अब ट्रेन से भूटान जा सकेंगे... रेलमंत्री ने दो शहरों तक रेल पहुंचाने का किया ऐलान

भारत सरकार अब भूटान के दो शहरों तक रेलवे लाइन बिछाने जा रही है. दो प्रोजेक्ट्स को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है, जिसमें से एक 69 किलोमीटर का और दूसरा 20 किलोमीटर का है.

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  • भारत सरकार ने भूटान के दो शहरों तक रेलवे लाइन बिछाने के लिए दो परियोजनाओं को मंजूरी दी है.
  • कोकराझार (असम) से गालेफू (भूटान) तक 69 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन बनाने का काम शुरू होगा.
  • भारत-भूटान के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने से व्यापार और लोगों की आवाजाही में सुधार होगा.
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भारत और भूटान अब रेल नेटवर्क से भी जुड़ जाएंगे. दोनों देशों के बीच रेल कनेक्टिविटी को मजबूती देने के लिए केंद्र सरकार ने दो अहम प्रोजेक्ट्स को मंजूर कर दिया है. यह जानकारी केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार (29 सितम्बर ) को दी. उन्होंने बताया कि 4,033 करोड़ रुपये की कुल लागत से दो नए रेलवे लिंक का निर्माण किया जाएगा.

भारत-भूटान के रिश्तों को मिलेगी मजबूती

पहला प्रोजेक्ट असम के कोकराझार और चिरांग जिले से भूटान के सर्पंग जिले के गालेफू तक नई रेल लाइन बनाने का है. इसकी लंबाई 69 किलोमीटर होगी, जिसके निर्माण में 3,456 करोड़ रुपये खर्च होंगे. दूसरा प्रोजेक्ट पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के बनरहाट से भूटान के समत्से तक 20 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बनाने का है. इस पर 577 करोड़ रुपये खर्च होंगे. दोनों ही रेल लाइनों के बनने से भारत-भूटान के बीच संपर्क और मजबूत होगा, साथ ही व्यापार, पर्यटन और लोगों की आवाजाही में आसानी होगी. ये दोनों के बीच रिश्तों को और मजबूत करने का भी काम करेगा.

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "भारत-भूटान रेलवे परियोजना का उद्देश्य भूटान के दो महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ना है. एक गेलेफू है, जिसे माइंडफुलनेस सिटी (शांतिपूर्ण और आधुनिक शहर) के रूप में विकसित किया जा रहा है, और दूसरा औद्योगिक शहर समत्से है. दोनों परियोजनाएं कोकराजार और बानरहाट में भारतीय रेलवे नेटवर्क से जुड़ी होंगी."

90 किमी की परियोजना 

जानकारी के अनुसार, कुल 90 किलोमीटर की परियोजना है, जिसमें 89 किलोमीटर रेल पटरियों का जाल बिछाया जाएगा. मंत्री ने कहा, " भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. भूटान का ज़्यादातर निर्यात-आयात (EXIM) व्यापार भारतीय बंदरगाहों के जरिए ही होता है. इसलिए भूटान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और लोगों को वैश्विक बाजारों तक बेहतर पहुंच देने के लिए भारत और भूटान के बीच अच्छी रेल कनेक्टिविटी बहुत जरूरी है. यही कारण है कि यह पूरा प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इसमें सम्तसे और गेलेफू की अहम भूमिका है, क्योंकि भूटान की आर्थिक विकास योजना में ये दोनों क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण हैं."

चार वर्षों में पूरा होगा प्रोजेक्ट

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए कहा कि कोकराझार-गेलेफू रेल लाइन में कुल 6 स्टेशन, 2 महत्वपूर्ण पुल, 4 वायाडक्ट (ऊंचे पुल), 29 बड़े पुल, 65 छोटे पुल, 2 माल गोदाम,1 रेलवे ओवरब्रिज और 39 रेलवे अंडरब्रिज (RUBs) होंगे. इसका कार्य चार वर्षों में पूरा होगा. वहीं, बनरहाट-सामत्से रेल लाइन का काम तीन साल में होगा. इसमें 2 स्टेशन, 1 बड़ा पुल, 24 छोटे पुल, 1 रेलवे ओवरब्रिज और 37 रेलवे अंडरब्रिज (RUBs) होंगे.  

पीएम मोदी के दौरे पर बनी थी प्रोजेक्ट की सहमति

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि मार्च 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा के दौरान भारत और भूटान ने मिलकर दो नई रेल लाइनों की स्थापना पर सहमति जताई थी. इनमें से 16 किलोमीटर लंबा बनरहाट-संपत्से मार्ग पश्चिम बंगाल को भूटान से जोड़ेगा. इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद भूटान को पहली बार रेल संपर्क मिलेगा. 

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भारत सरकार उठाएगी प्रोजेक्ट का खर्च

उन्होंने कहा कि दोनों रेल लाइनों में पूरा खर्च भारत सरकार करेगी. "भारत की सीमा में आने वाले रेल लिंक का खर्च रेलवे मंत्रालय उठाएगा. वहीं भूटान की सीमा में आने वाले दोनों रेल लिंक का खर्च भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा उठाया जाएगा, जो भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के तहत भारत की सहायता का हिस्सा है.

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना (2024-2029) के लिए भारत ने 10,000 करोड़ रुपये की सहायता देने का वादा किया है. इसमें विभिन्न परियोजनाओं, सामुदायिक विकास योजनाओं, आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रम और अनुदान शामिल हैं. यह राशि पिछली (12वीं) पंचवर्षीय योजना की तुलना में दोगुनी है."

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परियोजना में कोई अन्य देश शामिल नहीं 

उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट पूरी तरह द्विपक्षीय समझौते (MoU) के आधार पर हो रहा है और इसमें किसी तीसरे देश का कोई हस्तक्षेप नहीं है. मिस्त्री ने साफ किया कि यह कदम चीन को सीधा संदेश है कि भूटान में भारत की साझेदारी मजबूत है और बाहरी दखल की गुंजाइश नहीं है. इस रेल लाइन से दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी और भरोसा और गहरा होगा, साथ ही व्यापार और पर्यटन के नए रास्ते भी खुलेंगे. इसे भारत की रणनीतिक पहल माना जा रहा है.

वंदे भारत ट्रेनों के अनुरूप डिजाइन किए जाएंगे रेलमार्ग

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि बनरहाट–संपत्से रेल लाइन में भूटान की तरफ लगभग 2.13 किलोमीटर और भारत की तरफ करीब 17.42 किलोमीटर लंबा हिस्सा होगा. जबकि गेलफू रेल लाइन में भूटान की तरफ 2.39 किलोमीटर और भारत की तरफ 66.66 किलोमीटर का हिस्सा बनेगा. इन दोनों रेल लाइनों पर मालगाड़ियां और यात्री ट्रेनें दोनों चलेंगी. इनमें देश में लागू किए जा रहे आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम लगाए जाएंगे. 

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रेलमार्ग को वंदे भारत ट्रेनों के अनुरूप डिजाइन किया जाएगा यानी यह पूरी तरह विद्युतीकृत, तेज गति और आधुनिक तकनीकी मानकों पर आधारित होगा. इन परियोजनाओं से भारी आर्थिक लाभ होगा, साथ ही रणनीतिक दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण हैं.

तकनीक से लेकर कोच तक सब भारतीय

रेल मंत्री ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में पूरी तकनीक भारत की होगी, ट्रेन के कोच भी भारत में ही बनेंगे, और इसमें वही भरोसेमंद तकनीक इस्तेमाल होगी जो भारत पहले से उपयोग करता है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था दोनों देशों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आपसी सहमति से तय की जाएगी. साथ ही, भूटान के अधिक से अधिक लोगों को रेलवे संचालन की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे भी इस पूरे नेटवर्क का हिस्सा बन सकें.

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जल्द शुरू होगा काम

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि परियोजना का काम बहुत जल्द शुरू होगी. भूमि की सूची, सभी आवश्यक अनुमतियां, सभी प्रक्रियाएं चल रही हैं, भूमि अधिग्रहण बहुत तेज़ी से शुरू होगा. असम सरकार भी बहुत सहयोगी है. वे इस परियोजना को शुरू करने में हमारा पूरा सहयोग कर रहे हैं.

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