भारत 2026 में 28वें सीएसपीओसी की मेजबानी करेगा: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार गर्नजी (ब्रिटेन) में राष्ट्रमंडल देशों की संसदों के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में यह भी कहा कि अगले साल भारत में होने वाले इस सम्मेलन में मुख्य जोर संसदों के कामकाज में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और सोशल मीडिया के उपयोग पर होगा.

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जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने में सांसदों की भूमिका महत्वपूर्ण: बिरला
नई दिल्ली:

भारत 2026 में राष्ट्रमंडल देशों की संसदों के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों के 28वें सम्मेलन (सीएसपीओसी) की मेजबानी करेगा. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ये जानकारी दी. ओम बिरला ने ग्वेर्नसे में सीएसपीओसी की स्थायी समिति की बैठक में कहा कि भारत 2026 में राष्ट्रमंडल देशों की संसदों के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों के 28वें सम्मेलन (सीएसपीओसी) की मेजबानी करेगा, जो संसदीय प्रक्रियाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सोशल मीडिया के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा. बता दें कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला 7-11 जनवरी तक यूनाइटेड किंगडम (यूके), स्कॉटलैंड और ग्वेर्नसे की आधिकारिक यात्रा पर हैं.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लोकसभा अध्यक्ष ने लिखा, "आज ग्वेर्नसे में राष्ट्रमंडल के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन (सीएसपीओसी) की स्थायी समिति की बैठक की अध्यक्षता की. इस अवसर पर यह बताने का अवसर मिला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने कृषि से लेकर फिनटेक और बुनियादी ढांचे तक विभिन्न क्षेत्रों में कैसे बदलाव किया है."

उन्होंने यह भी कहा "बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अगले वर्ष भारत में आयोजित होने वाली 28वीं सीएसपीओसी का मुख्य जोर संसदों के कामकाज में एआई और सोशल मीडिया के अनुप्रयोग पर होगा."

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लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, बिरला ने कहा कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और स्टार्टअप के लिए तीसरा सबसे बड़ा केंद्र बन गया है. बिरला ने लोकतंत्र के संरक्षक, विकास को गति देने वाले और लोक कल्याण के संवाहक के रूप में सांसदों की भूमिका पर बल दिया और जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और साइबर अपराध जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए संसदों को अधिक प्रभावी, समावेशी और पारदर्शी बनाने के महत्व का भी उल्लेख किया. उन्होंने राष्ट्रमंडल देशों के सभी पीठासीन अधिकारियों को नयी दिल्ली में आयोजित होने वाले सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया.

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