चंदा कोचर से लेकर गोयल तक देश के इन 8 टॉप बैंकर्स को खानी पड़ी जेल की हवा

यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी बड़े बैंक अधिकारी को इस तरह के आरोपों में गिरफ्तार किया गया हो. पिछले एक दशक में कई नामी बैंकर भ्रष्टाचार, धनशोधन और अनियमित ऋण स्वीकृति के मामलों में जेल की हवा खा चुके हैं. आइए, एक नजर डालते हैं उन बड़े नामों पर जो इस तरह के घोटालों में फंसे:

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नई दिल्ली:

ईडी ने यूको बैंक के पूर्व सीएमडी सुबोध कुमार गोयल को कोलकाता की एक कंपनी से जुड़े 6,200 करोड़ रुपये से अधिक के कथित बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में  मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है. गोयल को ‘कॉनकास्ट स्टील एंड पावर लिमिटेड' (सीएसपीएल) और अन्य के खिलाफ जांच के मामले में 16 मई को उनके घर से गिरफ्तार किया गया था. यह पहला मौका नहीं है जब किसी बैंक के टॉप अधिकारी पर इस तरह की कार्रवाई हुई हो. बीते एक दशक में कई बड़े बैंक प्रमुख जांच एजेंसियों के निशाने पर आ चुके हैं, जिन्हें भ्रष्टाचार, धनशोधन और लोन धांधलेबाजी के आरोपों में गिरफ्तार किया गया. एस.के. जैन, श्यामल आचार्य, योगेश अग्रवाल, रवींद्र मराठे, प्रतीप चौधरी, राणा कपूर और चंदा कोचर. बैंकों में ऊंचे-ऊंचे काम करने वाले इन मशहूर बैंकरों तक को जेल जाना पड़ा. यहां जानिए बैंक घोटाले मामले में कब कौन सा बैंकर जेल गया.

चंदा कोचर: वीडियोकॉन के साथ सौदे का दाग

ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर का नाम 2018 में तब चर्चा में आया, जब उन पर वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपये के लोन में अनियमितता बरतने का आरोप लगा. सीबीआई के अनुसार, 2009 से 2011 के बीच वीडियोकॉन को दिए गए कई लोन बाद में एनपीए बन गए. एक मामले में 300 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत होने के ठीक बाद 64 करोड़ रुपये उनके पति दीपक कोचर की कंपनी में पहुंच गए. साल 2016 में एक व्हिसलब्लोअर की शिकायत के बाद यह मामला उजागर हुआ, और 2018 में कोचर को इस्तीफा देना पड़ा. दिसंबर 2022 में सीबीआई ने चंदा, दीपक, और वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत को गिरफ्तार किया. हालांकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2024 में उनकी गिरफ्तारी को गैरकानूनी ठहराते हुए जमानत दे दी.

एस.के. जैन: रिश्वत के खेल में फंसे

सिंडिकेट बैंक के पूर्व सीएमडी सुधीर कुमार जैन को 2014 में सीबीआई ने रिश्वतखोरी के एक मामले में गिरफ्तार किया गया. उन पर भूषण स्टील और प्रकाश इंडस्ट्रीज को क्रेडिट सीमा बढ़ाने के बदले 50 लाख रुपये की रिश्वत लेने का इल्जाम था. इस मामले की जांच में सीबीआई ने उनके ठिकानों से 21 लाख रुपये नकद, 1.68 करोड़ का सोना और 63 लाख की जमा रसीदें बरामद कीं. जैन को अगस्त 2014 में निलंबित कर दिया गया और बाद में उनकी सेवाएं खत्म कर दी गईं.

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श्यामल आचार्य: एसबीआई में अनियमितता 

2014 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की तत्कालीन डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर श्यामल आचार्य को सीबीआई ने रिश्वतखोरी के एक मामले में गिरफ्तार किया था. तब उन पर कोलकाता की पायनियर एग्रो इंडस्ट्रीज को 250 करोड़ रुपये का अनुचित ऋण स्वीकृत करने का आरोप था. इस सौदे में आचार्य को 3 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली, जिसमें से 40 लाख रुपये नकद थे.  सीबीआई ने उनके रिश्तेदारों के खातों में भी रिश्वत की रकम का पता लगाया.

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योगेश अग्रवाल: किंगफिशर लोन घपला

आईडीबीआई बैंक के पूर्व सीएमडी योगेश अग्रवाल को 2017 में सीबीआई ने किंगफिशर एयरलाइंस को 950 करोड़ रुपये के अनियमित ऋण देने के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है. यह मामला विजय माल्या से जुड़ा था, जिनकी एयरलाइन 2012 में कर्ज के बोझ तले बंद हो गई थी. सीबीआई ने दावा किया कि अग्रवाल ने किंगफिशर की खराब वित्तीय स्थिति के बावजूद ऋण स्वीकृत किया, जो नियमों का उल्लंघन था. बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी.

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रवींद्र मराठे: डीएसके घोटाले में हिरासत

बैंक ऑफ महाराष्ट्र के पूर्व सीईओ रवींद्र मराठे को 2018 में पुणे पुलिस ने डीएसके डेवलपर्स से जुड़े 2,043 करोड़ रुपये के घोटाले में गिरफ्तार किया. उन पर डीएसके को 94.52 करोड़ रुपये का गलत ढंग से लोन देने का आरोप था. हालांकि, बाद में पुलिस ने उनके खिलाफ सबूत न होने की बात कहते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की, और मराठे को जमानत मिल गई.

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प्रतीप चौधरी: होटल परियोजना में सवाल

एसबीआई के पूर्व चेयरमैन प्रतीप चौधरी को 2021 में राजस्थान पुलिस ने जैसलमेर के गढ़ राजवाड़ा होटल प्रोजेक्ट से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया गया. इस मामले में आरोप था कि एसबीआई ने 200 करोड़ रुपये की संपत्ति को 25 करोड़ में बेचा, और चौधरी बाद में उस खरीदार कंपनी के निदेशक बन गए. हालांकि, उन्हें जल्द ही जमानत मिल गई, और एसबीआई ने बिक्री को नियमों के तहत बताया.

राणा कपूर: यस बैंक की छवि हुई धूमिल

यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर को 2020 में ईडी ने धनशोधन के कई मामलों में गिरफ्तार किया था. तब उन पर डीएचएफएल और अवंता ग्रुप से रिश्वत लेने का आरोप था. अवंता से 685 करोड़ की संपत्ति को 378 करोड़ में खरीदने और डीएचएफएल से 600 करोड़ की रिश्वत लेने के इल्जाम में उनकी 2,203 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई. चार साल जेल में रहने के बाद 2024 में उन्हें जमानत मिली.

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