भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम नयी पीढ़ी की ‘अग्नि प्राइम' मिसाइल का ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक रात्रिकालीन परीक्षण कर देश के सामरिक महत्व की हथियार प्रणाली को मजबूती दी है. अधिकारियों ने बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) सामरिक बल कमान ने 1,000 से 2,000 किलोमीटर (किमी) तक की मारक क्षमता वाली मिसाइल का पहला ‘प्री-इंडक्शन' (सशस्त्र बलों में शामिल किये जाने से पहले) रात्रिकालीन परीक्षण किया.
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि परीक्षण ने सभी वांछित लक्ष्यों को पूरा किया और इस तरह इसने इस हथियार को सशस्त्र बलों में शामिल किये जाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया. चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच मिसाइल का यह परीक्षण किया गया है. रक्षा मंत्रालय ने कहा, "नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि प्राइम' का डीआरडीओ ने ओडिशा तट पर स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सात जून को सफल परीक्षण किया."
बयान में बताया गया, "मिसाइल के तीन सफल विकासात्मक परीक्षणों के बाद इसे सशस्त्र बलों में शामिल किये जाने से पूर्व उपयोगकर्ता द्वारा किया गया यह पहला रात्रिकालीन परीक्षण था, जो इसकी सटीकता और इसपर विश्वसनीयता को मान्यता देता है."
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और सशस्त्र बलों को इस सफलता पर और नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल के शानदार प्रदर्शन पर बधाई दी. मंत्रालय ने कहा, "परीक्षण के लिए रडार, टेलीमेट्री, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम जैसे उपकरण विभिन्न स्थानों पर लगाये गये थे."
डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी कामत ने इसकी (डीआरडीओ) की प्रयोगशालाओं के दलों और परीक्षण में शामिल उपयोगकर्ताओं द्वारा की गई कोशिशों की सराहना की. अग्नि-5 की जद में चीन का सुदूर उत्तर क्षेत्र और यूरोप के कुछ क्षेत्र सहित पूरा एशिया आ जाएगा. अग्नि-1 से अग्नि-4 तक, मिसाइलों की रेंज 700 किमी से लेकर 3,500 किमी तक है और उन्हें पहले ही तैनात किया जा चुका है.
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