भारत और अमेरिका की सेनाओं ने उत्तराखंड में सैन्य ठिकाने पर दो हफ्ते लंबा युद्धाभ्यास मंगलवार को शुरू किया. इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों के साथ सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों और रणनीतियों का आदान-प्रदान करना है. ‘युद्धाभ्यास' पूर्वी लद्दाख में सीमा पर भारत और चीन के बीच 30 महीने से जारी गतिरोध के बीच शुरू हुआ है. यह अभ्यास सालाना तौर पर भारत और अमेरिका के बीच आयोजित होता है. इसके पिछले संस्करण का आयोजन अक्टूबर 2021 में अमेरिका के अलास्का में ‘ज्वाइंट बेस एलमेन्ड्राफ रिचर्डसन' में किया गया था.अधिकारियों ने बताया कि अभ्यास के 18वें संस्करण की शुरुआत मंगलवार को हो गई और यह दिसंबर के पहले हफ्ते में खत्म होगा. इस अभ्यास में अमरीकी सेना की 11वीं एयरबॉर्न डिवीजन की सेकेंड बिग्रेड के जवान और भारतीय सेना की असम रेजीमेंट के जवान भाग लेंगे.
सेना ने कहा कि क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास के अंतर्गत एकीकृत युद्ध समूहों का आकलन , ‘फोर्स मल्टीप्लायर्स', निगरानी ग्रिड की स्थापना और संचालन, अभियानगत साजो सामान का आकलन, पर्वतीय युद्ध कौशल आदि शामिल है. प्रशिक्षण के दौरान युद्धक इंजीनियरिंग, ‘अनमैन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम' (यूएएस) और यूएएस का मुकाबला करने वाली तकनीकों का इस्तेमाल सहित युद्ध कौशल की अन्य रणनीति का आदान प्रदान शामिल है. भारतीय सेना ने कहा कि यह युद्धाभ्यास दोनों देशों की सेनाओं को अपने व्यापक अनुभवों, कौशलों को साझा करने तथा सूचना के आदान-प्रदान से अपनी तकनीकों के विस्तार का अवसर प्रदान करेगा.उसने बयान में कहा, “यह प्रशिक्षण कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र अधिदेश के चैप्टर-7 के अंतर्गत एकीकृत युद्धक समूह के इस्तेमाल पर केंद्रित है. इसके अंतर्गत शांति रक्षण और शांति लागू करने से संबंधित सभी प्रकार की कार्रवाइयां शामिल होंगी.”
बयान के मुताबिक, “ दोनों देशों के सैनिक साझा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मिलकर कार्य करेंगे. संयुक्त अभ्यास के दौरान मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) कार्रवाइयों पर भी ध्यान दिया जाएगा. दोनों देशों की सेनाओं के जवान किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा में त्वरित और समन्वित रूप से राहत कार्य शुरू करने का भी अभ्यास करेंगे.”
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)