव्यू में कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)के तहत देश में एविएशन इंफ्रास्ट्रक्चर का तेज गति से विस्तार हुआ है. दिल्ली एयरपोर्ट की फ्लो कैपसिटी अभी 70 मिलियन है, जो दिसंबर में बढ़कर 109 मिलियन हो जाएगी. इसका मतलब है कि दिल्ली एयरपोर्ट दुनिया का दूसरा बड़ा एयरपोर्ट हो जाएगा."
NDTV के साथ खास इंटरव्यू में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि अगले 12 महीनों में जेवर एयरपोर्ट का उद्घाटन किया जाएगा. 2030 तक इसकी क्षमता बढ़कर 60 मिलियन हो जाएगी. इसलिए जेवर और दिल्ली के बीच फ्लो कैपसिटी 160 मिलियन की होगी.
हवाई किराए पर क्या कहा?
हवाई किराए में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी और किराए को विनियमित करने में सरकार की भागीदारी के तर्क पर सिंधिया ने कहा, “नागरिक उड्डयन एक अनियंत्रित क्षेत्र है. जून में जो हुआ वह एक अपवाद था. हॉलीडे सीजन के कारण फ्लाइट के टिकट के दाम बढ़ रहे थे. एयरलाइन में लगभग 30 विमान खड़े थे. इसलिए दिक्कत हुई."
एविएशन हब
भारत कब सिंगापुर, दुबई या दोहा जैसा अंतरराष्ट्रीय विमानन केंद्र बन सकता है? इसके जवाब में सिंधिया ने कहा, "2014 के बाद से हवाई अड्डों की संख्या 74 से बढ़कर 149 हो गई है. तीन दिन पहले ओडिशा में नए उत्केला हवाई अड्डे का उद्घाटन किया गया है. बेड़े का आकार 400 से बढ़कर 700 हो गया है. यात्रियों की संख्या 6 करोड़ से बढ़कर लगभग 14.5 करोड़ हो गई है."
2030 तक हवाई अड्डों की संख्या 220 तक जाने का अनुमान
उन्होंने कहा, "2030 तक हवाई अड्डों की संख्या 220 तक जाने का अनुमान है. यानी मौजूदा संख्या से 50% की वृद्धि होगी. इससे विमानों की संख्या दोगुनी से ज्यादा 1500 हो जाएगी. यात्रियों की संख्या लगभग 3 गुना हो जाएगी और ये 42.5 करोड़ तक पहुंच जाएगी." केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा होना ही चाहिए, क्योंकि अब तक भारतीय वाहक घरेलू स्तर पर क्षमता बढ़ाने पर बहुत ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, “हमें एक से शुरुआत करने की जरूरत है. फिर आगे चलकर इसे दोहराने की जरूरत है. आज हमारे बहुत से यात्री तीसरे देश से होकर जाते हैं. मुझे लगता है कि डायरेक्ट फ्लाइट पर फोकस करना होगा."
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