ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिये अफगानिस्‍तान को 20,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजेगा भारत

मेजबान भारत के अलावा बैठक में कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विशेष राजनयिकों और वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया.

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अफगानिस्‍तान को भारत यह गेहूं ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिये भेजेगा
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  • बैठक में युद्ध से तबाह अफगानिस्तान के हालात पर हुई चर्चा
  • काबुल में ‘सही मायने में समावेशी’सियासी ढांचे के गठन पर दिया गया जोर
  • अफगान की धरती का आतंकी गतिविधि के लिए नहीं हो इस्‍तेमाल
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नई दिल्‍ली:

अफगानिस्तान पर दिल्‍ली में भारत-मध्य एशिया संयुक्त कार्यकारी समूह की पहली बैठक में भारत ने चाबहार बंदरगाह के जरिये अफगानिस्तान को 20,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने का ऐलान किया है. मंगलवार को हुई इस बैठक में युद्ध से तबाह अफगानिस्तान के हालात पर गहन चर्चा हुई. भारत और पांच मध्य एशियाई देशों ने मंगलवार को कहा कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी तरह की आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए. इन देशों ने काबुल में ‘सही मायने में समावेशी' राजनीतिक ढांचे के गठन पर जोर दिया, जो महिलाओं समेत सभी अफगानों के अधिकारों का सम्मान करे. एक संयुक्त बयान में कहा गया कि बैठक में ‘सही मायने में समावेशी और प्रतिनिधिक राजनीतिक ढांचे' के गठन के महत्व पर जोर दिया गया, जो सभी अफगानों के अधिकारों का सम्मान करे और शिक्षा तक पहुंच सहित महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के समान अधिकार को सुनिश्चित करे.

आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी के खतरों पर हुई चर्चा 
पिछले साल दिसंबर में अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए विश्वविद्यालयी शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने के तालिबान के फैसले की आलोचना करने वाले कई प्रमुख देशों में भारत भी शामिल था.वक्तव्य में यह भी कहा गया कि विचार-विमर्श के दौरान अधिकारियों ने आतंकवाद, उग्रवाद, चरमपंथ और मादक पदार्थों की तस्करी के क्षेत्रीय खतरों पर चर्चा की और इन खतरों का मुकाबला करने के लिए समन्वित प्रयास की संभावनाओं पर भी विचार-विमर्श किया.बयान में कहा गया, ‘‘इस बात पर जोर दिया गया कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी आतंकवादी गतिविधि के लिए आश्रय देने, प्रशिक्षण देने, योजना बनाने या वित्तपोषण करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. इसमें कहा गया कि इस बात की फिर से पुष्टि की गई कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) प्रस्ताव 1267 द्वारा नामित आतंकवादी संगठनों सहित किसी भी आतंकवादी संगठन को शरण प्रदान नहीं किया जाना चाहिए या अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.''

अगस्त 2021 में मे भी भारत ने 50,000 मीट्रिक टन गेहूं दिया था 
मेजबान भारत के अलावा बैठक में कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विशेष राजनयिकों और वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया. मादक पदार्थों और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी) और संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्यान्न कार्यक्रम (यूएनडब्ल्यूएफपी) के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने भी बैठक में हिस्सा लिया.बयान में कहा गया कि भारत ने चाबहार बंदरगाह के जरिये यूएनडब्ल्यूएफपी के साथ सहयोग से अफगानिस्तान को 20 हजार टन गेहूं की आपूर्ति करने का ऐलान किया है.अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल में सत्ता पर काबिज होने के महीनों बाद भारत ने खाद्यान्न संकट से जूझ रहे अफगान लोगों की सहायता के लिए 50,000 मीट्रिक टन गेहूं देने का ऐलान किया था. भारत मानवीय संकट को दूर करने के लिए अफगानिस्तान को अबाध मानवीय सहायता प्रदान करने की वकालत करता रहा है.

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